दुनिया का सबसे बड़ा दान अंगदान है. अंगदान से किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है. दिल्ली के ओखला फेज 2 के रहने वाले रिक्शा ड्राइवर सुरेश की सड़क हादसे में मौत हो गई. लेकिन जाते-जाते 48 साल के सुरेश ने 4 लोगों को नई जिंदगी दे दी.
अंगदान के लिए तैयार हुआ परिवार-
सुरेश कुमार सड़क हादसे में जख्मी हो गए थे. उनको इलाज के लिए एम्स के ट्राम सेंटर में भर्ती कराया गया. लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकती. उनको ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. सदमे से गुजर रहे परिवारवालों को अंगदान के बारे में समझाना मुश्किल काम था. लेकिन डॉक्टरों ने जब सुरेश के परिवार को अंगदान के बारे में बताया तो वो इसके लिए तैयार हो गए.
4 लोगों को बचाई गई जान-
सुरेश के दिल, किडनियां और आंखों का कॉर्निया सुरक्षित निकाला गया. इन अंगों को राष्ट्रीय अंग एवं उतक प्रत्यारोपण संगठन के जरिए अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया. सुरेश के दिल को एम्स में भर्ती एक मरीज प्रत्यारोपित किया गया. जबकि उनकी एक किडनी को एम्स और दूसरी को सेना के रिसर्च एवं रेफरल अस्पताल में भर्ती मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया. सुरेश की आंखों के कॉर्निया को एम्स के राष्ट्रीय नेत्र बैंक में जमा किया गया और दो मरीजों को नई जिंदगी दी गई.
एम्स के ऑर्गन रिट्रिवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन की प्रोफेसर डॉक्टर आरती विज ने परिवार के फैसले की तारीफ की. उन्होंने कहा कि इतना बड़ा संकट आने के बाद भी परिवार ने अंगदान का फैसला किया. उनका फैसला इंसानियत के लिए उठाया गया सराहनीय कदम है.
23 अगस्त को हुआ था हादसा-
48 साल के रिक्शा ड्राइवर सुरेश का परिवार दिल्ली के ओखला इलाके के रहता है. परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं. 23 अगस्त को रात साढ़े 8 बजे सुरेश एक सड़क हादसे में जख्मी हो गए थे. उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन उनकी मौत हो गई.
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