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Inspirational: 12 साल की लड़की ने सहेजी मिलेट्स की 60 से ज्यादा दुर्लभ किस्में, तैयार की सीड बैंक

हर्षिता प्रियदर्शनी मोहंती के प्रयास कृषि जैव विविधता के संरक्षण में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हैं. उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि कैसे प्रेरणा, मार्गदर्शन और समर्पण से आप बड़ा बदलाव ला सकता है.

Harshita conserving rare varieties of millets Harshita conserving rare varieties of millets

ओडिशा के कोरापुट में महज 12 साल की उम्र में, हर्षिता प्रियदर्शनी मोहंती ने मिलेट्स की बहुत सी दुर्लभ किस्मों का संरक्षण किया है. पद्म श्री पुरस्कार विजेता किसान कमला पुजारी से प्रेरित होकर, स्वदेशी बीजों के संरक्षण के प्रति हर्षिता समर्पित हैं. हर्षिता ने अपने घर पर एक फूड ग्रेन और बीज बैंक स्थापित किया है जहां उन्होंने धान की 150 से अधिक दुर्लभ किस्मों, 53 किस्मों की फिंगर बाजरा और सात किस्मों के मोती बाजरा के बीज संरक्षित किए हैं.

हर्षिता ने तीन साल पहले अपनी 'बीज' यात्रा शुरू की. उन्होंने जिले के जेपोर, बोइपरिगुडा, कुंद्रा और बोर्रिगुम्मा ब्लॉकों के विभिन्न हाटों और किसानों से सभी धान और मिलेट्स के बीज एकत्र किए और आज भी इस काम में आगे बढ़ रही हैं. इसके बाद, उन्होंने अपने घर पर एक खाद्यान्न और बीज बैंक की स्थापना की, जहां बीज और खाद्यान्न को कांच की बोतलों में सुरक्षित रूप से स्टोर किया जाता है. 

शुरू किया साइंस क्लब 
इतना ही नहीं, हर्षिता ने 'हर्षिता प्रियदर्शनी साइंस क्लब' बनाया है और इसमें अपने कई दोस्तों और स्थानीय किसानों को शामिल किया है. क्लब के माध्यम से, वह खेती के लिए दुर्लभ और देशी खाद्यान्नों के बीज मुफ्त में उपलब्ध कराती हैं. अगर कोई कोरापुट के प्राकृतिक खजाने के बारे में बात करता है, तो इसका मतलब सिर्फ इसकी प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि इसकी धान और बाजरा संपदा भी होगी. उन्होंने एक बार स्वदेशी बीज किस्मों को बचाने के लिए कमला पुजारी के अभियान के बारे में पढ़ा था और इससे उन्हें प्रेरणा मिली.   

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धान और मिलेट्स की कई किस्में अब दुर्लभ होती जा रही हैं और वह अपने कलेक्शन के माध्यम से किसानों को भविष्य में उन्हें उगाने में मदद करना चाहती हैं. हर्षिता का लक्ष्य भविष्य में एक कृषिविज्ञानी बनना है. उन्होंने अब तक कालाजीरा, चटिया नाकी, उमुरिया चूड़ी, असन चूड़ी, नदिया भोग, तुलसी भोग, कलाबती, राधा बल्लव, बादशाह, पठान गोदा, दुबराज, बर्मा चावल, गोलकी मोची, लाडनी, दुबराज, कटारा, माछा धान, कांता, हती दांता, सिकलाला कोली, महुला कुंची और भी बहुत कुछ के बीज इकट्ठा किए हैं. 

मिले हैं पुरस्कार भी 
जनवरी 2024 में, पारादीप फोफेट्स और शिक्षा "ओ" अनुसंधान विश्वविद्यालय ने उन्हें "कृषक रत्न" की उपाधि से सम्मानित किया. इसके अलावा, उन्होंने वर्चुअल राष्ट्रीय प्रतियोगिता "आइडिया यंगस्टर्स" में जीत हासिल की और 10,000 प्रतिभागियों के बीच अपनी आयु वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया. एचडीएफसी बैंक और रेड एफएम द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में उन्हें अप्रैल 2024 में 2.5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया. कार्यक्रम के दौरान, हर्षिता ने जैविक खेती के अपने ज्ञान और पारंपरिक बीजों के महत्व से लोगों को प्रभावित किया.