कर्नाटक के मैसूर में एक पुस्तकालय था, जो पिछले साल किसा कारणवश बर्बाद हो गया था. सरकार ने इसे दोबारा से बनवाने का वादा किया था, जिसे उसने पूरा नहीं किया. सरकार के इस वादे में असफल होने के बाद 62 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर सैयद इस्साक ने अपनी किताबों को रखने के लिए उसी स्थान पर अपने दम पर एक शेड तैयार किया, जिसमें वो लोगों द्वारा दान की गई किताबों को रखते हैं.
कैसे हुआ हादसा?
इस्साक खुद पढ़े-लिखे नहीं हैं इसलिए वो नहीं चाहते थे कि कोई और भी बिना शिक्षा के रहे, इस्साक ने इसके लिए सालों पहले एक लाइब्रेरी का निर्माण किया. उन्होंने अपनी जेब से पैसे खर्च कर अपने घर के पास एक पार्क के कोने में 20x20 वर्ग फुट जगह में एक लाइब्रेरी बनाई. इस लाइब्रेरी में उन्होंने 3,000 से अधिक कन्नड़ उपन्यासों और भगवद गीता सहित 11,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह किया. उनका ड्रीम प्रोजेक्ट 9 अप्रैल को तब राख हो गया, जब वहां से गुजर रहे एक शख्स ने लापरवाही से सिगरेट की बट वहां फेंक दी, जिससे वहां पर आग लग गई.
रिपोर्ट छपने के बाद सरकार ने लिया फैसला
TNIE ने इस पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसके बाद टेकी फतहीन मिस्बाह ने एक ऑनलाइन फंडरेजर स्थापित किया, जिसे दुनिया भर से भारी प्रतिक्रिया मिली. तीन से चार दिनों के भीतर इसमें लगभग 29 लाख रुपये जमा हो गए. लेकिन राज्य सरकार ने सभी दानदाताओं को वापस कर दिया और घोषणा की कि इस्साक द्वारा किए गए अच्छे कामों को देखते हुए वह पुस्तकालय का पुनर्निर्माण खुद करेगी. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. जैसे-जैसे महीने बीतते गए मैसूर नगर निगम, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण, सार्वजनिक पुस्तकालय विभाग या जिला प्रशासन द्वारा किसी भी काम को शुरू करने के कोई संकेत नहीं मिला. यहां तक कि 10,000 से अधिक दान की गई किताबों को भी कोई जगह नहीं मिली.
45 दिन में बना दिया शेड
इस्साक को अधिकारियों के इस व्यवहार से बहुत गुस्सा आया. इस्साक ने विधायक ज़मीर अहमद, मैसूर जिले के प्रभारी मंत्री एसटी सोमशेखर, मैसूर-कोडागु के सांसद प्रताप सिम्हा और कुछ अन्य लोगों द्वारा दान किए गए 4 लाख रुपये से अपने दम पर पुस्तकालय का पुनर्निर्माण करने का फैसला किया. उन्होंने 45 दिनों के अंदर अपने पुस्तकालय के लिए शेड जैसी संरचना का पुनर्निर्माण किया. बुधवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर सैयद इस्साक ने पास के एक सरकारी स्कूल के छात्रों को पुस्तकालय के एक छोटे से उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया. यहां छात्रों ने पुस्तकों की जरूरत पड़ने पर पुस्तकालय आने का संकल्प लिया.