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Library Man of India: खंडहर से की लाइब्रेरी खोलने की शुरुआत, अब 300 गांवों तक पहुंची मुहिम ताकि हर छात्र को मिले किताबें

उत्तर प्रदेश में नोएडा के एक इंजीनियर रामवीर तंवर पिछले कई सालों से सामाजिक सुधार कार्यों से जुड़े हुए हैं. जल संरक्षण के साथ-साथ अब वह देश के भविष्य यानी बच्चों की पढ़ाई में मदद के लिए गांव-गांव जाकर लाइब्रेरी खोल रहे हैं.

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हाइलाइट्स
  • पेशे से इंजीनियर और पैशन से चेंजमेकर हैं रामवीर

  • रामवीर को लोग कहते हैं 'लाइब्रेरी मैन ऑफ इंडिया'

किताबें जिंदगी में वह हथियार हैं जो किसी को घायल नहीं करतीं और फिर भी जीत दिला देती हैं. यह सोच है उत्तर प्रदेश में नोएडा में झुंडपूरा गांव के रहने वाले रामवीर तंवर की. पेशे से इंजीनियर और पैशन से चेंजमेकर, रामवीर देश के अलग-अलग गांवों में 300 से ज्यादा लाइब्रेरी खुलवा चुके हैं. यही वजह है कि अब इन्हें 'लाइब्रेरी मैन ऑफ इंडिया' भी कहा जाने लगा है. 

एक खंडहर से हुई शुरुआत
33 साल के रामवीर का मानना है कि सेहत और शिक्षा ही ऐसे 2 माध्यम हैं जिनके ज़रिये समाज का सुधार किया जा सकता है. इसी सोच के चलते 2018 में रामवीर ने गांव के खंडहर हो चुके पंचायत दफ़्तर में लाइब्रेरी खुलवाई थी. रामवीर ने खुद इस पुस्तकालय की देखरेख का जिम्मा उठाया. शुरुआत में इस लाइब्रेरी में न तो बैठने के लिए बेंच थे और न ही कोई और सुविधाएं. 

बच्चे दरी या चटाई पर बैठकर पढ़ते थे. धीरे-धीरे यहां पर सुधार होता गया. आज यह लाइब्रेरी एक मिसाल बन चुकी है. यहां 65 बच्चों के बैठने के लिए कुर्सियां, टेबल, पीने के लिए ठंडा पानी, कूलर और वाई - फाई तक की सुविधा उपलब्ध हैं.

6 राज्यों तक पहुंची मुहिम
इस लाइब्रेरी से गरीब बच्चों की मदद होती देख रामवीर को सुकून मिला और उन्हें महसूस हुआ कि इस मदद की जरूरत देश के और भी हजारों बच्चों को है. इसी कारण से उन्होंने 100 गांवों में लाइब्रेरी बनाने का संकल्प लिया. उन्होंने इस मिशन का नाम ‘100 रूरल लाइब्रेरी’ रखा. लेकिन यह मिशन बहुत जल्द पूरा हो गया. 

इसके बाद रामवीर ने ठाना कि वह देश के हर गांव में एक लाइब्रेरी बनाएंगे. रामवीर और उनकी टीम की मेहनत खूब रंग लाई. नोएडा के झुंडपूरा से शुरू हुई ये मुहिम आज राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली समेत कुल 6 राज्यों तक पहुंच चुकी है. आज रामवीर करीब 300 से ज्यादा गांवों में लाइब्रेरी खुलवाने में सफल रहे हैं. रामवीर और उनकी टीम अब देश के 6,64,369 गांवों में लाइब्रेरी खोलने की दिशा में काम कर रही है.

रिक्शाचालक के बेटे का सपना है आईएस बनना
इस लाइब्रेरी में पढ़ने वाले 18 साल के ब्रजेश बताते हैं, "इस पुस्तकालय का माहौल बहुत अच्छा है. जिस भी चीज कि जरूरत होती है सब उपलब्ध करवाई जाती हैं. मेरे पिता जी रिक्शा चलाते हैं, मैं UPSC क्लियर करना चाहता हुं लेकिन मेरे लिए सभी किताबें खरीदना मुशकिल है. अगर यह लाइब्रेरी न हो तो मेरा पढ़ना नामुमकिन हो जाएगा."

वहीं, अरुण कुमार का कहना है कि यह लाइब्रेरी बहुत जरूरी है. वह घर पर पढ़ाई को अच्छे से समय नहीं दे पाते हैं क्योंकि घर में काफी अशांति होती है. लाइब्रेरी में अरुण हर दिन बिना ब्रेक के 7-8 घंटे पढ़ते हैं.