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कैसे तैयार हुआ था चंढीगढ़ शहर, क्या था इसका मास्टर प्लान, जानिए पूरा इतिहास

चंडीगढ़ शहर जिसे ब्यूटीफुल सिटी कहा जाता है. यह चंडीगढ़ कॉर्बूसियर ने एक दिन में नहीं बनाया था. 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद देश में पहले ही पैसे की कमी थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंजाब की राजधानी के लिए एक ऐसी राजधानी बनाने की सोची जोकि पूरी तरह से मॉडर्न और प्लान्ड हो.

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क्या आपको पता है कि मॉडर्न सिटी जिसे कि आज सिटी ब्यूटीफुल कहा जाता है उसका आइडिया कैसे आया था?  कैसे यह शहर बनकर तैयार हुआ था ? आज आपको चंडीगढ़ में वह जगह भी बताएंगे जहां पर इस पूरे शहर को तैयार करने का मास्टर प्लान बना था और शहर को तैयार किया गया था.

चंडीगढ़ शहर जिसे ब्यूटीफुल सिटी कहा जाता है. यह चंडीगढ़ कॉर्बूसियर ने एक दिन में नहीं बनाया था. 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद देश में पहले ही पैसे की कमी थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंजाब की राजधानी के लिए एक ऐसी राजधानी बनाने की सोची जोकि पूरी तरह से मॉडर्न और प्लान्ड हो. 1949 में, तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू एक आधुनिक शहर की योजना बनाने के लिए अमेरिकी Artichiet अल्बर्ट मेयर और पोलिश Artichiet मैथ्यू नोविकी को नियुक्त किया.
 
मेयर और नोविकी ने एक ऐसा प्लान बनाया जिसमें भूमि के प्राकृतिक ढाल और जल निकासी की सुविधा हो. हालांकि, 1950 में विमान दुर्घटना में नोविकी की मौत के बाद स्विस-फ्रांसीसी Artichiet ले कॉर्बूसियर को परियोजना के लिए नियुक्त किया गया.

चंढीगढ़ के सेक्टर 19 में दिख रही यह वही बिल्डिंग है जहां पर शहर को बनाने का मास्टर प्लान बनाया गया. इस आधुनिक और मॉडर्न सिटी को तैयार करने के लिए उस ढांचे पर काम किया गया. शहर को इस प्रकार से तैयार किया गया था जो लोगों की हर जरूरत को पूरा करता था.

रोहित गुप्ता डायरेक्टर टूरिज्म चंडीगढ़ में गुड न्यूज़ टुडे से खास बातचीत में बताया कि सेक्टर 19 की ले कॉर्ब्यूजियर बिल्डिंग पुरानी और ऐतिहासिक इमारत है और इस इमारत में बैठकर ही ले कॉर्ब्यूजियर ने चंडीगढ़ का मास्टर प्लान बनाया था. पहले इस बिल्डिंग को ओल्ड articheturing बिल्डिंग भी कहा जाता था और इस बिल्डिंग का जो ढांचा था वह डी फैब्रिकेटेड था यानी कि उसे बाद में आसानी से हटाया जा सकता था.

आज के 21वीं शताब्दी में अभी यह बिल्डिंग पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है और न सिर्फ देशभर के आर्किटेक्ट बल्कि दूसरे लोग भी इस बिल्डिंग को देखने के लिए यहां पर पहुंचते हैं. यहां पर रखी उस दौर की फोटोग्राफ, मैनहोल कवर, फर्नीचर, हाथों से लिखी चिट्ठियां, तमाम चीजें पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं और एहसास कराती हैं कि कैसे चंडीगढ़ को बनाया और बसाया गया था इसका एहसास भी यहां पहुंचकर आसानी से होता है.

कॉर्बूसियर ने शहर को दो चरणों में बनाने की योजना बनाई थी, जहां पहले चरण में 150,000 लोगों के लिए सेक्टर 1 से 30 शामिल थे, जबकि सेक्टर 31-47 में लगभग आधा मिलियन की घनी आबादी थी. दीपिका गांधी ने गुड न्यूज़ टुडे से बातचीत में बताया की आजाद हुए देश में एक planned और मॉडर्न शहर बनाने की खोज शुरू हुई जिसमें शिमला, और पंजाब के कई शहरों को पहले एक्सप्लोर किया गया. एक जगह जहां ऑफिस और रिफ्यूजी कैंप को planned तरीके से बनाया जा सके.