
मोबाइल फोन ने जहां दुनिया को जोड़ने का काम किया है, वहीं सिवनी ज़िले के नयेगांव में इसकी अनुपस्थिति लोगों के रिश्ते बिगाड़ रही है. इस गांव में मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से कई युवकों की शादी नहीं हो पा रही है. लड़की वाले साफ कह देते हैं- "जहां नेटवर्क नहीं, वहां रिश्ता नहीं!"
नयेगांव, कुरई ब्लॉक का एक छोटा सा गांव, जो पेंच टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन में आता है. यहां करीब 650 की आबादी बसती है, लेकिन मोबाइल नेटवर्क की भारी कमी है. किसी भी टेलीकॉम कंपनी का सिग्नल यहां नहीं पहुंचता, जिससे ग्रामीणों को बात करने के लिए तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. इस वजह से न सिर्फ युवकों की शादी रुक गई है, बल्कि ऑनलाइन पढ़ाई, सरकारी योजनाओं की जानकारी और आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं.
लड़की वालों की पहली शर्त- नेटवर्क!
गांव के कई माता-पिता अपने बेटों की शादी के लिए परेशान हैं. श्यामा बाई, जो अपने 29 साल के बेटे के लिए रिश्ता ढूंढ रही हैं, कहती हैं, "कोई लड़की देने को तैयार नहीं. लड़की वाले बोलते हैं- यहां नेटवर्क नहीं मिलता, जंगल है. शादी के बाद बेटी अपने मायके से कैसे बात करेगी?" डुलम सिंह कुंजाम, जो खुद इस समस्या से जूझ रहे हैं, बताते हैं, "लड़की मांगने जाते हैं तो सामने वाले मना कर देते हैं. कहते हैं- हमारी बेटी फोन पर कैसे बात करेगी? नेटवर्क ही नहीं है तो इमरजेंसी में मदद कैसे मिलेगी?"
बात करने के लिए 3 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है
गांव की लक्ष्मी बाई का कहना है, "यहां नेटवर्क और पानी, दोनों की समस्या है. बात करने के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है. लड़की वाले साफ कह देते हैं-जहां मोबाइल नहीं चलता, वहां शादी नहीं करेंगे!" आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुखवती परते ने भी एक किस्सा सुनाया, "मेरे घर के सामने रहने वाले लड़के की शादी तय हो रही थी, लेकिन जब लड़की वालों को पता चला कि यहां नेटवर्क नहीं है, तो उन्होंने रिश्ता तोड़ दिया!"*
ऑनलाइन पढ़ाई और सरकारी काम भी प्रभावित
हेड मास्टर संतोष दुबे बताते हैं, "बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना मुश्किल हो गया है. जब भी कोई सरकारी सूचना आती है, हमें पास के गांव जाकर उसे प्राप्त करना पड़ता है." वहीं वन विभाग के बीट गार्ड सुरेंद्र बावनकर ने भी नेटवर्क की समस्या को गंभीर बताया, "यहां दो-तीन किलोमीटर दूर जाने पर ही सिग्नल आता है. कोई भी टेलीकॉम कंपनी यहां टावर नहीं लगाना चाहती!"
इमरजेंसी में भी मिलती है मुश्किल
गांववालों का कहना है कि नेटवर्क न होने की वजह से एम्बुलेंस बुलाने के लिए भी उन्हें गांव से बाहर जाना पड़ता है. पेंच टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया, "केंद्र सरकार ने कवरेज-विहीन वनग्रामों में प्राथमिकता के आधार पर मोबाइल टावर लगाने की योजना बनाई है. हाल ही में बीएसएनएल ने चार गांवों में टावर लगाए हैं. उम्मीद है कि नयेगांव भी अगले चरण में शामिल होगा."
ग्रामीणों का कहना है कि वे शादी, पढ़ाई और सरकारी सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं. अब देखना यह है कि कब सरकार इस गांव को डिजिटल युग में शामिल करती है और यहां के युवाओं की शादियों में बजने वाली शहनाइयां मोबाइल नेटवर्क के इंतजार में नहीं रुकतीं!
(पुनीत कपूर की रिपोर्ट)