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Positive Story: मिलिए उत्तराखंड की पहली Leaf Artist से, पीपल के पत्ते पर बनाती हैं तस्वीरें, हर मुश्किल से लड़कर बनाई अपनी पहचान

जया वर्मा को उत्तराखंड की पहली Leaf Artist के तौर पर पहचान मिली है. इस पहचान के लिए उन्होंने सालों तक लगातार मेहनत की और अपनी किस्मत खुद बदली.

Jaya Verma, Leaf Artist Jaya Verma, Leaf Artist

उत्तराखंड की जया वर्मा का सफर इस बात का सटीक उदाहरण है कि अगर कोई चाहे तो खुद अपनी किस्मत लिख सकता है. रूढ़िवादी परंपराओं से बंधे परिवार में जन्मी जया को एक बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने खुद अपनी किस्मत लिखी और आज हर कोई उन्हें जान रहा है.

जया का जन्म अक्टूबर 1990 में उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के सुदूर गांव कांडा में किसान देवी लाल वर्मा और मां प्रेमा वर्मा के घर हुआ था. चुनौतीपूर्ण इलाका, सीमित संसाधन और आजीविका ने जया को यहां के ज्यादातर बच्चों की तरह बचपन से वंचित कर दिया. पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर रहने वाली जया की शादी 2008 में 18 साल की कम उम्र में हो गई थी. उस समय वह 12वीं कक्षा में थीं. उनका पढ़ने का मन था लेकिन वह नहीं पढ़ पाईं. 

राज्य की पहली लीफ आर्टिस्ट
जया वर्मा अब अपनी लीफ आर्ट यानी पत्ते पर चित्रकारी के लिए उत्तराखंड में प्रसिद्ध हैं. वह पीपल के पत्तों (फ़िकस रिलिजियोसा) या अंजीर के पत्तों पर लोगों की तस्वीर बनाती हैं. बतौर लीफ आर्टिस्ट उन्होंने अपनी असाधारण क्षमताओं के लिए पहचान हासिल की है. पत्तों पर पेंटिंग के अलावा, जया को गेहूं की स्टिक्स का उपयोग करके बनाई गई कलाकृतियों के लिए भी जाना जाता है. 

उनका कहना है कि उन्हें बचपन से ही चित्रकारी के प्रति गहरी रुचि रही है, लेकिन पिछले दो या तीन सालों में, उन्होंने पीपल के पत्तों पर चित्र बनाना शुरू कर दिया. वह पीपल के पत्तों पर आसानी से किसी भी व्यक्ति का सजीव चित्र बना सकती हैं. जया ने अपनी साधारण पेंटिंग्स के साथ व्यावसायिक क्षेत्र में कदम रखा और उन्हें सफलता मिली. 

पेंटिंग्स से बना करियर
जया ने शुरू में कपड़ा कला (Fabric Art) में विशेषज्ञता हासिल की, लेकिन समय के साथ, उन्होंने पेंटिंग में अपना ध्यान केंद्रित किया और लीफ आर्ट में महारत हासिल की. इसके अलावा, जया ने कैनवास, लकड़ी और कांच पर अपने काम के लिए भी पहचान हासिल की है और अब वह अपनी कलात्मक रचनात्मकता के लिए उत्तराखंड में व्यापक रूप से जानी जाती हैं. जया ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा, अभिनेता सोनू सूद और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए पत्तों पर पेंटिंग बनाई हैं.

अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत एम.ए. और बी.एड. की पढ़ाई पूरी करने वाली जया एक स्कूल में टीचर के तौर पर भी काम करती हैं. जया ने खासकर बच्चों को अपनी कला सिखाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है. उन्होंने 1,442 बच्चों को साधारण पीपल के पत्तों और गेहूं के भूसे से कला बनाने का प्रशिक्षण दिया है. इनमें से कई बच्चों ने कला के माध्यम से अपनी आजीविका का साधन ढूंढ लिया है. 

जया की कलाकृतियां, पत्ती और पुआल कला, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और नेटवर्क मार्केटिंग के माध्यम से 500 से 3000 रुपए तक की कीमतों पर बिकती हैं. जिससे वह आत्मनिर्भर बन रही हैं. महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और मध्य प्रदेश में सैकड़ों प्रशंसक और खरीदार जया की कला को पहचान दे रहे हैं.