

चीन की एक अदालत ने हाल ही में ऐसा फैसला सुनाया, जिसने सोशल मीडिया चर्चा छेड़ दी. अदालत ने तलाकशुदा महिला को उसके घर के कामकाज के बदले में 2.5 लाख युआन (₹29 लाख) का मुआवजा देने का आदेश दिया. हैरानी की बात ये है कि महिला ने शुरुआत में सिर्फ 50,000 युआन (₹5.8 लाख) की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे पांच गुना बढ़ाकर भुगतान का आदेश दिया!
क्यों मिला इतना बड़ा मुआवजा?
यह मामला चीन के हेनान प्रांत के झेंगझोउ शहर का है, जहां हू (Hu) नामक महिला ने अपने पति वांग (Wang) के खिलाफ तलाक का मुकदमा दायर किया था. दोनों की शादी 2011 में हुई थी, और उसी साल उनकी एक बेटी भी हुई.
शुरुआती कुछ सालों तक सब ठीक चला, लेकिन फिर शिक्षा, पारिवारिक जिम्मेदारियों और घरेलू कामों को लेकर दोनों के बीच झगड़े बढ़ने लगे. मामला इतना बिगड़ गया कि अक्टूबर 2022 में हू ने घर छोड़ दिया और अलग रहने लगीं. आखिरकार, पिछले साल उन्होंने तलाक की अर्जी अदालत में दाखिल कर दी.
महिला ने घर के काम का मुआवजा क्यों मांगा?
हू का दावा था कि शादी के बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर पूरा समय घर और परिवार को दिया. उन्होंने बेटी की देखभाल, सफाई, खाना बनाना और घर के बाकी काम अकेले किए, जबकि उनके पति ने कभी सहयोग नहीं किया. हू का कहना था कि उनके द्वारा किए गए घरेलू कार्यों का कोई आर्थिक मूल्य तय नहीं किया गया, जबकि उनके पति बाहर जाकर नौकरी कर रहे थे और कमाई कर रहे थे. इसी आधार पर, उन्होंने अदालत से 50,000 युआन (₹5.8 लाख) के मुआवजे की मांग की.
कोर्ट ने 5 गुना ज्यादा मुआवजा दिया
जब झोंगयुआन जिला अदालत ने इस मामले की सुनवाई की, तो उसने पाया कि हू ने सालों तक बिना किसी वित्तीय लाभ के घर संभाला. इसके बाद अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि बच्ची की कस्टडी हू को दी जाएगी, और वांग को हर महीने गुजारा भत्ता देना होगा.
साथ ही, हू को घर के कामों के बदले 2.5 लाख युआन (₹29 लाख) का मुआवजा मिलेगा.
जब अदालत ने पति को यह फैसला सुनाया, तो वह हैरान रह गया. उसे समझ ही नहीं आया कि घर के काम के बदले इतनी बड़ी रकम कैसे दी जा सकती है.
"घर का काम भी अनमोल होता है!"
इस मामले की सुनवाई कर रहे जज फू सैया ने वांग को समझाया कि घरेलू काम भी एक नौकरी जैसा ही है, जिसका मूल्य होता है. उन्होंने कहा, "सिर्फ इसलिए कि घर का काम दिखता नहीं है, इसका मतलब यह नहीं कि इसकी कोई कीमत नहीं है. पति-पत्नी को यह जिम्मेदारी साझा करनी चाहिए." चीन का सिविल कोड यह कहता है कि अगर शादीशुदा जीवन में कोई एक व्यक्ति बच्चों की परवरिश, बुजुर्गों की देखभाल या घरेलू कार्यों की जिम्मेदारी अधिक उठाता है, तो तलाक के समय उसे मुआवजा पाने का अधिकार होता है.
इस फैसले के बाद चीनी सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ गई. कई लोगों ने फैसले की तारीफ की और कहा, "ये बहुत बढ़िया फैसला है, कोर्ट ने साबित कर दिया कि घरेलू काम भी जरूरी होते हैं.” वहीं एक और यूजर ने लिखा, "पुरुषों को यह समझना चाहिए कि घर के काम कितने थकाने वाले होते हैं.” कुछ पुरुषों ने इसका विरोध भी किया और कहा, "अगर घर के काम की कीमत है, तो क्या हमें भी बॉडीगार्ड और ड्राइवर की फीस लेनी चाहिए?"