कोटा में मुस्लिम समाज के एक वकील ने अपनी बेटी की शादी महज ₹21000 के खर्च में संपन्न कराई, जिसके चर्चे पूरे कोटा संभाग के साथ पूरे देश में हो रहे हैं. बताते हैं तो बेटी की शादी में लाखों रुपए का खर्च करके बड़े धूमधाम से शादी करवा सकते थे लेकिन वकील और समाज का ज्ञान होने के नाते उन बेबस और गरीबों के लिए उसने अपनी बेटी की शादी महज ₹21000 में करवाई.
21 हजार में संपन्न कराया निकाह
उनका कहना है कि मैं 42 साल से वकालत करता आ रहा हूं और मैंने एक-दो केस ऐसे देखे हैं जिनमें सिर्फ थोड़ी देर की वाहवाही लूटने के लिए बाप अपनी बेटी की शादी के लिए मोटा कर्जा लेता है. शादी संपन्न होने के बाद उस पिता को कर्ज नहीं उतारने पर कर्ज दाता घर पर आकर बेइज्जती करता है और वह कर्जे के बोझ में दबा चला जाता है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अपनी बेटी की शादी उन्होंने कम खर्च में करने का संकल्प लिया. बेटी के पिता ने बताया कि इस्लाम भी यही कहता है कि बेटी वाले की कोई भी खर्चा करने की जिम्मेदारी इस्लाम के अंदर और इंसानियत के अंदर नहीं होती पूरी जिम्मेदारी बेटे वाले की होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने महज 21000 के खर्चे में ही अपनी बेटी का निकाह करवाया.
मेहमानों को पिलाया शरबत
दुल्हन के पिता ने बताया ₹21000 का शादी में कहां-कहां कैसे-कैसे खर्चा हुआ. उन्होंने कहा, साढे तीन हजार में हमने अंजुमन इस्लामिया स्कूल बुक किया था. कुछ कुर्सियों में खर्चा हुआ और मेहमानों को कोल्ड ड्रिंक शरबत में खर्च हुआ. इसके अलावा हमने और कोई भी खर्चा नहीं किया जो खर्चा हुआ इसी में खर्चा हुआ है. इसके अलावा हमने कोई फालतू का खर्च नहीं किया है मेहमानों को पानी कोल्ड ड्रिंक और शरबत पिलाई है.
वर वधू दोनों ही कर रहे हैं वकालत की पढ़ाई
बेटे के पिता सरकारी कर्मचारी थे लेकिन कैंसर की वजह से कुछ वर्षों पहले उनकी मौत हो गई और बेटा बीकॉम करने के बाद वकालत की पढ़ाई कर रहा है तो वहीं वधू भी वकालत की पढ़ाई कर रही है और वधू के पिता 42 साल से वकालत कर रहे हैं.
दुनिया को दिया खास मैसेज
वधू की माता से बातचीत में सामने आया कि वह भी इस शादी से बेहद खुश नजर आ रही हैं और उनकी बेटी भी इस शादी से काफी खुश है. मां ने बताया कि मेरी बेटी की शादी के बाद उसके पास उसकी एक दोस्त का फोन आया जो कि हिंदू धर्म से है और उसने कहा कि मैं भी तेरी तरह ही शादी करना चाहती हूं, जिससे इस परिवार को और सहानुभूति मिली कि हमने जो फैसला लिया वह फैसला सही था. 21000 का खर्च करके उन्होंने पूरी दुनिया को दहेज प्रथा को बंद करने और बेटियों को बोझ समझने वालों की सोच पर एक अच्छा खासा मैसेज दिया है.
चेतन गुर्जर की रिपोर्ट