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महादेव की परम भक्त हैं नूर फ़ातिमा, नमाज भी पढ़ती हैं और शिव आराधना भी करती हैं, बनवाया है भोलेनाथ का मंदिर

उत्तर प्रदेश में वाराणसी की रहने वाली नूर फातिमा का मजहब इस्लाम है. वह समय से नमाज भी पढ़ती हैं. लेकिन इसके साथ ही वह महादेव की बड़ी भक्त हैं. हर दिन वह महादेव की पूजा-अर्चना करती हैं.

Noor Fatima Noor Fatima
हाइलाइट्स
  • सपने में दिखे महादेव तो नूर ने बनवा दिया मंदिर

  • सालों से महादेव की पूजा कर रही हैं नूर फातिमा

कानपुर में हिंसा और देश भर में कई जगह मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच काशी से एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है जो हम सबको ज़रूर देखनी-समझनी चाहिए. काशी का हर वासी महादेव को ही अपनी प्रेरणा, मालिक और काशी का राजा मानता है. उन्हीं में से एक हैं नूर फ़ातिमा. धर्म भले ही अलग हो लेकिन विश्वास और आस्था से बढ़कर कुछ नहीं. तभी तो सपने में महादेव का मंदिर देख कर नूर फ़ातिमा ने मंदिर बनवाना शुरू किया. उसके बाद महादेव ने कदम-कदम पर नूर फ़ातिमा का हाथ ऐसे थामा कि महादेव और उनकी भक्ति नूर फ़ातिमा के जीवन का हिस्सा बन गए. 

नूर की दिनचर्या का ज़रूरी हिस्सा सुबह की नमाज़ है. तसबीह (माला) हाथ में लेकर वह दुआ पढ़ती हैं. इसके बाद वह महादेव के दर पर जाती हैं. नूर शिवलिंग को स्नान कराती हैं, जल चढ़ाती हैं, भोग प्रसाद लगाती हैं, और ध्यान लगाकर महामृत्युंजय मंत्र पढ़ती हैं. 

कैसे हुई शुरुआत 

नूर बताती हैं कि उनके पति बनारस में नौकरी करते थे. जब भुज में भूकम्प आया तो उनके मन में ऐसे ही इच्छा हुई कि महादेव के त्रिशूल पर बसी काशी में घर बनाया जाए क्योंकि इस नगरी का विनाश कभी नहीं होगा. उनके परिवार ने काशी में घर बनाया. कुछ साल पहले उनके पति का निधन हो गया और वह अवसाद से घिर गईं. इस दौरान किसी की प्रेरणा से उन्होंने शिवजी की पूजी शुरू की. 

फिर उनको सपने में मंदिर दिखने लगे. और उन्होंने तीन महीने में शिव मंदिर बनवाने का संकल्प लिया. मंदिर के लिए उन्होंने लोगों से सहयोग मांगा. उनका समर्पण देखकर लोगों ने उनका साथ दिया. मंदिर बनवाने के लिए नूर कई संतों से मिलीं. नूर फ़ातिमा के मंदिर बनवाने की लगन को देखकर मोरारी बापू ने मंदिर के लिए 5001 रुपए दिए. मंदिर का काम पूरा होने पर उन्होंने खुद मंदिर के लिए प्रतिमा ख़रीदी. यजमान बनकर मंदिर में खुद पूजा करवायी. 

बेटियों के जन्मदिन पर कराती हैं रुद्राभिषेक 

नूर फ़ातिमा ने न सिर्फ़ पूजा शुरू की बल्कि सोमवार को व्रत भी रखने लगीं. अपनी बेटियों के जन्मदिन पर वह रुद्राभिषेक करवातीं हैं. इस बीच उनके रिश्तेदारों ने भी मान लिया कि महादेव का उनके जीवन में ख़ास स्थान है. आज नूर फ़ातिमा को वे सारे मंत्र याद हैं जो किसी भी हिंदू को आते हैं. वह रोज़ मंदिर आती हैं, पाठ करती हैं. नूर फ़ातिमा पेशे से वकील हैं. उनकी बेटियां भी उनके इस भाव को समझती हैं. 

नूर महादेव से इतनी निकटता महसूस करती हैं कि शिवलिंग को जाड़े में गर्म पानी से नहलाती हैं. खुद AC में सोती हैं तो महादेव के लिए भी मंदिर में AC लगवाया है. महादेव की भक्ति में डूबीं नूर फ़ातिमा इस बीच कभी अपने मज़हब के हिसाब से इबादत करना नहीं भूलीं. वह रोज़ाना नमाज़ भी पढ़ती हैं. मुल्क के हालात पर वह बस यही कहती हैं कि मंदिर-मस्जिद के झगड़े बेकार हैं. क्योंकि ईश्वर तो एक ही है. 

लोगों को समझा रही हैं भक्ति और प्रेम का भाव 

नूर ने मंदिर के साथ भजन के लिए हॉल भी बनवाया है. वह चाहती हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी इस हॉल का उद्घाटन करें. क्योंकि वह एक धार्मिक व्यक्ति और महादेव के भक्त हैं. काशी के लोगों ने नूर फ़ातिमा के महादेव के प्रति समर्पण को सहज भाव से स्वीकारा है. कहते हैं जो महादेव की शरण में आया वह उनका हो गया, तो नूर फ़ातिमा क्यों नहीं?

आज नूर उन लोगों के लिए एक सबक़ हैं जो धर्म के नाम पर नफ़रत फैला रहे हैं. काशी वह जगह है जहां गंगा घाट की सीढ़ियों पर कबीर ने ‘माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर’ जैसी कड़वी सच्चाई बतायी. काशी में ही शास्त्रों का अध्ययन कर शाहजहां के बड़े बेटे और औरंगज़ेब के भाई दारा शिकोह ने ‘ईश्वर एक है’ के सार को समझा. आज उसी काशी में नूर फ़ातिमा महादेव की शरण में जा कर लोगों को प्रेम और भक्ति का असली मतलब समझा रही हैं.