चैत्र नवरात्रि में श्रद्धा और भक्ति के अलग-अलग रंग दिखाई पड़ रहे हैं. लोग मंदिरों में आदिशक्ति से अपनी मनोकामना मांग रहे हैं. वहीं कुछ युवा ऐसे भी हैं जो मंदिर में आने वाले भक्तों की सेवा और मदद कर रहे हैं ताकि लोग ठीक से मां की आराधना कर सकें. लखनऊ की प्राचीन बड़ी काली जी मंदिर में सुबह से रात तक ऐसे युवाओं को देखा जा सकता है जो पूरे नौ दिन तक अपनी पढ़ाई, नौकरी या कामकाज छोड़कर सिर्फ मंदिर आने वालों की सेवा में ही अपना समय बिताते हैं.
इन युवाओं में ज़्यादातर की उम्र 15-25 तक है कोई इंजीनियर है तो कोई कॉलेज में पढ़ता है. कोई बिजनेस में अपने पिता का हाथ बंटाता है तो कोई ऐसा भी है जिसको इस साल बोर्ड की परीक्षा देनी है. ऐसे युवाओं को लखनऊ में चौक स्थित प्राचीन काली जी के मंदिर में नवरात्र के दौरान देखा जा सकता है. भले ही आम दिनों में वो जींस या ट्राउज़र में दिखते हों पर यहाँ पीली धोती पहने ये युवा मंदिर में भीड़ को सम्भालते, लोगों को प्रसाद चढ़ाने में मदद करते या फिर मंदिर की साफ सफाई भी करते देखे जा सकते हैं. करीब 35 युवाओं की ये ऐसी टीम है जो नवरात्र के समय पूरे नौ दिन तक अपना सारा काम छोड़कर मंदिर की सेवा में ही लग जाते हैं.
मंदिर आने वाले लोगों की सेवा करना लक्ष्य
इस टीम में ज़्यादातर युवा पढ़ाई करते हैं. कुछ लोग अलग अलग प्रोफेशन में हैं. लगभग सभी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं. पर यहां इनका लक्ष्य सिर्फ यहां आने वालों सेवा है. टीम का नेतृत्व करते यहां ‘राहुल भैया’ को देखा जा सकता हैं. सभी को राहुल एक टीम लीडर के रूप में काम समझाते हैं. ‘मैं 12 साल की उम्र से ही यहां मंदिर आता था. मैंने देखा कि देवी माँ की शक्ति से ही सब कुछ होता है. मैंने ये टीम इसलिए बनायी है ताकि इस पीढ़ी को भी अपने जड़ों से, अपने धर्म से जुड़े रहने का अवसर मिले. मैं इन नौ दिनों में पूरी तरह अपना व्यवसाय बंद कर देता हूँ. मेरी तरह और भी मेरे साथी हैं जो अपना सब काम छोड़कर इन नौ दिनों में यहां मंदिर में सेवा कार्य करते हैं. ’ ये कहना है 34 वर्षीय राहुल का. राहुल इन युवाओं में सबसे बड़े हैं जो इस पूरी युवाओं की टीम को लीड करते हैं. इन युवाओं ने अपनी इस टीम को ‘बड़ी काली जी यूथ क्लब’ नाम भी दिया है. इस टीम के एक सदस्य यश कहते हैं ‘बाक़ी दिनों में भी हम लोग मंदिर आते जाते हैं पर ये नौ दिन पूरी तरह से मंदिर को समर्पित करते हैं . ’
श्रद्धालुओं को पूरी व्यवस्था करते हैं मैनेज
नवरात्रि में इन युवाओं की दिनचर्या पूरी तरह बदल जाती है. भोर में ही ये लोग मंदिर पहुंचते हैं. फिर मंदिर में सारी व्यवस्था इनके जिनके जिम्मे हो जाती है. क्या काम रहता है ये पूछने पर राहुल बताते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को पूरी व्यवस्था के साथ मैनेज करना, उनको कोई असुविधा न हो ये देखना हमारा काम है. हालाँकि मंदिर में पुजारी हैं, अर्चक हैं पर जब श्रद्धालुओं की संख्या बहुत ज़्यादा हो जाती है तो युवाओं की ये टीम प्रसाद चढ़ाने में मदद भी करती है. यही नहीं मंदिर में सुबह शाम आरती के लिए नगाड़ा और मंजीरा बजाने की ज़िम्मेदारी भी सम्भालते हैं. कैसे ये सब हो पाता है ? इस सवाल के जवाब में मेघांश कहते हैं ‘देवी मां की भक्ति से सब सम्भव है.’
इस टीम के सबसे छोटे सदस्य 15 साल के प्रभाकर हैं जो दसवीं में पढ़ते हैं. पर नौ दिनों में खेलकूद और दोस्तों के साथ मस्ती भूल कर सिर्फ़ मंदिर में सेवा का काम ही करते हैं. बड़ी काली जी मंदिर के पुजारी शक्तिदीन अवस्थी कहते हैं ‘ये वो बच्चे हैं जो इस तरह के काम को करने में कभी डांट खा जाते हैं, कभी उनको कड़ाई से कहा भी जाता है फिर भी पूरे मां से मां काली के दरबार में आने वालों की सेवा करते हैं.’ वैसे तो बड़ी काली की मंदिर की व्यवस्था के लिए अलग से भी सेवादार हैं, कर्मचारी भी हैं पर यूथ क्लब के ये छोटे सदस्य सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लेते हैं. ’
दरअसल किसी भी काम के लिए volunteer होना कोई बड़ी बात नहीं पर मंदिर में टेक्नॉलजी सेवी इन युवाओं का होना कई सवालों का जवाब भी है. सबका अपना परिवार है. मंदिर में आने वाले लोग युवाओं के सेवा भाव को आश्चर्य से देखते हैं तो नियमित आने वाले लोग कहते हैं ये देवी माँ की कृपा के बिना सम्भव नहीं. मंदिर की श्रद्धालु और खुद नवरात्र में भंडार गृह की जिम्मेदारी सम्भालने वाली आशा तिवारी कहती हैं ‘ये कोई साधारण बच्चे नहीं. वजह ये है कि जो बच्चे अपने घर में झाड़ू को हाथ नहीं लगाते वो यहां मंदिर की पूरी सफ़ाई कर देते हैं. जो 5 मिनट भी मोबाइल के बिना नहीं रहते वो यहां पूरे पूरे दिन बिना मोबाइल के गुज़ार देते हैं. ये देवी माँ की कृपा के बिना सम्भव नहीं है. ’