मुंबई शहर सपनों का शहर है. यहां किसी के सपनों से भेदभाव नहीं होता है. यह शहर हर किसी को अपनाने की कोशिश करता है. मगर अभी भी हमारे समाज के ऐसे महत्वपूर्ण हिस्से हैं जिन्हें अपनाने की कोशिश अब पहले से कहीं ज्यादा दिल से करनी है ताकि कोई भी उन्हें अलग महसूस न करा सके.
जैसे कि हमारा किन्नर समुदाय जिन्होंने सदियों से बहुत कुछ सहन किया है और दिन-रात अपने वजूद और अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. इसलिए अब जरूरत है उनका साथ देने की. आज किन्नर समुदाय के लोग तरक्की की राह पर हैं और अलग-अलग क्षेत्र में आगे बढ़कर देश का नाम रोशन कर रहे हैं.
खुला बंबई नजरिया कैफे
अब किन्नर समाज के प्रति लोगों का नज़रिया बदल रहा है और मुंबई में इसकी पहल हो चुकी है. मुंबई में किन्नर समाज के लोगों को रोज़गार से जोड़ने के लिए एक अनूठा कैफे खोला गया है. इस कैफे को किन्नर समुदाय के लोग चला रहे है.
मुंबई के अंधेरी इलाके में शुरू हुए इस कैफे का नाम है- बंबई नजरिया. यहं सभी कर्मचारी ट्रांसजेंडर समुदाय से हैं और अपने मेहमानों को अत्यंत सम्मान और स्नेह से खाना परोसते है. हमेशा चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ काम करते हैं. इस कैफे की टैगलाइन भी एकदम हटकर है- "नज़रिया बदलो, नजारा बदलेगा."
इस कैफे को संदेश बहुत ही स्पष्ट है कि समाज में बदलाव की आस रखने वालों को किन्नर समाज को देखने का नज़रिया बदलना चाहिए. तभी सही मायने में बदलाव आएगा.