चेन्नई की रहने वाली सत्यवानी का पसंदीदा काम था टेलरिंग ताकि वो अपनी बेटियों की मदद कर सकें. लेकिन आटोरिक्शा था जिसने उस सच्ची आजादी दी. लेकिन सत्यवानी इस फैसले का श्रेय नहीं लेती हैं. सत्यवानी ने तीन बेटियों को जन्म दिया जिसके बाद उनके पति ने उन्हें घर से निकाल दिया था. कोरुक्कुपेट की रहने वाली सत्यवानी की उम्र उस समय 24 साल थी जब उन्हें अपने प्रोफेशन और पसंदीदा काम में से किसी एक चीज को चुनना था. सत्यवानी ने ऑटो चलाना चुना जोकि उन्हें उनके परिवार का पालन-पोषण करने और उन्हें शिक्षा देने में मदद कर रहा है.
बनाया एक ग्रुप
सत्यवानी ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मेरे पति इस बात से नाराज थे कि मेरे सारे बच्चे लड़कियां हुई और इसलिए वो छोड़कर चले गए. मुझे पता था कि मैं कुछ करना चाहती हूं लेकिन क्या वो पता नहीं था. जब मैंने पहली बार तमिलनाडु महिला विकास निगम द्वारा कौशल विकास पाठ्यक्रम के लिए आवेदन किया, तो मेरी पहली पसंद सिलाई थी." सत्यवानी की मां ने उन्हें कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया जिसके बाद उन्होंने 19 अन्य महिलाओं के साथ ऑटोरिक्शा ड्राइविंग क्लासेस को चुना. सत्यवानी ने बताया कि घर और समाज के दबाव के कारण कोई भी इसे पेशे के रूप में नहीं अपना सकता था वो अकेली थीं जिसने ऐसा किया था. सत्यवानी ने चेन्नई की सड़कों पर ऑटो चलाना शुरू कर दिया. एक तरफ जहां कुछ पैसेंजर्स ने उनका स्वागत किया वहीं कुछ को महिला का ऑटो चलाना अच्छा नहीं लगा.
खुद तय कर सकेंगी नियम
कुछ और महिलाओं के ऑटो चालकों के तौर पर सड़क पर आने के बाद, सत्यवानी ने एक ग्रुप बनाने का फैसला किया. उसके व्हाट्सएप ग्रुप में अब लगभग 200 महिलाएं हैं. वे कठिन परिस्थितियों में एक-दूसरे की मदद करती हैं, एक-दूसरे की बात सुनती हैं और अन्य महिलाओं को इस पेशे को अपनाने में मदद करती हैं. सत्यवानी ने कहा,“मैं हमेशा महिलाओं जिन्होंने मेरे साथ ऑटो में सफर किया है और अन्य महिलाओं से कहती हूं कि उन्हें एक अच्छी आजीविका कमाने के लिए झुकने की जरूरत नहीं है. यह (ऑटोरिक्शा की सवारी) आपको एक दिन में 500 रुपये और 1,000 रुपये तक कमाने में मदद करती है. इसके अलावा आप अपने काम के नियम और समय खुद तय कर सकते हैं.”