साल 2023 को International Year of Millets के तौर पर मनाया जा रहा है. नरेंद्र मोदी सरकार भारत को 'श्री अन्ना' (मिलेट्स) की खेती और अनुसंधान का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. ऐसे में, मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले में 27 वर्षीय बैगा आदिवासी महिला लहरी बाई, इस प्रयास में एक ब्रांड एंबेसडर के रूप में उभरी हैं.
सिलपाड़ी गांव की मूल निवासी, बैगा आदिवासी, जिन्हें विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों में गिना जाता है, लहरी बाई अपने माता-पिता के साथ दो कमरे के इंदिरा आवास घर में रहती हैं. जहां एक कमरा लिविंग रूम और किचन के रूप में है, तो वहीं दूसरे कमरे को उन्होंने बीज बैंक बना लिया है. इस बैंक में कोदो, कुटकी, सनवा, मढ़िया, सालहर और काग फसलों सहित बाजरा के लगभग 150 से अधिक दुर्लभ बीजों का संरक्षण किया गया है.
मुफ्त में बांटती हैं बीज
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इन बीजों को लहरी बाई अपने खेतों के एक हिस्से में बोती हैं. इसके बाद, इन अलग-अलग किस्म के बीजों को उनके अपने गांव के साथ-साथ अन्य 15-20 गांवों में किसानों को बांटा जाता है और वह भी निशुल्क. इसके बदले में किसान लहरीबाई को अपनी उपज का एक छोटा सा हिस्सा उपहार स्वरूप देते हैं.
हालांकि, एक समय था जब लहरी बाई का मजाक उड़ाया जाता था. लहरी बाई याद करती हैं कि लोग उनका मजाक बनाते थे और अक्सर उन्हें दूर भगा देते थे. लेकिन उनके हमेशा से केवल दो मिशन थे, एक शादी न करना और जीवन भर माता-पिता की सेवा करना और दूसरा मिलेट्स के बीजों का संरक्षण करना और उनकी खेती को बढ़ावा देना. आज हर कोई उनका सम्मान करता है.
पीएचडी के छात्रों का करेंगी मार्गदर्शन
डिंडोरी के जिला कलेक्टर विकास मिश्रा ने लहरी (जो कभी स्कूल नहीं गए) को जोधपुर स्थित आईसीएआर की प्रतिष्ठित 10 लाख रुपये की छात्रवृत्ति के लिए नामित किया है. उन्होंने कहा कि अगर लहरी को छात्रवृत्ति मिलती है, तो वह पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन करती नजर आएगी.