आपने बहुत से पेट लवर्स देखे होंगे. लेकिन उनमें से भी बहुत ही चुनिंदा लोग होते हैं जो आवारा घूमने वाले या नकारे गए पशुओं के लिए काम करते हों. पर आज हम आपको बता रहे हैं यूपी पुलिस के कुछ वर्दीधारियों के बारे में जो दिन भर के काम के प्रेशर के बाद भी बेजुबानों की आवाज़ बने हुए हैं.
लखनऊ से लगभग 30 किमी दूर सरोजनीनगर में बसे राजधानी के आखिरी गांव गुदौली में पुलिस के जवान जानवरों के लिए काम कर रहे हैं. यूपी एसटीएफ में तैनात इंस्पेक्टर अरुण सिंह ने बताया कि बचपन से उन्हें जानवरों से प्यार था. उनके घर में कभी भी किसी भी जानवर के आने की मनाही नहीं थी. वह हमेशा से जानवरों के लिए कुछ करना चाहते थे.
जानवरों के लिए शुरू किया शेल्टर
अरुण सिंह जब कुछ करने के काबिल हुए तो उन्होंने अपने पुलिस साथियों के साथ मिलकर एक मुहिम शुरू की. उन्होंने लखनऊ के आखिरी गांव में एक जमीन खरीदकर यहां जानवरों के लिए एक शेल्टर होम बना दिया. इस शोल्टर होम में चोटिल और आवारा जानवरों के इलाज और खाने पीने की व्यवस्था की गई.
रेलवे पुलिस में इंस्पेक्टर संजय खरवार ने बताया यहां जानवरों की जरूरत की सभी चीजें और सुविधाएं हैं. इलाज से लेकर खाना, यहां हर चीज का ख्याल रखा जाता है. अमित सहगल शेल्टर होम के काम को मैनेज करते हैं. उन्होंने बताया कि जो भी जानवर चोटिल होकर यहां आता है, उसका इलाज किया जाता है.
कई पुलिस इंस्पेक्टर जुड़े हैं मुहिम से
इंस्पेक्टर अरुण सिंह ने बताया कि उनके कई पुलिस अधिकारी साथ में मिलकर इस मुहिम पर काम कर रहे हैं. लेकिन ड्यूटी की वजह से सब एक साथ शेल्टर होम नहीं आ पाते हैं. जिसको जब समय मिलता है वह तब श्लटर होम पहुंचकर जानवरों के साथ समय बिताता है.
शेल्टर होम में जानवरों के लिए डॉक्टर भी आते हैं. डॉक्टरों ने बताया कि जानवरों को तमाम बीमारियां होती हैं और उन सभी का यहां पर इलाज किया जाता है. एक बार एक बंदर के बच्चे, मंगल को करंट लग गया था. जिसके बाद उसे शेल्टर होम लाया गया. इलाज में उसका एक पैर काटना पड़ा लेकिन अब वह अच्छा महसूस कर रहा है. और यहां बहुत खुश है.