महाराष्ट्र का बीड एक ऐसा जिला है, जहां से देश में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा चाइल्ड मैरिज (बाल विवाह) की घटनाएं सामने आती हैं. लेकिन इस जिले की एक खास बात है कि यहां के तीन हजार से ज्यादा स्कूलों के बच्चों ने इसे जड़ से खत्म करने की कसम खा रखी है. स्कूल ड्रेस में एक कतार में खड़े ये बच्चे हाथ फैलाए, सिर ऊंचा किए शपथ ले रहे हैं. शपथ बाल विवाह रोकने की. स्कूल परिसर में बच्चे मराठी में शपथ ले रहे हैं, “हम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बाल विवाह में शामिल नहीं होंगे. हम न तो इसका प्रमोशन करेंगे और न ही इसका समर्थन करेंगे…”
प्रत्येक सोमवार को यह नजारा बीड के 3,657 स्कूलों में होता है, जिसमें 5.44 लाख से अधिक बच्चे भाग लेते हैं. इस अभियान का प्रभाव ऐसा रहा कि कई बच्चे मुखबिर बन गए हैं. अगर कहीं भी ऐसा कोई मामला जानने में आता है तो बच्चे सावधानी से हेल्पलाइन नंबर 1098 डायल करते हैं. इन बच्चों ने 10 वर्ष से कम उम्र की कई बच्चियों की मदद की है जिनका बाल विवाह हो रहा था.
बच्चे आए आगे
एक 14 साल की बच्ची जोकि उन्हीं में से एक स्कूल की छात्रा है ने इंडियन एक्सप्रेस से हुई बातचीत में बताया कि जब उसकी 13 साल की चचेरी बहन को शादी के लिए मजबूर किया जा रहा था तो उसे लगा कि कार्रवाई करना उसकी जिम्मेदारी है. उसे पता था कि उसके माता-पिता बात नहीं सुनेंगे. उसने अपने एक दोस्त का फोन लेकर 1098 पर कॉल किया, जिससे उसकी चाइल्ड मैरिज होने से बच सकी. बीड में बच्चों की मुहिम का नतीजा है कि बीड में चाइल्ड मैरिज के बारे में पता चल पा रहा है. पहले पुलिस और चाइल्ड मैरिज रोकथाम संगठन को इस बारे में सूचना ही नहीं मिल पाती थी.
बच्चों की इस पहल के बाद से पूरे बीड में बाल विवाह को रोकने के लिए कई सारे कॉल आए. एक रिपोर्ट के अनुसार जिले में प्रति माह औसतन 30 कॉल आती हैं, जो पिछले वर्ष प्रति माह दो कॉल के बिल्कुल विपरीत है.
आईएएस की मुहिम आई काम
इसका सबसे अधिक असर तब देखने को मिला जब फरवरी में आईएएस अधिकारी दीपा मुधोल मुंडे ने नए जिला कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला. उनकी आज्ञा के बाद से निजी और सरकारी स्कूलों में लेना शपथ अनिवार्य हो गया था. 12 पंक्तियों वाली यह कविता मूल रूप से धुले में महिला एवं बाल विकास अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए बनाई गई थी, लेकिन बाद में इसे बीड जिले की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलित किया गया. दीपा ने कहा, “बच्चे और उनके माता-पिता अक्टूबर से गन्ना काटने वाली फैक्टरियों में चले जाते हैं. हमने प्रवासन से पहले उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए ये शपथ ग्रहण कार्यक्रम शुरू किए, जिस समय जल्दबाजी की वजह से सबसे ज्यादा बाल विवाह होते हैं. ”
अभी कितने मामले
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2016-17 में बाल विवाह की रिपोर्ट करने के लिए केवल 19 कॉल प्राप्त हुईं, जो 2017-18 में बढ़कर 27 हो गईं, लेकिन 2018-19 में घटकर 17 रह गईं. 2019-20 में यह आंकड़ा बढ़कर 39 हो गया. कोविड महामारी के दौरान जब राज्य भर में बाल विवाह की घटनाएं बढ़ीं, तो 2020-21 में रिपोर्ट बढ़कर 41 और 2021-22 में 83 हो गई. वहीं 2022-23 में 132 मामले सामने आए.
इसके अलावा युवा लड़कों को जेंडर रोल्स के बारे में शिक्षित करने के लिए, बीड यूनिसेफ के साथ मिलकर 125 जिला परिषद स्कूलों में कार्यशालाएं आयोजित करता है. इसका उद्देश्य इस धारणा को दूर करना है कि महिलाएं अकेले घर के काम के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि पुरुष कमाई के लिए जिम्मेदार हैं. ये कार्यशालाएं घरेलू आय में महिलाओं के योगदान और पुरुषों द्वारा घरेलू जिम्मेदारियों को साझा करने के महत्व पर जोर देती हैं. ये रूढ़िवादिता को दूर करने में मदद करते हैं.
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