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मटकी बनाने वाले मजदूर को 10.50 करोड़ का टैक्स नोटिस, पढ़िए बूंदी के विष्णु की थ्रिलर फिल्म जैसी कहानी

विष्णु ने जब यह नोटिस देखा तो उसे यकीन नहीं हुआ. पहले तो परिवार वालों को लगा कि ये कोई मज़ाक या धोखा है, लेकिन जब नोटिस की गहराई से जांच की गई तो बात गंभीर निकली. विष्णु तुरंत जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचा और अपनी फरियाद सुनाई.

10.50 करोड़ का टैक्स नोटिस 10.50 करोड़ का टैक्स नोटिस

राजस्थान के बूंदी जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर हर कोई चौंक गया. एक साधारण मटकी बनाने वाले मजदूर को आयकर विभाग से 10.50 करोड़ रुपये का नोटिस मिला है. युवक का नाम विष्णु प्रजापत है और वह बूंदी जिले के झाला जी का बराना गांव का रहने वाला है. विष्णु की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं लगती- जहां नायक गरीब है, मासूम है और अचानक करोड़ों के घोटाले में फंस जाता है.

"मटकी बनाता हूं साहब, हीरे नहीं बेचता!"
विष्णु प्रजापत अपने पुश्तैनी पेशे से जुड़ा है और अपने परिवार के साथ मिलकर मिट्टी की मटकी और बर्तन बनाने का काम करता है. उसकी आमदनी बेहद सीमित है, लेकिन जब उसे इनकम टैक्स विभाग से 10 करोड़ 50 लाख रुपये का नोटिस मिला तो उसका और उसके पूरे परिवार का होश उड़ गया.
"साहब, मटकी बनाता हूं. अगर 10 करोड़ होते तो विदेश चला गया होता," विष्णु ने पत्रकारों से बातचीत में कहा. विष्णु ने बताया कि इस नोटिस के बाद उसका जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. वह किसी भी कीमत पर इतने बड़े लेन-देन का हिस्सा नहीं हो सकता.

डायमंड और ज्वेलरी के नाम पर बना फर्जी लेन-देन
जांच में पता चला है कि विष्णु के नाम से एक फर्जी फर्म बनाई गई है. उसके आधार कार्ड और पैन कार्ड का दुरुपयोग करके यह फर्म रजिस्टर्ड की गई, जिसके माध्यम से हीरे और आभूषणों का लगभग 18 करोड़ रुपये का लेन-देन दिखाया गया है. इस फर्जीवाड़े के आधार पर आयकर विभाग ने विष्णु को 10.50 करोड़ रुपये का टैक्स नोटिस भेज दिया.

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"नींद उड़ गई, पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचा"
विष्णु ने जब यह नोटिस देखा तो उसे यकीन नहीं हुआ. पहले तो परिवार वालों को लगा कि ये कोई मज़ाक या धोखा है, लेकिन जब नोटिस की गहराई से जांच की गई तो बात गंभीर निकली. विष्णु तुरंत जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचा और अपनी फरियाद सुनाई. पुलिस ने पहले इसे हल्के में लिया, लेकिन दस्तावेजों की जांच के बाद उन्हें भी यकीन हो गया कि मामला गंभीर है. विष्णु ने अपनी बात को साबित करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज दिखाए.

साइबर थाना कर रहा है जांच
अब यह मामला साइबर थाने को सौंपा गया है. साइबर सेल के हेड कांस्टेबल मुकेंद्र पाल सिंह ने पुष्टि की कि विष्णु के दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर फर्म बनाई गई है. इस फर्म के नाम पर करोड़ों का लेन-देन किया गया और इसी के आधार पर आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है. उन्होंने कहा, "फिलहाल हम जांच कर रहे हैं कि आखिर किसने विष्णु के दस्तावेजों का दुरुपयोग किया, कैसे फर्म बनाई गई और इतने बड़े लेन-देन को अंजाम दिया गया. हमारा प्रयास है कि पीड़ित को जल्द से जल्द राहत मिले."

विष्णु का मामला उन हजारों-लाखों आम लोगों की हकीकत को सामने लाता है जो डिजिटल दौर में अपनी पहचान के दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर सतर्क नहीं रहते. आधार और पैन कार्ड का गलत इस्तेमाल कर किसी भी मासूम व्यक्ति को करोड़ों के झूठे मामले में फंसाया जा सकता है. सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को चाहिए कि वे इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं और आम जनता को समय-समय पर जागरूक करें.

फिलहाल मामले की जांच जारी है, लेकिन विष्णु की यह कहानी सोशल मीडिया से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक चर्चा का विषय बनी हुई है. 

(भवानी सिंह हाड़ा की रिपोर्ट)