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अयोध्या में बनेगा सबसे बड़ा प्लास्टिक कचरे से ईंधन बनाने वाला प्लांट...कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मिलेगी मदद

आजकल पूरे देश की निगाहें रामनगरी अयोध्या पर टिकी हुई हैं. रामलला का प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों का यहां पर तांता लगा रहेगा. इस वजह से प्रशासन और सरकार यहां के विकास कार्यों पर भी खास ध्यान दे रही है.

Ayodhya Ayodhya

दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक राजधानियों में से एक बनने की ओर अग्रसर, अयोध्या पर्यावरण-अनुकूल संदेश फैलाने के लिए कमर कस रही है. उत्तर प्रदेश का पहला सबसे बड़ा प्लास्टिक कचरे से ईंधन बनाने वाला प्लांट आयोध्या में लगेगा. मंदिर शहर ने यहां उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक कचरे का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करने और उसे ऑटोमोटिव ईंधन में परिवर्तित करने के लिए एक निजी कंपनी के साथ एक समझौता किया है. यहां 20 टन की क्षमता वाला प्लांट लगाया जाएगा.

अयोध्या नगर निगम आयुक्त विशाल सिंह ने कहा, "विचार यह है कि अयोध्या को पूरी तरह से सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त शहर बनाया जाए." इसके लिए निजी कंपनी यहां दो चरणों में 100 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. ऐसा करने के लिए, अयोध्या नगर निगम ने बेंगलुरु स्थित एमके एरोमैटिक्स लिमिटेड के साथ एक रियायत समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो चेन्नई में भारत का पहला प्लास्टिक-से-ईंधन संयंत्र चलाता है.

रिक्शे वालों को भी जोड़ा जाएगा
इस परियोजना में मदद के लिए कूड़ा उठाने वाले और रिक्शे वालों को भी जोड़ा जाएगा. इससे उन्हें बेहतर रोजगार पाने में मदद मिलेगी. इस संयंत्र में रोजाना 20 टन प्लास्टिक कचरे का निस्तारण करने के लिए दो रिएटर लगाए जाएंगे. अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के बाद लाखों की संख्या में श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए आएंगे. इस कारण शहर में कचरा बढ़ सकता है जिसे डंप करने के लिए इस प्लांट को लगाना काफी अहम माना जा रहा है. इसके लिए आयोध्या में कुल 100 कचरा संग्रह बाक्स लगाए जाएंगे. प्रत्येक बाक्स के संचालन के लिए एक महिला की नियुक्ति होगी. हर बॉक्स में पांच बैटरी रिक्शे और 20 से 25 कचरा बीनने वाले गरीबों को जोड़ा जाएगा. 

एमके एरोमैटिक्स लिमिटेड कंपनी का प्लास्टिक कचरे से ईंधन बनाने का संयंत्र चेन्नई में 12 साल से काम कर रहा है. इसके जरिए अब तक 26 हजार मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे का निस्तारण किया जा चुका है और 24 हजार मीट्रिक कार्बन उत्सर्जन रोका गया है. इसी तरह का एक प्लांट इस साल गोवा में भी शुरू किया गया है.

क्या है पूरा प्लान?
राज्य सरकार से जुड़े अधिकारी जोकि प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं बोले,''अयोध्या में सफल क्रियान्वयन के बाद सभी शहरी स्थानीय निकाय, ब्लॉक और प्रभाग की बड़ी पंचायतों को परियोजना में टैग किया जाएगा. अयोध्या के बारे में प्लान शेयर करते हुए रिजवी ने कहा, "हमारे काम में 100 बिंदुओं से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने और प्री-प्रोसेसिंग सेंटर में उसे बांटना शामिल होगा. कंपनी से जुड़े लोगों के मुताबिक प्लास्टिक कचरे को एकत्र करके प्लांट भेजा जाएगा. वहां रिएक्टर में प्लास्टिक कचरे को 350 से 450 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाएगा. केंद्र एक मिनी रिफाइनरी जैसा होगा जहां प्लास्टिक कचरे को सबसे पहले कच्चे तेल में परिवर्तित किया जाएगा और बाद में इसे ऑटोमोटिव ग्रेड डीजल में बदला जाएगा. इसे किसानों को रियायती दरों में बेचा जाएगा और वो इसका उपयोग जनरेटर, ट्रैक्टर, पंप सेट, भारी मशीनरी, भारी वाहन के लिए कर सकेंगे."

आयोध्या के बाद इस परियोजना को दूसरे चरण का विस्तार होगा. अयोध्या मंडल के अन्य जिलों के ब्लाकों में यह परियोजना काम करेगी. इस तरह सड़क पर प्लास्टिक न रहने से गाएं और आदि जानवर इसे खाने से बच जाएंगी.