कोविड-19 (COVID-19) में सभी लोगों के लिए बाहर जाने की मनाही थीं. लोग अपने सभी काम घर से ही करने के लिए मजबूर थे. लेकिन जब धीरे-धीरे जब महामारी खत्म होने की कगार पर आई तो लोगों को घर से ही काम करना पसंद आने लगा. लोग आज अपनी सुख-सुविधा को छोड़कर ऑफिस लौटने में झिझकने लगे हैं. वर्क फ्रॉम होम काम करने का एक नया कल्चर बन गया है. कई एम्प्लॉयर आज इसीलिए एम्प्लॉइज की सहूलियत के लिए हाइब्रिड मोड में ऑफिस बुला रहे हैं. ऐसे में एक ट्रेंड जिसे ऑफिस पीकॉकिंग कहा जा रहा है, खूब चल रहा है.
ऑफिस पीकॉकिंग क्या है?
ऑफिस पीकॉकिंग ऑफिस को स्टाइलिश सजावट, ट्रेंडी फर्नीचर, अच्छी तरह से स्टोर्ड पेंट्री और अपने एम्प्लोयी अलग-अलग सुविधा देने को कहा जाता है. इसका मकसद कर्मचारी को काम करने के लिए आरामदायक जगह देना है. ताकि वे अपने ऑफिस काम करने में अच्छा महसूस कर सकें. ऑफिस को लाउंज-स्टाइल सेटिंग में बदला जा रहा है.
जेब पर पड़ता है भारी
हालांकि यह कंपनियों की जेब पर थोड़ा भारी पड़ सकता है. काम करने की जगह को अच्छा बनाना और आरामदायक ड्रेस कोड लागू करना भी इसमें शामिल है. इतना ही नहीं एक नैप लेने के लिए भी कमरा बनाया जाता है.
दरअसल, खूबसूरत ऑफिस के आकर्षण के बावजूद, कर्मचारी ऐसी कंपनियों को प्राथमिकता दे रहे हैं जहां पर उन्हें आने-जाने में सहूलियत हो. आउल लैब्स की 2023 स्टेट ऑफ हाइब्रिड वर्क रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारी कार्यस्थल पर वापसी पर विचार करते समय आने-जाने की लागत कवरेज, ऑफिस में प्राइवेसी और दूसरे एम्प्लोयी के साथ बेहतर तालमेल पर दे रहे हैं. इसी के आधार पर वो ऑफिस ज्वाइन करते हैं.
हाइब्रिड वर्क कल्चर को अपना रहे लोग
कुछ कर्मचारी जो ऑफिस जा रहे हैं, हाइब्रिड और फ्लैक्सीबल वर्क कल्चर को प्राथमिकता दे रहे हैं. वे चाहते हैं कि जो काम घर हो सकता है उसके लिए ऑफिस आने की जरूरत नहीं है. रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर कर्मचारी सैलरी कम करने वाली शर्त को मान रहे हैं बजाय इसके कि वे ऑफिस जाकर काम करना चुनें.
गौरतलब है कि कर्मचारियों ने 'कॉफी बैजिंग' जैसी नई स्ट्रेटेजी अपनानी शुरू की है. इसमें व्यक्ति जाने से पहले अपनी अटेंडेंस दर्ज कराने के लिए थोड़े समय के लिए ऑफिस आते हैं. इसके अलावा, 'पॉलीवर्किंग' की अवधारणा, जहां कर्मचारी एक साथ कई नौकरियां करते हैं, ने लोकप्रियता हासिल की है. लोग आज इनकम के अलग-अलग स्रोतों की तलाश कर रहे हैं.