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Pearl Farming ने बदल दी इस टीचर की जिंदगी, मोती उगाकर सालाना कमा रहे हैं 20 लाख से ज्यादा

यह कहानी है राजस्थान में सीकर के विनोद भारती की जिन्हें लोग सफल Pearl Farmer के तौर पर जानते हैं. विनोद सफल रूप से मोतीपालन कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

Vinod Bharati growing pearls (Photo: Twitter) Vinod Bharati growing pearls (Photo: Twitter)

एक जमाना था जब लोग कहते थे कि पढ़े-लिख नहीं तो खेती करनी पड़ेगी. लेकिन आज एक जमाना है जहां पढ़े-लिखे लोग अपनी नौकरी के बावजूद अलग-अलग तरह की खेती से जुड़ रहे हैं. आज ऐसे ही एक शख्स की कहानी हम आपको बता रहे हैं जिन्होंने कंप्यूटर टीचर होते हुए Pearl Farming शुरू की और आज इसी में सफलता हासिल करके अपनी पहचान बना रहे हैं. 

यह कहानी है राजस्थान में सीकर के रहने वाले विनोद कुमावत भारती की जो पिछले कई सालों से मोती की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. हालांकि, उनका सफर आसान नहीं था. एक समय था जब उन्होंने निराशा का सामना किया लेकिन हार नहीं मानी और इसलिए आज वह सफलता से मोतीपालन कर रहे हैं, 

बंद हो गई कंप्यूटर अकेडमी 
आपको बता दें की लगभग 7 साल पहले तक विनोद भारती छात्रों को कंप्यूटर ट्रेनिंग देते थे. वह अपनी खुद की कंप्यूटर अकेडमी चलाते थे. लेकिन धीरे-धीरे उनके यहां छात्र कम होने लगे और उनकी अकेडमी बंद हो गई. इसके बाद विनोद बेराजगार थे और तब उन्होंने कुछ अलग करने की सोची. उन्हें मोतीपालन के बारे में पता चला और उन्होंने इस खेती में किस्मत आजमाने का फैसला किया.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 50,000 से 75,000 रुपये के मामूली निवेश के साथ विनोद ने इसमें कदम रखा. उनका कहना है कि अपने इलाके में साल 2017 में मोती की खेती शुरू करने वाले वह पहले व्यक्ति थे. इसके बारे में गहन शोध और समझ के बाद, उन्होंने उद्यम शुरू किया. हालांकि, तकनीकी पहलुओं पर काम करने में उन्हें समय लगा. राजस्थान में, मोती की खेती शुरू में वास्तव में एक कठिन काम लगती थी. लेकिन वह अपने लक्ष्य पर अड़े रहे, चाहे कुछ भी हो. 

मोतीपालन का कोर्स किया
विनोद ने पर्ल फार्मिंग का कोर्स भी किया है. वैसे तो इन दिनों, इसके लिए ऑनलाइन कई प्रकार की जानकारी और सामग्री उपलब्ध है. हालांकि, विनोद ICAR, भुवनेश्वर में ऑन-ग्राउंड प्रशिक्षण के लिए गए थे. घर वापस आकर, उन्होंने 10x5 का एक कृत्रिम तालाब बनाया और उसमें पांच सौ बीज डाले. लेकिन उनके लगभग सभी बीज खराब हो गए. लेकिन रिसर्चर्स की एक टीम ने उन्हें फिर से प्रयास करने में मदद की और उन्हें आगे मार्गदर्शन किया. उन्होंने मोतीपालन की सेटिंग का निरीक्षण किया और उन्हें और जानकारी दी.

वर्तमान में, यह परियोजना 2 बीघे के साथ बड़े पैमाने पर है. हर दिन, उन्होंने अपनी खेती के लिए ज्यादा भूमि और पानी के तालाब खरीदने पर काम किया. उन्होंने मोती की खेती के लिए एक वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी बनाया. कृषि जागरण के मुताबिक, आज यह किसान सालाना 20 लाख रुपये से ज्यादा कमा रहा है. 

विदेशों में जाते हैं उनके मोती 
आज, यह विनोद की दृढ़ता और दूरदर्शिता है कि उनका काम लगातार आगे बढ़ रहा है. आज वह भारत के भीतर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त अरब अमीरात और थाईलैंड जैसी मार्केट्स में अपनी जगह बना रहा है. आज उन्हें देखकर और भी बहुत से किसान मोतीपालन कर रहे हैं. अब उनका लक्ष्य कई युवाओं और महिलाओं को मोती की खेती में प्रशिक्षित करना है. दूसरों को उनकी सलाह है कि अच्छा मुनाफ़ा कमाने के लिए मोती की खेती शुरू करें.