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मशीन से दो टुकड़े में कटे हाथ को पटना एम्स के डॉक्टरों ने पांच घंटे के ऑपरेशन के बाद जोड़ा

भोजपुर निवासी दस वर्षीय बच्ची खुशी कुमारी का कुट्टी काटने की मशीन से हाथ कलाई के पास से ही पूरी तरह से कट गया था. हाथ इतनी बुरी तरह से कटा था कि वो कई जगह पर मुड़ भी गया था. इस दौरान लोग लड़की को लेकर समय रहते एम्स पटना पहुंचे जहां प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा सिंह ने पांच घंटे से ज्यादा मेहनत कर माइक्रो सर्जरी के माध्यम से उसका हाथ जोड़ा.

Representative Image (Source- Unsplash) Representative Image (Source- Unsplash)
हाइलाइट्स
  • कलाई से पूरी तरह कट गया हाथ

  • लगातार पांच घंटे तक चली सर्जरी

डॉक्टरों को इस दुनिया में भगवान क्यों कहा जाता है यह बात एक बार फिर से एम्स पटना के डॉक्टरों ने साबित कर दी. यहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन के जरिए एक ऐसे व्यक्ति का हाथ जोड़ा जिसे जोड़ना बहुत ही मुश्किल नजर आ रहा था. दरअसल एक व्यकित का हाथ कुट्टी मशीन से कटकर काटने दो टुकड़े में हो गया था, जिसे ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने पीड़ित के शरीर में फिर से जोड़ दिया और उसमें जान आ गई. 

माइक्रो सर्जरी से जोड़ा गया हाथ
बताया जा रहा है कि भोजपुर निवासी दस वर्षीय बच्ची खुशी कुमारी का कुट्टी काटने की मशीन से हाथ कलाई के पास से ही पूरी तरह से कट गया था. हाथ इतनी बुरी तरह से कटा था कि वो कई जगह पर मुड़ भी गया था. इस दौरान लोग लड़की को लेकर समय रहते एम्स पटना पहुंचे जहां प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा सिंह ने पांच घंटे से ज्यादा मेहनत कर माइक्रो सर्जरी के माध्यम से उसका हाथ जोड़ा.

कलाई से पूरी तरह कट गया हाथ
प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा सिंह ने कहा कि दस वर्षीय बच्ची खुशी कुमारी भोजपुर की रहने वाली है. दो दिन पूर्व देर रात एम्स में इसके परिजन इसे लेकर पहुंचे थे. बच्ची का हाथ कलाई से पूरी तरह से अलग हो गया था. एम्स पहुंचने में इन लोगों ने आठ घंटे लगा दिए. इससे पहले इन लोगों ने कई अस्पतालों के चक्कर काटे. जैसे ही ये लोग एम्स पहुंचे आनन-फानन में मैं अपने प्लास्टिक सर्जरी की टीम के साथ पहुंची, जिसमें डॉ. अनसारूल थे. इसके साथ ही एनेसथिसिया की टीम व ऑर्थो के भी टीम लगे. 90 प्रतिशत माइक्रो सर्जरी के माध्यम से काम हुआ. दो यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया. हाथ की नशों को माइक्रो सर्जरी के माध्यम से जोड़ा गया. इसके साथ ही हड्डी को ज्वांइड ऑर्थों के डॉक्टरों ने जोड़ा. हम लोगों ने इस पर काफी मेहनत की.

लगातार पांच घंटे तक चली सर्जरी
सर्जरी लगातार पांच से छह घंटे तक चली. हम लोगों ने इसे चुनौती के तौर पर लिया और सफलतापूर्वक हाथ को जोड़ दिया. बच्ची अब स्वास्थ्य है और उसके हाथ में मूवमेंट भी है. बच्ची को समय रहते अस्पताल लाया इसलिए ये बहुत अच्छा रहा क्योंकि चोट लगने के बाद तुरंत का समय गोल्डन ऑवर माना जाता है. समय जितना ज्यादा बीतता है उससे चुनौतियां उतनी ही बढ़ जाती है. ऑपरेशन के दौरान हमने देखा कि मशीन में रगड़ खाने की वजह से हाथ की हड्डियां, मांशपेशियां और नसें अलग-अलग जगह खिंच गई थीं. ऐसे में सर्जरी मुश्किल हो जाती है लेकिन हमने कटे हुए हाथ के कुछ हिस्से को काट कर बाहर किया और उसके बाद इसे खुशी के शरीर से जोड़ दिया. 

(मनोज सिंह की रिपोर्ट)