ओडिशा में नुआपड़ा जिले के कुरुमुंडा गांव में एक अनोखी पहल की शुरुआत हुई है. यहां पर अह लोगों को अब सामुदायिक दावतों या आयोजनों के लिए प्लास्टिक क्रॉकरी खरीदने की जरूरत नहीं है. दरअसल, ग्राम पंचायत की सरपंच सरोज देवी ने एक 'बर्तन बैंक' की स्थापना की है. भालेश्वर ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों में आगामी शादी के मौसम और अन्य सामाजिक या धार्मिक उत्सव के दौरान उनकी सभी तरह के बर्तनों की जरूरत को यह बर्तन बैंक मुफ्त में पूरा करेगा.
सरोज देवी ने पिछले सप्ताह कुरुमुंडा में यह पहल शुरू की. यह एक सामुदायिक पहल है जिसका उद्देश्य ऐसे आयोजनों के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम से कम करना है.
खर्च किए 75000 रुपए
ग्राम पंचायत ने बर्तनों का एक डिपो बनाने के लिए गांव के फंड से 75,000 रुपये खर्च किए, जिसमें बड़े खाना पकाने के बर्तन, स्टील प्लेट, कटोरे, गिलास और चम्मच शामिल हैं जिनका उपयोग सामुदायिक समारोहों और शादियों के दौरान किया जा सकता है. सरोज ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि शादियों के सीजन में गांव में बहुत ज्यादा प्लास्टिक कचरा देखा जाता है. लोग दावतों के लिए मुख्य रूप से प्लास्टिक की प्लेटों, कटोरियों, चम्मचों और गिलासों पर निर्भर रहते हैं, और यह कचरा जमा होता जाता है. प्लास्टिक कचरे का निपटान एक बड़ा काम है और परेशानी तब बढ़ती है जब मवेशी या जानवर डंप यार्ड से प्लास्टिक निगल लेते हैं.
इस पर रोक लगाने के लिए सरपंच ने ग्रामीणों से बात की और वे 'बर्तन बैंक' खोलने के समाधान पर पहुंचे. लोग इस उद्देश्य के लिए ग्राम निधि का उपयोग करने के ग्राम पंचायत अधिकारियों के प्रस्ताव पर सहमत हुए. यही कारण है कि बर्तनों के उपयोग के लिए गांववालों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. वे शादी-ब्याह या किसी दूसरे उत्सव के लिए इन्हें उधार ले सकते हैं लेकिन बर्तनों को अच्छी तरह से साफ करने के बाद उन्हें वापस करना होगा. और अगर किसी की लापरवाही से बर्तन खराब होते हैं तो उनसे शुल्क लिया जाएगा.
गांव के बुजुर्ग और युवा करेंगे मैनेज
बर्तन खरीदने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए रखने के लिए इस पूरी पहल में ग्राम पंचायत अधिकारियों के साथ ग्रामीणों को भी शामिल किया गया. सरोज देवी अब इस सुविधा को पूरी पंचायत में दोहराने की योजना बना रही हैं. भालेश्वर ग्राम पंचायत में नौ गांव हैं. सभी गांवों में 'बर्तन बैंक' स्थापित होने के बाद, गांव के बुजुर्गों को युवाओं की मदद से इन्हें प्रबंधित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी. अगले छह माह में सभी बर्तन बैंक स्थापित हो जायेंगे.