हिंदु धर्म में बहुत से लोग लड्डूगोपाल की सेवा करते हैं. भगवान कृष्ण के इस बाल रूप की सेवा के अपने नियम हैं. बहुत से घरों में भगवान को परिवार का सदस्य मानकर एक बच्चे की तरह उनका लालन-पालन किया जाता है. भगवान के प्रति लोगों का इतना स्नेह होता है कि वे हर जगह अपने लड्डूगोपाल को लेकर जाते हैं.
मथुरा के वृंदावन में भी एक भक्त की लड्डूगोपाल के प्रति असीम भक्ति देखने को मिल रही है. जिसके बारे में सुनकर लोगों का मन प्रेम से भर जाता है. दरअसल, वृंदावन के सांदीपनि मुनि स्कूल में लड्डूगोपाल को भी पढ़ाया जा रहा है. और ऐसा हुआ है एक भक्त के कारण. यह कहानी है रामगोपाल तिवारी की.
जिन्होंने अपने लड्डूगोपाल का दाखिला स्कूल में कराया है. रामगोपाल भगवान को प्यार से मुच्चूगोपाल कहते हैं. वह मुच्चू को सुबह स्कूल छोड़कर आते हैं और दोपहर को पढ़ाई होने के बाद वापस घर ले आते हैं. यह सिलसिला पिछले 4 साल से चल रहा है.
अपना घर छोड़ चुके हैं रामगोपाल
दिल्ली निवासी राम गोपाल तिवारी 7 साल पहले अपना घर बार छोड़ वृंदावन में आ गए और कान्हा की भक्ति में लीन हो गए. वह वृंदावन के एक आश्रम में रहने लगे. रामगोपाल की दिनचर्या अपने लाडले लड्डू गोपाल की सेवा पूजा से शुरू होती और रात में उनकी सेवा में ही पूरी हो जाती है.
लेकिन 4 साल पहले अचानक उनके मन में सवाल उठा कि सब बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं तो उन के लड्डू गोपाल क्यों नहीं? और वह बुर्जा मार्ग स्थित सांदीपनि मुनि स्कूल में अपने लड्डू गोपाल की मूर्ति को लेकर दाखिला कराने पहुंच गए. पहले तो प्रधानाचार्य दीपिका शर्मा ने ना नूकुर की लेकिन भक्त रामगोपाल जिद पर अड़ गए. थक हार कर स्कूल वालों ने लड्डू गोपाल को स्कूल में आने की परमिशन दे दी.
तीसरी कक्षा में पढ़ रहे हैं लड्डू गोपाल
4 साल से स्कूल आने वाले लड्डू गोपाल अब तीसरी कक्षा में पढ़ रहे हैं. लेकिन बैठते नर्सरी में ही हैं. हर रोज एक छात्र की तरह सुबह स्कूल की यूनिफार्म पहन कर, लंच बॉक्स और पानी की बोतल लेकर, ई-रिक्शा में बैठकर मुच्चू गोपाल स्कूल पहुंच जाते हैं. फिर यहां छात्रों के साथ पढ़ाई करते हैं.
भक्त रामगोपाल कहते हैं कि मेरे मन में भाव आया के जब सभी बच्चे पढ़ने जाते हैं तो मेरे लड्डू गोपाल क्यों नहीं जाएंगे. इसलिए मैंने स्कूल वालों से ज़िद की. उसके बाद उन्हें स्कूल में आने की परमिशन मिली. मैं इनकी अपने बच्चे के रूप में सेवा-पूजा करता हूं. मैं इनकी आरती नहीं करता और मैं उनको अपने साथ ही रखता हूं. अब ये यहां पढ़ने आते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है और आनंद की अनुभूति होती हौ.स्कूल वाले उन्हें क्लास पास करने का रिपोर्ट कार्ड भी देते हैं.
स्कूल को अब नहीं है कोई परेशानी
स्कूल की प्रिंसिपल दीपिका शर्मा कहती हैं कि शुरू में तो हमें थोड़ा अजीब लगा पर अब सब ठीक है. अब लड्डू गोपाल जी यहां आते हैं तो हम भी इन्हें आम बच्चे की तरह देखते हैं. बच्चों को भी बहुत अच्छा लगता है. बच्चे लड्डू गोपाल के साथ खेलते हैं और पढ़ते हैं.
(मदन गोपाल शर्मा की रिपोर्ट)