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Aadhaar for dogs: मुंबई के रहने वाले इस शख्स ने कुत्तों के लिए बनाया यूनीक कॉलर...मेडिकल हिस्ट्री से लेकर लोकेशन तक मिलेगी हर चीज की जानकारी

अक्षय रिडलान नाम के एक व्यक्ति ने अपने क्षेत्र में कुत्तों पर नज़र रखने के लिए एक समाधान निकाला है. उन्होंने क्यूआर कोड वाला एक अनोखा कॉलर बनाया है, जिसे स्कैन करने पर, इसे पहनने वाले उस कुत्ते के बारे में जानकारी मिल जाएगी कि वो इस समय कहा है.

Dogs wearing the QR code collars (pawfriend.in) Dogs wearing the QR code collars (pawfriend.in)

जिन लोगों को जानवरों से प्यार होता है वे उनका ख्याल रखने के लिए किसी भी हद तक जाते हैं. अगर आपके पास भी कोई Pet है तो आपको पता होगा कि घर के एक सदस्य की तरह कैसे उनका ख्याल रखा जाता है. वहीं कई लोग ऐसे भी होते हैं जो न सिर्फ Pet डॉग्स बल्कि आवार कुत्तों के लिए भी काफी कुछ करते हैं.

इसी लिस्ट में एक नाम शामिल है 24 साल के अक्षय रिडलान का जिन्होंने अपने क्षेत्र में कुत्तों पर नज़र रखने के लिए एक समाधान निकाला है. उनका दावा है कि उन्होंने आवारा जानवरों के लिए क्यूआर कोड वाला एक अनोखा कॉलर बनाया है, जिसे स्कैन करने पर, इसे पहनने वाले उस कुत्ते के बारे में जानकारी मिल जाएगी कि वो इस समय कहा है. इस टैग की कीमत 100 रुपये है और ट्रांसपोर्टेशन के लिए 50 रुपये का शुल्क अलग से लिया जाता है. 

हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में, मुंबई में एक इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे रिडलान ने बताया कि उन्हें कैसे ये आइडिया आया. रिडलान ने बताया कि उनका एक स्ट्रे डॉग था जिसका नाम कालू था. एक दिन अचानक वो कहीं खो गया, रिडलान को उससे काफी ज्यादा लगाव था और इसी के बाद से उन्होंने स्ट्रे डॉग्स के लिए एक स्पेशल 'आधार' बनाने का ख्याल आया.

कैसे आया विचार
रिडलान ने कहा कि मई 2020 में, पास के इलाके में एक शादी थी जिसमें ज़ोरदार आतिशबाजी हो रही थी. तेज आवाज़ें कुत्तों के लिए गंभीर रूप से कष्टकारी मानी जाती हैं. इसी की वजह से उनका कालू वो एरिया छोड़कर चला गया और फिर कभी वापस नहीं लौटा.रिडलान ने कालू को ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की, उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लिया लेकिन कुछ नहीं हुआ. कालू फिर कभी वापस नहीं आया. अक्षय ने कहा, "इसी चीज ने मुझे एक समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया, ताकि कोई भी कुत्ता दोबारा अपना रास्ता न खोए और प्रत्येक कुत्ते की देखभाल करने वाला अपने पेट्स की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कर सके.''

बनाया कुत्तों का आधार कार्ड
उन्होंने आगे कहा, एक टेक्नोलॉजी का छात्र होने के नाते, मैं इस छोटी सी समस्या को हल करना चाहता था. मैंने लोगों को हारते हुए देखा है जब उनके पेट्स अचानक कहीं खो जाते हैं. मैं कुत्तों के लिए एक 'आधार' कार्ड बनाने की कोशिश कर रहा हूं." रिडलान ने डॉग्स के लिए जो कॉलर बनाया है उसमें एक क्यूआर कोड है जो उस  विशेष कुत्ते के बारे में जानकारी देता है. इसमें उनका नाम, मेडिकल हिस्ट्री और उनके केयर टेकर की कॉन्टेक्ट डिटेल्स होती हैं.

रिडलान ने इस डेटा को राज्य सरकारों के साथ शेयर करने की इच्छा व्यक्त की है, जो नगर पालिकाओं और संबंधित अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में आवारा जानवरों के टीकाकरण और नसबंदी की स्थिति को ट्रैक करने में मदद कर सकता है.

माइक्रोचिप्स भी बनाना चाहते थे
कुत्तों के लिए माइक्रोचिप्स विकसित करने की प्रारंभिक योजना के साथ, रिडलान ने बताया कि बाद में लागत और सामर्थ्य को देखते हुए उन्होंने इस विचार को क्यों छोड़ दिया. उन्होंने कहा, "माइक्रोचिप्स बहुत महंगे होते हैं. इसके अलावा, हमें माइक्रोचिप्स के लिए विशेष स्कैनर की आवश्यकता है. जबकि, क्यूआर स्कैनर हर जगह हैं." टैग का उपयोग न केवल कुत्तों पर, बल्कि गाय, बकरी और अन्य जानवरों पर भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "इस इनोवेशन से 4 प्रमुख समस्याओं का समाधान निकलेगा जैसे सरकारी डेटा, जानवरों का स्थानांतरण, चिकित्सा जानकारी पर नज़र रखना और खोए हुए कुत्तों का पता लगाना."