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Silver Pichkari: अवध की गंगा-जमुनी तहज़ीब की प्रतीक है चांदी की पिचकारी, आज भी लोग निभा रहे हैं परंपरा

अवध में चांदी की पिचकारी से होली खेलने की परंपरा है और यह परंपरा नवाब वाज़िद अली शाह के समय से चली आ रही है. आज भी लखनऊ के बाजारों में आपको यह पिचकारी देखने को मिलेगी.

Silver Pichkari Silver Pichkari
हाइलाइट्स
  • चांदी की पिचकारी से होली खेलने का रिवाज

  • ऑर्डर पर बनवाते हैं पिचकारी

होली का त्योहार आते ही बाज़ार तरह-तरह की पिचकारी से सज जाता है. बाजार में आपको सस्ती से लेकर महंगी तक पिचकारी मिलेंगी. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं चांदी की पिचकारी के बारे में. जी हां, आपको शायद पता न हो लेकिन अवध की ख़ास परम्परा है चांदी की पिचकारी से होली खेलने की. कहा जाता है कि अवध के नवाब वाज़िद अली शाह चांदी की पिचकारी से होली खेलते थे और होली खेलकर उन्होंने गंगा जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा दिया. 

आज भी लखनऊ में चांदी की पिचकारी देखी जा सकती है. कुछ लोग इसी परम्परा को निभाने के लिए चांदी की पिचकारी ख़रीदते हैं और उससे होली खेलते हैं. लखनऊ के बाजार में अलग-अलग डिज़ाइन और छोटे-बड़े आकार की चांदी की पिचकारी देखी जा सकती है. किसी में मीनाकरी का काम है तो किसी पिचकारी को रंग से सजाया गया है. उत्तर भारत के सबसे बड़े सर्राफ़ा मार्केट में भी होली के रंग को और ख़ुशनुमा बनाने की तैयारी है. हर साइज़ की पिचकारी के साथ उसी साइज़ की बाल्टी रंग घोलने के लिए है. 

ऑर्डर पर बनवाई जाती है चांदी की पिचकारी 
चांदी की पिचकरी के लिए लोग पहले से ऑर्डर देते हैं, जिसके बाद उनको तैयार किया जाता है. साथ ही, कुछ पिचकारी तैयार करके रखी जाती हैं जिसे लोग देख कर पसंद कर सकें. कृष्ण को हर जगह होली से जोड़ा जाता है पर अवध में राम को भी होली खेलते हुए देखा गया है. इसीलिए भगवान को अर्पण करने के लिए छोटी पिचकारी भी है और रंग घोलने के लिए छोटी बाल्टी भी. 

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इन चांदी की पिचकारी की कीमत 2000 रुपए से लेकर 25 हज़ार रुपए तक है. यह गारंटी कार्ड के साथ आती है. चांदी की बाल्टी और पिचकारी को होली में इस्तेमाल करने के बाद आप उसे रख सकते हैं, यानी ये एक निवेश भी है. यही वजह है कि लोग होली से काफी पहले ही अपने पसंद की चांदी की पिचकारी खरीद रहे हैं.