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Delhi hospital fire: मिलिए दिल्ली फायर सर्विस के जांबाज सिपाहियों से, जिनकी बदौलत बच पाई 5 नवजात बच्चों की जान

दिल्ली फायर सर्विस के 3 फायर ऑपरेटर से हमने बात की जोकि घटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचे थे. ये तीनों फायर ऑपरेटर उस रैस्क्यू टीम का हिस्सा थे जिस टीम ने जलती हुई बिल्डिंग के अंदर घुसकर नवजात बच्चों की जान बचाई.

brave soldiers of Delhi Fire Service brave soldiers of Delhi Fire Service

दिल्ली के विवेक विहार में चाइल्ड केयर सेंटर में आग लगने से 7 नवजात बच्चों की मौत हो गई लेकिन दिल्ली फायर सर्विस के कुछ कर्मचारियों के बुलंद हौसलों की वजह से 5 नवजात बच्चों की जान बचाई भी गई है. दिल्ली फायर सर्विस के 3 फायर ऑपरेटर से हमने बात की जोकि घटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचे थे. ये तीनों फायर ऑपरेटर उस रैस्क्यू टीम का हिस्सा थे जिस टीम ने जलती हुई बिल्डिंग के अंदर घुसकर नवजात बच्चों की जान बचाई.

60 डिग्री से ज्यादा था कमरे का तापमान
जब हम घटना स्थल पर पहुंचे तो पूरा चाइल्ड केयर सेंटर आग की चपेट में आ चुका था. सिलेंडर में रह रह कर ब्लास्ट हो रहा था. तभी किसी ने हमें बताया कि अंदर बच्चे मौजूद हैं. हमारी 2 टीमें बनाई गई, एक रेस्क्यू के लिए और दूसरी आग बुझाने के लिए. हम तीनों रेस्क्यू टीम में थे. फायर ऑपरेटर अनिल कुमार बताते हैं कि हमने अंदर जाने का रास्ता खोजना शुरू किया. किसी ने हमें पीछे का रास्ता दिखाया जहां पर लोगों ने पहले से ही सीढ़ी लगा रखी थी. हम सीढ़ी पर चढ़कर खिड़की के जरिए कमरे में दाखिल होने को तैयार हुए लेकिन उस वक्त कमरे का तापमान 60-70 डिग्री से भी ज्यादा था .

हमने बच्चों को जलते हुए देखा
फायर ऑपरेटर दीन दयाल मीना बताते हैं कि अंदर के हालात बेहद खतरनाक थे. जब हम कमरे में पहुंचे तो वहां बुरा हाल था और छत का लैंटर टूट टूट कर बच्चों के ऊपर गिर रहा था. कुछ बच्चों के हाथ जल चुके थे तो किसी के पैर, कई बच्चों का पेट फट चुका था लेकिन हमने ये सब कुछ भूलकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. हम सब चेन बनाकर खड़े हो गए. फायर ऑपरेटर दीन दयाल मीना बताते हैं कि हम एक के बाद एक बच्चों को कपड़े में लपेटकर बाहर निकालते रहे. धीरे-धीरे हमने 12 बच्चे बाहर निकाले. उस वक्त हमें नहीं पता था कि कितने बच्चे जीवित हैं और कितनों ने अपनी जान गंवा दी. हम बस बेसुध होकर बच्चों को बाहर निकालने में लगे थे.

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काश हमें 10 मिनट पहले सूचना मिलती!
रेस्क्यू टीम के फायर ऑपरेटर लोकेश मीना का कहना है कि काश हम को 10 मिनट पहले सूचना मिल जाती. अगर हम दस मिनट पहले पहुंच जाते हैं तो शायद सारे बच्चों की जान बच जाती. कहा जा रहा है कि चाइल्ड केयर सेंटर ने फायर डिपार्टमेंट को आग की सूचना 35 मिनट बाद दी थी. 

हमें अपने या हमारे परिवार की चिंता नहीं थी
रेस्क्यू टीम के इन फायर ऑपरेटर्स का भी परिवार है. इनके भी बच्चे हैं. हालांकि ये लोग कहते हैं घटना स्थल पर पहुंचकर हम सबके दिमाग में अपने अपने परिवार की चिंता नहीं चल रही थी बल्कि हमारी यह कोशिश थी हम ज्यादा से ज्यादा बच्चों की जान बचा पाए. फायर ऑपरेटर्स बताते हैं कि उन्होंने अपने करियर में इतना भयानक हादसा नहीं देखा जिसमें सिर्फ छोटे नवजात बच्चों ने ही अपनी जान गंवाई हो. आज पूरा देश इन फायर फाइटर्स को सलाम कर रहा है.