उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में पलायन की समस्या को खत्म करने के लिए एक व्यक्ति ने संकल्प लिया और आज उनका सपना साकार हो रहा है. उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के चंद्रशेखर पांडे ऑर्गेनिक/जैविक खेती के जरिए पलायन की समस्या को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.
परिवार में हैं 12 लोग
इस मुहिम में वे अकेले नही है, 12 लोगों का पूरा परिवार इनके साथ इसी काम में लगा हुआ है. खास बात यह है कि वे जैविक खेती के जरिए कुछ ऐसी जड़ी बूटियां तैयार कर रहे हैं जिससे कई बीमारियों का समाधान हो सके और लोग इसे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल कर स्वस्थ भी रह सकें. चंद्रशेखर ने इस काम की शुरुआत 4 से 5 साल पहले की थी. आज उनकी इस जड़ी बूटियों वाली जैविक खेती से कई लोगों को रोजगार तो मिल ही रहा है और साथ ही साथ गांवों से पलायन की समस्या भी कम हो रही है.
22 साल मुंबई में की नौकरी
वैसे तो चंद्रशेखर की पैदाइश बागेश्वर में ही हुई लेकिन पढ़ाई के बाद नौकरी करने के लिए वे सपनों के शहर मुंबई आ गए. मुंबई में 22 साल तक नौकरी की और परिवार के साथ लंबा समय वहीं बिताया. लेकिन सपनों की नगरी मुंबई में उन्हें वह सुकून और शांति नहीं मिल रही थी जो उन्हें अपने गांव में मिलती.
लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह थी कि जब भी वे भी उत्तराखंड से जुड़ी पलायन की खबरें पढ़ते थे तब उन्हें बहुत दुख होता था. उन्हें लगता था कि वे अपने प्रदेश के लोगों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं. उनकी इसी सोच ने उन्हें मुंबई शहर को छोड़ने पर मजबूर किया. मुंबई छोड़ने के बाद वो पूरे परिवार के साथ अपने गांव में बस गए. अब वो और उनका 12 सदस्यों का परिवार मिलकर जैविक खेती कर रहा है.
उगाते हैं जड़ी बूटियां
चंद्रशेखर बताते हैं कि जड़ी बूटियां तैयार करने के लिए वे अश्वगंधा, कैमोमाइल, लेमनग्रास, लेमनबाम, डेंडेलियन,रोजमेरी, भूमि आंवला, आंवला, रीठा, हरड़, वनतुलसी, रामातुलसी, श्यामा तुलसी और इसी तरह से कई अन्य पौधे उगाते हैं. इन जड़ी बूटियों से शुगर, बीपी, ब्लड प्रेशर, दिल से जुड़ी बीमारियां, अस्थमा, सिरदर्द, सर्दी जुकाम बुखार और इसी तरह से कई अन्य चोटी छोटी बड़ी बीमारियों को दूर करने के गुण हैं. उनका सपना है कि वो अपनी खेती के जरिए पूरे उत्तराखंड में पलायन की समस्या खत्म कर पाएं.