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Plastic-Free Initiative: प्लास्टिक लाएं और गुड़ ले जाएं… पंजाब के इस गांव में की गई अनोखी पहल, पर्यावरण को बचाने के लिए किए जा रहे अलग-अलग उपाय

पंजाब के कृषि क्षेत्र में सबसे गंभीर मुद्दों में से एक फसल अवशेष है. धान के डंठल जलाने से वायु प्रदूषण काफी हद तक बढ़ जाता है. अब पंजाब के गांव बल्लो में इसी को देखते हुए सक्रिय कदम उठाए जा रहे हैं.

Plastic-Free Initiative (Representative Image/getty Images) Plastic-Free Initiative (Representative Image/getty Images)
हाइलाइट्स
  • प्लास्टिक के बदले गुड़ दिया गया 

  • पर्यावरण बचाने के लिए उठाए जा रहे कदम 

दुनियाभर में प्लास्टिक से निपटने का तरीका ढूंढा जा रहा है. ऐसे ही पंजाब के एक गांव ने प्लास्टिक वेस्ट को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए नई पहल की है. पंजाब के बठिंडा जिले में स्थित, बल्लो को उसकी पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी पहल के लिए जाना जा रहा है. गांव ने टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने और पर्यावरण पर कम प्रभाव डालने  को लिए कई पहल शुरू की हैं. यहां निवासियों को प्लास्टिक कचरे के बदले गुड़ दिया जा रहा है. यानी आप प्लास्टिक कचरा लेकर आएं और गुड़ ले जाएं.

प्लास्टिक के बदले गुड़ दिया गया 

दरअसल, ग्राम पंचायत और गुरबचन सिंह सेवा सोसायटी ने गांव की लाइब्रेरी में एक सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. यहां निवासियों को गुड़ के बदले प्लास्टिक कचरे का आदान-प्रदान किया गया है. बुधवार को 295 किलोग्राम प्लास्टिक कचरा इकट्ठा किया गया और उसकी जगह उतने ही वजन का गुड़ डाला गया. इससे न केवल प्लास्टिक कचरे को कम करने में मदद मिली बल्कि जूट बैग जैसी एनवायरनमेंट फ्रेंडली चीजों के उपयोग को भी बढ़ावा मिला. 

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पर्यावरण बचाने के लिए उठाए जा रहे कदम 

दरअसल, पंजाब के कृषि क्षेत्र में सबसे गंभीर मुद्दों में से एक फसल अवशेष, विशेष रूप से धान के डंठल को जलाना है, या जिसे पराली के रूप में भी जाना जाता है. ये वायु प्रदूषण को बढ़ाने में बड़ा योगदान देता है. बल्लो ने इस समस्या के समाधान के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं. पिछले अक्टूबर में, गांव के नेताओं और स्थानीय गैर सरकारी संगठन, गुरबचन सिंह सेवा सोसाइटी ने कई किसानों को धान की पराली न जलाने के लिए सफलतापूर्वक मना लिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा न करने के लिए इन किसानों को प्रति एकड़ ₹500 का मुआवजा दिया गया है.

गांव में हो रहे अलग-अलग उपाय 

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले काफी समय से गांव के किसानों को न केवल प्रोत्साहित किया जाता है बल्कि टिकाऊ कृषि पद्धतियों के बारे में शिक्षित भी किया जा रहा. उन्हें आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों ही दृष्टि से समझाने में मदद की जा रही है. इसके अलावा, पर्यावरणीय पहलों से परे, बल्लो अपने निवासियों की भलाई को लेकर भी काम कर रहा है. शैक्षिक अवसरों, स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और आर्थिक विकास को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं.