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Mother's Day Special: जंगल में भूख-प्यास से तड़पती मिली ढाई महीने की बच्ची, इन दो महिला कॉन्सटेबल ने अपना दूध पिलाकर बचाई जान

Mother's Day Special: राजस्थान के बारां में दो महिला कॉन्स्टेबल ने डयूटी के साथ एक मां होने की जिम्मेदारी भी निभाई है. जरूरत पड़ने पर उन्होंने अपना दूध पिलाकर एक ढाई महीने की मासूम बच्ची की जान बचाई है.

महिला कॉन्सटेबल ने पिलाया अनजान बच्ची को दूध महिला कॉन्सटेबल ने पिलाया अनजान बच्ची को दूध
हाइलाइट्स
  • गर्मी में भूख-प्यास से तड़पती मिल बच्ची

  • महिला कॉन्सटेबल ने पिलाया अपना दूध

राजस्थान में बारां के सारथल पुलिस थाने में पुलिसकर्मियों का मातृत्व रूप देखने को मिला. जब दो महिला कॉन्सटेबल ने भीषण गर्मी में भूख प्यास से तड़पती ढाई महीने की मासूम बच्ची को अपना दूध पिलाकर मां का फर्ज निभाया. इस मामले के जानकारी देते हुए थानाधिकारी महावीर किराड़ व एएसआई हरि शंकर नागर ने Good News Today को बताया कि 4 मई की दोपहर को उन्हें जानकारी मिली कि 30 की उमें का एक शख्स नशे की हालत में थाना इलाके के बाबड़ में पहाड़ी जंगली क्षेत्र से पैदल गुजर रहा है. और उसके पास एक बच्ची है. 

सूचना मिलने पर डीओ हरिशंकर नागर तुरंत बाबड़ के जंगल में तलाश के लिए रवाना हुए. कुछ देर इलाके की छानबीन करने पर वह आदमी झाड़ियों में पड़ा मिला. उसके पास ही गर्मी से बेहाल अचेत अवस्था मे यह ढाई महीने की बच्ची मिली. जिसे तुरंत महिला कॉन्स्टेबल मुकलेश ने अपने सीने से लगा लिया.  

दूध पिलाकर बचाई बच्ची की जान

नशे में धुत व्यक्ति को बच्ची सहित थाने लाया गया. जहां बच्ची की नाजुक हालत देखते हुऐ महिला कॉन्स्टेबल मुकलेश व पूजा ने बारी-बारी से अपने आंचल का दूध पिलाकर मासूम बच्ची की भूख मिटाई. दोनों महिला कॉन्सटेबल के एक-एक साल के बच्चे हैं. वहीं उस व्यक्ति से पूछताछ में पाया गया कि वह इस बच्ची का पिता है और उसका नाम राधेश्याम है. वह काथोड़ी निवासी सालापूरा थाना छीपाबडौद से है और वह अपने सुसराल गांव बंधा थाना कामखेड़ा जिला झालावाड़ से सुबह 5 बजे के लगभग चुपचाप बच्ची को लेकर आ गया. 

इस बारे में बच्ची की मां को सूचना पहुंचा दी गई. और उनके आने तक देनें महिला कॉन्सटेबल बच्ची को स्तन पान कराती रहीं और उसकी पूरी देखभाल की. महिला कॉन्स्टेबल मुकलेश व पूजा ने बताया कि बच्ची की हालत देखकर लगा कि वह काफी घंटों से भूखी है. उसके होठ सूखे हुए थे. इसलिए बिना देरी किए उन्होंने वह किया जो वे कर सकती थीं. 

(राम प्रसाद मेहता की रिपोर्ट)