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सोसायटियों में होने वाले कचरे से बनाया जा रहा आर्गेनिक खाद, मुहिम में बढ़ चढ़ कर लोग ले रहे हिस्सा

मुंबई के गोरेगाँव इलाके की सोसायटियों में होने वाले कचरे से आर्गेनिक खाद बनाया जा रहा है. इस खाद का इस्तेमाल करके लोग अपने बिल्डिंग के बालकनी और छतों पर ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. इस मुहिम को केदार ने पहले अपने सोसाइटी में शुरू किया था, जिसमें अब आस-पास की सभी सोसायटियां बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है.

Organic waste Organic waste
हाइलाइट्स
  • अलग-अलग सोसायटियों में भी शुरू की ये मुहिम

पिछले कुछ सालो में ऑर्गेनिक खेती का चलन भारत में काफी हद तक बढ़ा है. लोगों में भी ऑर्गेनिक प्रोडक्ट को लेकर जागृता काफी बढ़ी है. ऐसे में ऑर्गेनिक खेती की अलग-अलग और महत्वपूर्ण चीज होते ही जिस का ख्याल रखना बेहद जरूरी  है. ऑर्गेनिक खेती के लिए सबसे अधिक जरूरी होता है खाद. वहीं आज-कल अलग-अलग प्रकार और गुणवत्ता के खाद बाजार में मिलते है जो की महँगे होते है. वहीं मुंबई में रहने वाले  केदार सोहोनी ने कुछ साल पहले ऑर्गेनिक खेती की शुरू की थी. केदार खाद बनाने के लिए कूड़े का इस्तेमाल करते है और उसी खाद से खेती करते है और सब्जी और फल उगाते है.

केदार की मुहिम से डंप यार्ड के ढेर की समस्या का भी हो रहा समाधान
केदार ने एक स्वच्छ और टिकाऊ जीवन शैली जीने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है. जिसके लिए मुंबई शहर में सैकड़ों बिल्डिंग अपने कचरे का बेहतर प्रबंधन कर रहे है. हजारों आवासीय सोसायटियों ने अपने कूड़े कचरे से खाद बनाने का प्रोसेस शुरू किया है. जिससे वो अपने सोसायटियों साफ भी रख रहे है और उस से अपने बिल्डिंग की छत पर ऑर्गेनिक खेती भी कर रहे है. इस मुहिम के तहत डंप यार्ड के ढेर की समस्या का भी समाधान हो रहा है.

किसानों से की बात
केदार ने 7 साल पहले कूड़े को खाद में बदलने के लिए सीखने की शुरुआत की थी. खाद का उपयोग करने और सब्जी उगाने के लिए और इस के बारे में जानने के लिए किसानों से बातचीत की. केदार का यह कहना है कि उनके पास खुद ऑर्गेनिक खेती करने के लिए लिए कोई जगह नहीं थी. इसलिए मैंने इसके बजाय खाद तैयार करने का फैसला किया. यह रासायनिक मुक्त और रोगाणु फ्री है. जो रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता के बिना पौधों के पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करता है.  मैंने सोचा कि यह स्रोत से कचरे का इलाज करने और अपव्यय को कम करने का एक दिलचस्प तरीका है. 

अलग-अलग सोसायटियों में भी शुरू की ये मुहिम
उन्होंने किसानों से खाद बनाने की तकनीक को समझा और हफ्तों में एक छोटा बैच तैयार किया. केदार ने महसूस किया कि कंपोस्ट बनाना पर्यावरण के लिए सरल और स्वस्थ तरीका है. केदार ने अभी तक अलग-अलग सोसायटियों में इसको शुरू भी करवाया है. ऐसे में केदार ने पहले अपने अपार्टमेंट ने इसे बड़े पैमाने पर शुरू किया था. केदार ने जब इसको शुरू किया था तब उन्होंने इस विचार के साथ प्रबंधन से संपर्क किया. तो उन्होंने उसे अकेले काम करने के लिए कहा कि यह कैसे करना है और देखना है.

घरों से इकट्ठा करते हैं कचरा
केदार ने उसके बाद घरों से कचरा संग्रह की प्रक्रिया शुरू की और इससे जुड़े सूखे और गीले कचरे को अलग करने के तरीकों का अध्ययन किया.  चार महीने के अध्ययन और सीखने के बाद केदार ने उत्पादन को पूरे समाज में लागू किया. केदार ने परिसर के हर घर को कुल 72 टन कचरे को बदलने में मदद की और उस से खाद को बनाया. वही इस मुहिम के तहत डंपिंग यार्ड में डंप होने वाले कचरे को भी खाद में बदला जा सकता है और पर्यावरण को बचाया जा सकता है.