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Inspiring: मां ने बेटे के साथ बाइक पर बैठकर तय किया 8400 Km का सफर...बोलीं- 'सिर्फ योगा की वजह से ऐसा हो पाया'

एक 27 वर्षीय एडटेक कर्मचारी और 53 वर्षीय उसकी मां 24 दिनों की लंबी यात्रा के बाद अभी-अभी बेंगलुरु लौटे हैं. 26 मई को हेब्बल से शुरू हुई यात्रा पर अक्षय और उनकी मां छह बाइक पर सात अन्य लोगों के साथ शामिल हुए.

Bike Ride (Representative Image) Bike Ride (Representative Image)

दोस्तों के साथ ग्रुप में लंबी बाइक राइड पर जाना काफी आम है और इसका एक्सपीरियंस भी लगभग हर कोई ले चुका होगा. लेकिन अपनी मां को बाइक में पीछे बैठाकर 8,400 किलोमीटर तक का सफर करना हो जो आप क्या कहेंगे? दूल्हा-दुल्हन करना कैसा रहेगा? शायद आपको भी ये एक्सपीरियंस काफी नया सा लगे. लेकिन एक 27 वर्षीय एडटेक कर्मचारी और 53 वर्षीय उसकी मां 24 दिनों की लंबी यात्रा के बाद अभी-अभी बेंगलुरु लौटे हैं. इस सवारी ने न केवल मां-बेटे के बंधन को मजबूत किया बल्कि सभी को चौंका दिया.

राधिका सावलकर (अक्षय की मां) पेशे से एक योगा टीचर हैं. एक न्यूज वेबसाइट के हवाले से उन्होंने कहा, “जब मैंने यात्रा में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की, तो कई लोगों ने मुझे हतोत्साहित किया. हालांकि, यात्रा करने की तीव्र इच्छा और मेरे बेटे और बाइकर्स के समर्थन ने लंबी यात्रा शुरू करने के लिए मुझे यह कोशिश करने के लिए प्रेरित किया. ” राधिका बोम्मनहल्ली में रहती हैं. राधिका को बाइक चलाने का और लॉन्ग राइड्स का कोई अनुभव नहीं है.

क्या-क्या किया कवर?
26 मई को हेब्बल से शुरू हुई यात्रा पर अक्षय और उनकी मां छह बाइक पर सात अन्य लोगों के साथ शामिल हुए. इस दौरान हैदराबाद, नागपुर, झांसी, दिल्ली, जम्मू, श्रीनगर, कारगिल, लेह, लद्दाख, हनले, उमलिंग पासमनाली, स्पीति, काजा, मनाली, अमृतसर, वाघा बॉर्डर, जयपुर और औरंगाबाद को कवर करते हुए इन लोगों ने 8,400 किमी की यात्रा की.

अक्षय ने कहा, “जब मुझे पता चला कि मेरी पीछे वाली सीट पर मेरी मां होगी तो मैं रोमांचित हो गया. मैं शुरू में डरा हुआ था, लेकिन साथ ही मैं अपनी मां की इच्छा पूरी करना चाहता था. एक राइडर होने के नाते, मैं कह सकता हूं कि यह संभव है, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो पीछे की सीट पर बैठकर, मैं 70 किमी से अधिक की यात्रा नहीं कर सकता. हालांकि, मेरी मां ने ये कर दिखाया क्योंकि वो एक योगा टीचर हैं. इसलिए पीछे की सीट पर लंबे समय तक बैठने से उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हुई.''

क्या कुछ आईं चुनौतियां?
दोनों के लिए दो सबसे बड़ी चुनौतियां थीं सबसे ऊंची चोटी का रास्ता और दक्षिण से उत्तर की ओर तापमान परिवर्तन. अक्षय ने कहा, "40 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर सभी सुरक्षा गियर और सूट पहनना सबसे कठिन है. कुछ बिंदु ऐसे थे जहां मैं सामना करने में असमर्थ था, खासकर हैदराबाद और दिल्ली जैसे क्षेत्रों में. मनाली को पार करने के बाद, यह बेहद ठंडा था. एक निश्चित बिंदु के बाद तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया. हमने कुंजुम दर्रे से होकर जो रास्ता तय किया था जोकि लगभग 100 किमी का था काफी बाधा भरा था. यहां आधी सड़क थी और 50 से ज्यादा वॉटर क्रासिंग. ”

अक्षय की मां राधिका ने कहा कि हालांकि यह सबसे कठिन था, लेकिन फिर भी ये सबसे यादगार था. अगर मुझे फिर से मौका मिलता है, तो मैं निश्चित रूप से इस तरह की और यात्राओं पर जाऊंगी.