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Birthday Anniversary: माखनलाल चतुर्वेदी अपनी लेखनी से देशभक्तों में भर देते थे जान, हिंदी के लिए लौटा दिया था पद्मभूषण सम्मान, बापू ने दी थी सजा, जानिए क्यों

Makhan Lal Chaturvedi Birthday Special: प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक और कवि माखन लाल चतुर्वेदी ने अपनी लेखनी के माध्यम से देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. वे अपने पत्रों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ निडर होकर लिखते थे. इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. 

महान कवि, लेखक और पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी (फाइल फोटो) महान कवि, लेखक और पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • माखन लाल चतुर्वेदी को 1963 में पद्मभूषण से किया गया था अलंकृत

  • 1949 में हिमतरंगिनी के लिए मिला था साहित्य अकादमी पुरस्कार

देश के महान कवि, लेखक और पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल को 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में बाबई नामक स्थान पर हुआ था. माखन लाल अपनी लेखनी से देशभक्तों में जान भर देते थे. उनकी कई कविताएं देशप्रेम से भरी हुई हैं. वे देश की आजादी के लिए कई बार जेल भी गए. आइए इस महान कवि से जुड़े कुछ रोचक किस्सों के बारे में जानते हैं.

राष्ट्रपिता से क्रांतिकारी की मदद करने की बताई थी बात
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे. वह देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई करने के खिलाफ थे. उधर, माखन लाल चतुर्वेदी क्रांतिकारियों के विचारों के अखबार में छापने के साथ, उनकी व्यक्तिगत रूप से कुछ सहायता भी करते थे. एक बार जबलपुर में एक क्रांतिकारी को माखन लाल ने शरण दी थी. जब उन्हें मालूम चला कि पुलिस क्रांतिकारी को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है, तब माखन लाल ने उस क्रांतिकारी को किसी तरह नागपुर ले जाकर छोड़ा था. इसके बाद माखन लाल को लगा कि यह गलत है तो उन्होंने इस घटना को बापू से बताया. उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बताया कि कैसे उन्होंने एक क्रांतिकारी की मदद की है. उस समय बापू ने उन्हें प्रायश्चित के तौर पर एक दिन का निर्जला व्रत रखने को कहा. उपवास के बाद माखन लाल को बापू ने खुद खाना परोसकर खिलाया था. 

मुख्यमंत्री के पद को ठुकरा दिया था
माखन लाल चतुर्वेदी से जुड़ी एक किस्सा कवयित्री महादेवी वर्मा बताती थीं. हमारा देश जब स्वतंत्र हुआ तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए माखन लाल चुना चतुर्वेदी गया. जब इन्हें इसकी सूचना दी गई तो इन्होंने कहा, शिक्षक और साहित्यकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बना तो मेरी पदावनति होगी. इन्होंने मुख्यमंत्री के पद को ठुकरा दिया था. इसके बाद रविशंकर शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया गया था. महान साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी का निधन 30 जनवरी, 1968 को हुआ था. 

हिमतरंगिनी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
माखन लाल ने प्रभा, कर्मवीर और प्रताप का संपादन किया. साल 1918 में प्रसिद्ध 'कृष्णार्जुन युद्ध' नाटक की रचना की थी. साल 1949 में 'हिमतरंगिनी' के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने हिमकिरीटिनी, हिम तरंगिनी, युग चरण, समर्पण, मरण ज्वार, माता, वेणु लो गूंजे धरा, 'बीजुरी काजल आंज रही' जैसी प्रमुख कृतियों सहित कई अन्य रचनाएं कीं.माखन लाल चतुर्वेदी को कविता संग्रह हिमकिरिटिनी के लिए 1943 में देव पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुष्प की अभिलाषा...और अमर राष्ट्र... जैसी रचनाओं के लिए उन्हें सागर विश्वविद्यालय ने डी.लिट् की मानद उपाधि से नवाजा था. 

लौटा दिया था पुरस्कार
भारत सरकार ने 1963 में माखन लाल चतुर्वेदी को पद्मभूषण से अलंकृत किया था. लेकिन 10 सितंबर 1967 को राजभाषा हिंदी पर आघात करने वाले राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में माखन लाल ने यह पुरस्कार लौटा दिया था. वर्ष 1990 में भोपाल में पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना माखन लाल चतुर्वेदी के नाम पर किया गया है.