बहुत से लोगों का मनना है कि जब हमारे पास पैसा होगा, तभी तो हम किसी की मदद करेंगे. जब हम खुद मजबूत होंगे, तभी तो दान करेंगे. लेकिन हम आपको आज एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने शौचालय सिर्फ इसलिए साफ करने शुरू किए ताकि वह जरूरतमंद बच्चों को पढ़ा सकें. आज भी अपनी कमाई का एक हिस्सा गरीबों के लिए दान कर देते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के कोयम्बटूर में रहने वाले लोगानाथन की. जिनके मुरीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक हो चुके हैं. पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 107वें एपिसोड दौरान लोगानाथन के कार्यों की सराहना की. साथ ही प्रधानमंत्री ने उनके संघर्षों पर भी रोशनी डाली. आइए लोगानाथन के बारे में जानते हैं.
कौन हैं लोगानाथन
तमिलनाडु के कोयम्बटूर के कन्नम्पलायम में रहने वाले लोगनाथन की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है. एक दिहाड़ी मजदूर के परिवार में जन्मे लोगनाथन गरीबी की वजह से छठी कक्षा से आगे नहीं पढ़ सके. लेकिन दूसरों के साथ ऐसा न हो, इसलिए उन्होंने पार्ट टाइम काम करना शुरू किया ताकि गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद कर सकें. पिता की मौत होने के बाद घर की जिम्मेदारी लोगानाथन के कंधे पर आ गई थी. उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में नारियल पानी बेचा. बचपन में वे गरीब बच्चों के फटे कपड़ों को देखकर अक्सर परेशान हो जाते थे.
गरीब बच्चों की मदद का लिया प्रण
लोगनाथन ने एक बार बताया था कि मैं 12 साल का था जब मैंने पेपर मिल और वर्कशॉप में काम करना शुरू किया. मैं नहीं चाहता कि कोई भी बच्चा इस तरह की परेशानी झेले और अपने सपनों को छोड़ दे. इसलिए मैं जिस भी तरह से उनकी मदद कर सकता हूं, करता हूं. लोगानाथन ने ऐसे बच्चों की मदद का प्रण लिया, जिनके पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं थे.
उन्होंने अपनी कमाई का एक हिस्सा दान देना शुरू कर दिया. जब पैसे की कमी पड़ी तो लोगानाथन ने टॉयलेट तक साफ किए. जिससे जरूरतमंद बच्चों की मदद हो सके. वह पिछले 25 सालों से गरीब बच्चों की मदद के लिए इस काम में जुटे हैं. लोगानाथन के सराहनीय प्रयास से अब तक 1500 से अधिक बच्चों की मदद की जा चुकी है.
किताबें और कपड़े अनाथ आश्रमों में बांटना किया शुरू
लोगनाथन ने साल 2002 में इस नेक काम की शुरुआत की. उन्होंने शुरुआत में समृद्ध परिवारों से किताबें और कपड़े इकट्ठा करके अनाथ आश्रमों में बांटना शुरू किया. साथ ही, हर साल उन्होंने जिला कलेक्टर को 10 हजार रुपए की राशि सरकारी अनाथालयों के लिए भेजना शुरू किया. उनके इस प्रयास से इन अनाथालयों के करीब 1500 बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिली.
शौचालय साफ करना शर्म की बात नहीं
पेशे से लोगनाथन एक वेल्डर हैं. रोजाना वेल्डिंग का काम पूरा करने के बाद वो कोयम्बटूर की प्राइवेट कंपनियों में शौचालयों की सफाई करते हैं. वह बताते हैं, लोग शौचालयों की सफाई करने में शर्म महसूस करते हैं. लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है. बताइए, क्या यह शर्मनाक है कि मैं सैकड़ों लोगों के लिए शौचालय साफ करता हूं या यह कि मैं इस पैसे का इस्तेमाल गरीब बच्चों को एक बेहतर भविष्य देने के लिए कर रहा हूं? शर्म तो उन लोगों को आनी चाहिए जिनकी सोच छोटी है.
लोगों ने बात करना तक छोड़ दिया था
लोगनाथन ने बताया, मेरे दोस्त और परिवार वाले मेरे इस काम से खुश नहीं थे. बहुत से लोगों ने मुझसे बात करना तक छोड़ दिया था. लेकिन इसका असर मैंने खुद पर नहीं होने दिया. मैंने एक घंटे के 50 रुपए से शुरू किया था. अब मैं महीने में 2 हजार रुपए ज्यादा कमा लेता हूं. यह पूरी कमाई अनाथालयों को जाती है. इस काम के पीछे लोगनाथन का मानना है कि कम समय, कम मेहनत और ज्यादा पैसे.
2018 में शुरू की अपनी वर्कशॉप
लोगनाथन ने गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए साल 2018 में खुद की वेल्डिंग शॉप शुरू की. क्योंकि वह पहले जिस वर्कशॉप में काम करते थे, वहां के मालिक को उनके पार्ट टाइम काम से दिक्कत थी. इस मसले पर लोगनाथन कहते हैं, मैं नहीं चाहता था कि कोई मुझे काम से निकाल दे और फिर मुझे अपने परिवार और अनाथालयों के बीच संतुलन बिठाने के लिए संघर्ष करना पड़े. क्योंकि मैं कभी भी इनमें से किसी एक को नहीं चुन सकता. अब मेरी वर्कशॉप के चलते मैं आराम से शौचालयों की सफाई का काम भी कर सकता हूं.
पीएम मोदी ने की लोगानाथन की तारीफ
पीएम मोदी ने मन की बात में लोगानाथन के काम को सराहा. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा कहता हूं कि स्वच्छता कोई एक दिन या एक सप्ताह का अभियान नहीं है, बल्कि ये तो जीवन में उतारने वाला काम है. हम अपने आसपास ऐसे लोग देखते भी हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन, स्वच्छता से जुड़े विषयों पर ही लगा दिया. तमिलनाडु के कोयम्बटूर में रहने वाले लोगानाथन भी बेमिसाल हैं.पीएम ने कहा कि उन्होंने बच्चों की मदद की और अपनी कमाई का एक हिस्सा भी दान देना शुरू कर दिया. देशभर में हो रहे इस तरह के अनेकों प्रयास न सिर्फ हमें प्रेरणा देते हैं, बल्कि कुछ नया कर गुजरने की इच्छाशक्ति भी जगाते हैं.