आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले भी अब हाईटेक नजर आने लगा है. यहां रोबोट ने यातायात व्यवस्था की कमान संभाल ली है. इंदौर के बाद मध्य प्रदेश में संभवता मंडला ही दूसरा जिला है जहां रोबोट यातायात व्यवस्था में तैनात किया गया है. सबसे ख़ास बात यह कि यह रोबोट कोई लाखों के खर्च करने पर नहीं बल्कि महज 2 - 3 हजार रुपये के खर्च पर बनकर तैयार हो गया है.
रोबोट को बेहतर बनाने पर हो रहा काम
मंडला में यातायात पुलिस में बतौर सूबेदार पदस्थ योगेश सिंह राजपूत ने इस रोबोट को तैयार किया है. इसे घर में उपलब्ध चीजों एवं कुछ मेकनिज्म बनाकर तैयार किया गया है. जब पहली बार प्रयोग के लिए मंडला के व्यस्तम चिलमन चौक में सड़क पर उतारा गया तो लोग सुखद आश्चर्य में पड़ गए. यह रोबोट ट्रैफिक लाइट के मुताबिक लोगों को रुकने और आगे बढ़ने का संकेत देता है. अभी इसका प्रयोग सफल रहा है. इस पर अधिक काम करने के बाद इसकी कमियों को दूर कर और बेहतर बनाया जाएगा.
रोबोट का पहला प्रयोग सफल
सूबेदार योगेश सिंह राजपूत, यातायात पुलिस, मंडला (रोबोट के आविष्कारक) का कहना है कि आम जन में जागरुक कर उनमें ट्रैफिक सेंस लाने के लिए यह रोबोट तैयार किया गया है. यह रोबोट लोगों को ट्रैफिक सिग्नल समझने में मदद करेगा. हमने घर में उपलब्ध चीजों एवं कुछ मैकेनिज्म बनाकर इसे तैयार किया है. प्रयोग के तौर पर अभी इसका उपयोग किया है. इसका पहला प्रयोग काफी कारगर रहा है. इसको और बेहतर बनाने की प्रक्रिया जारी है.
कबाड़ से जुगाड़ कर रोबोट बनाया
यशपाल सिंह राजपूत, पुलिस अधीक्षक, मंडला का कहना है कि मंडला में यातायात सूबेदार ने कबाड़ से जुगाड़ कर रोबोट बनाया है. इसकी रिहर्सल अभी की है, इसमें अभी काम चल रहा है. यह टाइमर से काम करता है. 40 सेकंड में यह ट्रैफिक को खोलता है और बंद करता है. यदि यह प्रयोग सफल रहा तो इसे अन्य चौराहों में भी लगाया जा सकता है.
सैयद जावेद अली की रिपोर्ट