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Bamboo Garden: 101 प्रजाति के 8000 से ज्यादा पौधे, यहां लगाया जा रहा है बांस का गार्डन

पिछले कुछ सालों से भारत में बांसों की प्रजातियों को संरक्षित करने और लोगों के बीच पॉपुलर करने पर काम किया जा रहा है. दिल्ली में दो Bambusetum बनाए जा रहे हैं.

Bamboo Garden (Source: Wikimedia Commons) Bamboo Garden (Source: Wikimedia Commons)
हाइलाइट्स
  • 12,000 स्क्वायर मीटर में फैला भारत कुंज

  • भारत में 250 प्रजाति के बांस 

दिल्ली में नजफगढ़ के गालिबपुर गांव में वन विभाग देश भर से बांस की 100 से अधिक प्रजातियों के रोपण के साथ एक बैम्बुसेटम (Bambusetum) यानी बांस का गार्डन बना रहा है. यह शहर में दूसरा बैम्बुसेटम होगा, और एक और गार्डन यमुना बाढ़ क्षेत्र पर बांसेरा में सेट अप हो रहा है. गालिबपुर में बैम्बूसेटम के लिए, 101 प्रजातियों के 8,282 बांस - हर एक प्रजाति के 82 बांस - गांव में लगाए जाएंगे.

यहां बांस की विभिन्न प्रजातियां लगाई जाएंगी. यह गार्डन बांस की अच्छी गुणवत्ता वाली प्रजातियों को संरक्षित करने में मदद करेगा और जीन पूल के संरक्षण में भी मदद करेगा. वन विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया कि यमुना के बाढ़ क्षेत्र में बांस की प्रजातियों के रोपण के अच्छे परिणाम सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि वे गालिबपुर गांव में भी इसी तरह के परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं.

12,000 स्क्वायर मीटर में फैला भारत कुंज
बानसेरा में, बैम्बूसेटम, जिसे भारत कुंज के नाम से जाना जाता है, यमुना के बाढ़ क्षेत्र पर लगभग 12,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में भारत के आकार में स्थापित किया गया है. भारत कुंज को देश भर से बांस की 53 प्रजातियों को रोपित करके विकसित किया गया है, जिसमें प्रत्येक प्रजाति के 40 सैंपल हैं. बैम्बुसेटम के अंदर कुल मिलाकर 2,120 बांस के पौधे लगाए गए हैं. 

अधिकारियों ने टीओआई को बताया कि मोनोपोडियल बांस की प्रजाति, मेलोकैलामस इंडिकस, भारत कुंज की पूरी परिधि में लगाई गई थी. बाहरी सीमा पर कुल 4,068 बांस के पौधे लगाए गए हैं. जबकि आंतरिक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सीमाओं पर सजावटी प्रजाति मुसेंडा का लगाया जा रहा है. यह बानसेरा का एक महत्वपूर्ण घटक है, जहां बांस की कई प्रजातियां एक अच्छी तरह से डिजाइन किए गए पूर्व-स्थान संरक्षण दृष्टिकोण के साथ उगाई जाती हैं.

भारत में 250 प्रजाति के बांस 
वन विभाग के अनुसार, भारत में बांस की लगभग 250 प्रजातियां हैं, जो 23 जेनरा या पीढ़ियों से संबंधित बताई जाती हैं. इनमें से 32 प्रजातियों वाले आठ जेनरा प्रायद्वीपीय भारत में पाए जाते हैं, बाकी पूर्वोत्तर राज्यों में पाए जाते हैं. सिर्फ पश्चिमी घाट में आठ जेनरा से संबंधित 23 प्रजातियां हैं, जिनमें से नौ प्रजातियों को दुर्लभ या खतरे में बताया गया है. 

बांस की जो प्रजातियां अब लगाई जाएंगी उनमें बम्बूसा मल्टीप्लेक्स, बम्बूसा कोपलैंडी, डेंड्रोकलामस गिगेंटियस, डिनोक्लोआ ग्रैसिलिस, डिनोक्लोआ मैकलेलैंडी, फाइलोस्टैचिस बम्बूसाइड्स और स्कज़ोस्टैच्युम एपेटालम शामिल हैं. बानसेरा परियोजना के लिए, उत्तर पूर्व जैव विविधता संरक्षण और अनुसंधान केंद्र, असम ने राइजोम (प्लांटिंग मेटेरियल) दिए हैं, जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से मिलती है. एक अधिकारी ने कहा था कि बांस अपने तेज़ विकास और उच्च कार्बन अवशोषण के लिए जाने जाते हैं.