महाराष्ट्र का एक ऐसा गांव हैं, जहां दिवाली पर पटाखों का शोर नहीं सुनाई दिया. इस गांव में लोगों ने दिवाली के त्योहार पर पटाखे नहीं बजाने का फैसला किया. इस गांव में साढ़े चार सौ लोग रहते हैं. चिनचानी गांव के लोगों ने रंगोली और दीपों के साथ पारंपरिक तरीके से दिवाली का उत्सव मनाया. गांव में पटाखे नहीं बजाने का कनेक्शन 9 साल पुरानी एक घटना से है.
चिनचिना गांव ने पटाखों से बनाई दूरी-
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के चिनचनी गांव के लोगों ने दिवाली के मौके पर पटाखों से दूरी बना ली है. गांव के लोगों ने सामूहिक तौर पर पटाखे नहीं जलाने का फैसला किया. गांववालों ने रंगोली और रोशनी से दिवाली का त्योहार मनाया. 9 साल पहले इस गांव में दिवाली के मौके पर एक ऐसी घटना हुई थी, जिसके बाद इस बार लोगों ने बिना पटाखों की दिवाली मनाने का फैसला किया.
9 साल पहले की घटना से है कनेक्शन-
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक किरण जाधव के एक पोमेरेनियन की याद में पूरे गांव ने पटाखे त्यागने का फैसला किया है. सोलापुर के चिनचनी गांव में 9 साल पहले दिवाली के त्योहार के दिन पटाखों के शोर से एक एक पालतू कुत्ते की मौत हो गई थी. उसका नाम भालू था. रिपोर्ट के मुताबिक जाधव साल 2014 की घटना को याद करते हुए बताते हैं कि पटाखों के शोर के कारण भालू असामान्य व्यवहार करने लगा था. वह सोफे के नीचे छिप गया और फिर फर्श को खरोंचने लगा था.
पालतू जानवरों पर पड़ने वाले इस प्रभाव से जाधव परिवार अनजान था. परिवार उस डॉगी को लेकर सामने के यार्ड में ले गए. वो एक गन्ने के खेत में गया और उसका अंत हो गया. जाधव ने बताया कि इंसान, पशु, पक्षी सबका जीवन अनमोल है. लोगों को पटाखे फोड़ने से बचना चाहिए.
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