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कई सालों से बायोगैस पर बना रही हैं खाना, न गैस सिलिंडर का खर्च न चूल्हे पर धुएं की दिक्कत

बायोगैस प्लांट न सिर्फ खेती के लिए बल्कि किचन के लिए भी काफी फायदेमंद है. राजस्थान की एक महिला ने अपने घर में बायोगैस संयंत्र स्थापित किया है, और वह नियमित रूप से खाना पकाने और अन्य कामों के लिए बायोगैस का उपयोग कर रही हैं.

करती हैं बायोगैस का इस्तेमाल (फोटो: टेक्निकल फार्मिंग) करती हैं बायोगैस का इस्तेमाल (फोटो: टेक्निकल फार्मिंग)
हाइलाइट्स
  • 10 सालों से इस्तेमाल कर रहे बायोगैस

  • कभी नहीं खरीदा गैस सिलिंडर

बढ़ते LPG के दाम किसी को भी चैन की सांस नहीं लेने दे रहे हैं. पर राजस्थान के झुंझुनू जिला स्थित पीपली गांव में रहने वाली भतेरी देवी को न तो गैस सिलिंडर के दाम बढ़ने की की चिंता है और न ही मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाने की. इसका कारण है उनके घर में लगा बायोगैस प्लांट. जिससे सीधा उनके रसोई में बायोगैस आती है. खेती-बाड़ी करने वाली भतेरी देवी के घर में यह प्लांट 10 सालों से लगा हुआ है. 

गांव में महिलाएं ज्यादातर चूल्हे पर काम करती हैं. भतेरी देवी भी पहले चूल्हे पर खाना बनाती थीं पर इसके धुएं से काफी परेशानी होती थी. और गैस सिलिंडर में खर्च ज्यादा था. पर आज उनकी रसोई के सभी काम गैस पर होते हैं और उनका गैस सिलिंडर का खर्च भी एकदम जीरो है. क्योंकि बायोगैस प्लांट ने उनकी सब मुश्किलें आसान कर दी हैं. 

गोबर से हुईं कई परेशानी हल 

गांव में सभी परिवार गाय-भैंस रखते हैं. ऐसे में इनका गोबर खूब इकट्ठा होता है. पहले ज्यादातर गोबर यूं ही नदी-नालों में बेकार जाता था और गंदगी रहती था. पर अब गोबर से एक साथ कई काम बन रहे हैं. उनके बायो गैस प्लांट में गोबर से खाद भी बन जाती है. जिसे वे अपने खेतों में इस्तेमाल करते हैं. बायोगैस प्लांट में सबसे पहले गोबर और फिर पानी डालते हैं. इसमें से एक पाइप से बायोगैस उनके घर की रसोई में जाती है और दूसरी जगह से गोबर की स्लरी निकलती रहती है. 

इस स्लरी को खेत में इस्तेमाल करते हैं. इससे किसान परिवारों के घर में गैस का नहीं बल्कि खेतों में खाद के खर्च को भी काफी बचाता है. भतेरी देवी का कहना है कि उनके यहां यह प्लांट पूसा संस्थान, दिल्ली की एक योजना के तहत लगाया गया था. और आज LPG के बढ़ते दामों को देखते हुए यह बायोगैस प्लांट उनके लिए वरदान साबित हो रहा है.