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एक हादसे के बाद डॉक्टर कृष्ण यादव की बदल गई जिंदगी, अब स्पीकर से करते हैं लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति सचेत

डॉक्टर कृष्ण यादव आपको नोएडा में किसी न किसी चौराहे पर लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति सचेत करते नजर आ जाएंगे. इसके साथ ही यह ट्रैफिक मेंटेन करते दिखाई पड़ जाएंगे. यह रोजाना सुबह और शाम को 2 से 3 घंटे लोगों को ट्रैफिक नियम के बारे में बताने के साथ ही उसे का पालन कराते दिख जाएंगे.

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हाइलाइट्स
  • पत्नि बेटी ने ये काम करने के लिए दी कसम

  • लोग बोले चल चल चल आगे चल

सड़क पर दौड़ते ट्रैफिक के बीच, भागती गाड़ियों के बीच, लाउडस्पीकर लेकर लोगों को ट्रैफिक के लिए सचेत करते ये हैं डॉक्टर कृष्ण यादव. डॉक्टर कृष्ण यादव यूं ही हर रोज 2 से 3 घंटे सुबह और इतना ही वक्त शाम को नोएडा के अलग-अलग चौराहों पर आपको ट्रैफिक मेंटेन करते दिखाई पड़ जाएंगे लेकिन आखिर एक डॉक्टर कैसे ट्रैफिक मैन बन गया. 

जब खबर पढ़ी कि उसकी मौत हो गई
डॉक्टर कृष्ण यादव बताते हैं की बात 29 अक्टूबर साल 2011 की है शाम को वह अपने क्लीनिक से घर की तरफ वापसी कर रहे थे, लेकिन तभी रास्ते में बहुत जाम लगा हुआ था. उन्होंने देखा कि उसी जाम में एक एंबुलेंस फंसी हुई है. जिसके अंदर मरीज भी है. उन्होंने बहुत कोशिश की लेकिन एंबुलेंस ट्रैफिक से नहीं निकल पाई. वह बताते हैं कि अगले दिन उन्होंने अखबार में खबर पढ़ी कि ट्रैफिक जाम में फंसी एंबुलेंस में मरीज की हुई मौत. इस बात ने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया. उन्होंने उसी दिन ठान लिया कि अब वह किसी एंबुलेंस को ट्रैफिक जाम में फंसने नहीं देंगे.

बेटी ने ये काम न करने की कसम खिलाई
डॉक्टर साहब बताते हैं कि जब उन्होंने एक काम करना शुरू किया पहली लड़ाई उनके खुद के घर से शुरू हुई. पत्नी बेटी सब ने इस काम को करने से रोका. किसी ने कहा कि सड़क पर जा कर यह काम करोगे अच्छा लगता है क्या? यहां तक की बेटी ने उन्हें कसम तक खिलाई कहा कि आप यह काम मत करिए इससे आपकी जान को खतरा भी है, लेकिन कृष्ण यादव जी कहते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को समझाने की कोशिश की और धीरे-धीरे वह समझते गए और फिर मुझे मेरे काम में सपोर्ट करते गए. आज उनका सबसे छोटा बेटा कहता है कि पापा मेरे ही स्कूल में आकर बच्चों को ट्रैफिक रूल्स की टीचिंग देते हैं, यह मेरे लिए एक गर्व की बात है.

चल-चल आगे बढ़
कृष्ण यादव जी बताते हैं किस सड़क पर ट्रैफिक संभालना आसान काम नहीं है. वह भी तब जब आपके पास ट्रैफिक पुलिस की वर्दी नहीं है. कई लोग आपको पसंद करते हैं आप की तारीफ करते हैं लेकिन कई लोग बदतमीजी से भी बात करते हैं और आपकी बात को कोई तवज्जो नहीं देते मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ है. जब मैंने किसी को ट्रैफिक रुल्स  के बारे में समझाने की कोशिश की तो उसने मुझे 'चल चल चल आगे चल' बोल कर भगा दिया.

महिला ने कहा कि तुम्हारी नियत में खोट है
डॉ कृष्ण कुमार बताते हैं एक बार उन्होंने नोटिस किया कि एक महिला कभी भी कार में बैठ लगाकर नहीं बैठते उस महिला को उन्होंने कुछ दिन लगातार  टोका. लेकिन महिला को यह बात बुरी लग गई वह 1 दिन उनसे झगड़ा करने लगी और बोलने लगी कि आप रोज रोज मुझे ही क्यों रोकते हैं आपके नियत में जरूर कोई खोट है. डॉक्टर कृष्ण बताते हैं कि उस स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल था मैंने बिना कुछ कहे उनके हाथ जोड़ लिए और वहां से चला गया.

डॉक्टर कृष्ण कहते हैं कि यह काम आसान नहीं है हालांकि अब शहर के लोग भी जानने लगे हैं अधिकतर लोग तारीफ करते मिलते हैं और मुझे देखने के बाद ट्रैफिक नियमों का पालन भी करने लगते हैं. वह कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए वह इस काम को लगातार करते रहेंगे.