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Farming Success Story: इजरायल से सीखा एवोकाडो उगाना, भारत आकर शुरू की खेती, अब सालाना टर्नओवर एक करोड़

आज हम आपको बता रहे हैं भोपाल के किसान, हर्षित गोधा के बारे में जो पिछले कुछ समय से Avocado Farming कर रहे हैं और उन्होंने सालाना अच्छा मुनाफा भी कमाया है.

Avocado Farming (Photo: Twitter/@indoisraelavo) Avocado Farming (Photo: Twitter/@indoisraelavo)

पिछले कुछ सालों में हमारे फ्रूट चार्ट में कुछ नए फलों की एंट्री हुई है जिनमें ड्रैगन फ्रूट और एवोकाडो जैसे फल शामिल हैं. इन फलों को एक्सपर्ट्स सुपरफूड मानते हैं, खासकर कि एवोकाडो को क्योंकि इसका न्यूट्रिशन प्रोफाइल बहुत अच्छा है. इसलिए बहुत से फिटनेस फ्रीक लोग अलग-अलग तरह से एवोकाडो को अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि एवोकाडो सिर्फ हमारी प्लेट तक नहीं बल्कि खेतों तक भी पहुंच चुका है. जी हां, भारत में अब एवोकाडो की खेती को लोग अपनाने लगे हैं. 

आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे ही युवा किसान के बारे में जो एवोकाडो उगाकर करोड़ों में कमा रहा है. यह कहानी है हर्षित गोधा का जन्म और पालन-पोषण भोपाल में हुआ. उन्होंने 2013-20 के बीच यूके में बाथ यूनिवर्सिटी से बिजनेस स्टडीज की पढ़ाई की. लेकिन एक बिजनेस छात्र किसान कैसे बन गया यह बहुत दिलचस्प है. 

यूके में हुआ एवोकाडो से परिचय 
जब हर्षित पढ़ाई के लिए यूके गए, तो एवोकाडो आसानी से उपलब्ध था. और वह हेल्थ और फिटनेस फ्रीक इंसान हैं और इसलिए पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण एवोकाडो उन्हें पसंद आने लगा. जल्द ही, उन्होंने लगभग हर दिन एवोकाडो खाना शुरू कर दिया. लेकिन जब भी वह गर्मियों के दौरान भारत आते थे, तब उन्हें अच्छे एवोकाडो नहीं मिल पाते थे और जो उपलब्ध थे वे बहुत महंगे थे. यूके में उन्हें पता चला कि ज्यादातर एवोकाडो इजरायल से सप्लाई होते हैं. 

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इसके बाद उन्होंने मन बनाया कि वह इस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे. भारत में एवोकाडो की खेती लाने के मकसद से हर्षित ने इज़राइल में एवोकाडो किसानों से संपर्क करना शुरू किया. इस दौरान उन्होंने कई लोगों से बात की. कुछ ने उन्हें ट्रेनिंग देने से मना कर दिया तो कुछ ने ढेर सारे पैसों की मांग की. हालांकि, इजरायल का एक किसान उनका मार्गदर्शन करने के लिए सहमत हुआ और एक इज़राइली गांव में उनके आवास और भोजन की भी व्यवस्था की. 

चुनौतियों का किया सामना 
अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद हर्षित भारत लौट आये. उन्होंने सबसे पहले भोपाल में ऐसी जगह देखी जहां एवोकाडो उगाया सके. उन्होंने मिट्टी की भी जांच कराई और यहां के तापमान और जलवायू को देखते हुए फैसला किया कि वे यहां एवोकाडो उगा सकते हैं. लेकिन ये उनकी मुश्किलों का अंत नहीं था. भारत में उच्च गुणवत्ता वाले एवोकैडो के पौधे ढूंढना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य था. इससे निपटने के लिए, हर्षित ने 2019 में इज़राइल से स्थानीय जलवायु के लिए उपयुक्त एवोकैडो किस्मों को आयात करने का फैसला किया. 

आयात प्रक्रिया लंबी, जटिल और नियमों से भरी थी जिसका उन्हें पालन करना था. उनका शिपमेंट को 2020 तक नहीं पहुंचा और फिर, COVID-19 महामारी आई, और भारत और इज़राइल दोनों लॉकडाउन में चले गए, जिसके कारण एक और साल की देरी हुई. हर्षित कहते हैं कि उन्हें आखिरकार 2021 में, मुझे इज़राइल से एवोकैडो पौधों की पहली खेप मिली, जिसे उन्होंने अपने बगीचों में लगाया था. रोपण से पहले, ये पौधे नर्सरी में रखे गए थे और रोपण के 14 महीने बाद पौधे फल देने लगे. 
 
कर रहे हैं अच्छी कमाई 
फिलहाल हर्षित 10 एकड़ जमीन पर एवोकाडो की खेती कर रहे हैं और सालाना 1 करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैं. हर्षित ने कृषि जागरण को बताया कि पौधे की कीमत उसकी उम्र पर निर्भर करती है, डेढ़ साल पुराने पौधे की कीमत 2,500 रुपये और दो साल पुराने पौधे की कीमत 3,000 रुपये है. एवोकाडो की थोक और खुदरा कीमतों में काफी अंतर है. थोक में इसकी कीमत 250-300 रुपये प्रति किलो है, जबकि खुदरा में एक एवोकाडो की कीमत 200-250 रुपये है. एक एवोकाडो का वजन 250-300 ग्राम होता है. हर एक पेड़ 40-50 वर्षों तक फल दे सकता है. वैसे तो आय कम ज्यादा हो सकती हैं लेकिन औसतन एक व्यक्ति प्रति एकड़ 6-12 लाख रुपये कमा सकता है. 

भारत में एवोकाडो आयात बहुत ज्यादा बढ़ गया है. इसलिए, बाज़ार में एवोकाडो बेचना कोई समस्या नहीं है. इस प्रकार, वह किसानों को अपनी खेती के साथ प्रयोग करने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि ऐसी फसलें उगाएं जो अधिकतम मुनाफा दे सकें. ब्लूबेरी और एवोकाडो ऐसे फल हैं जिनका बाजार तेजी से बढ़ रहा है.