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Manzoor Ahmad Pencil: पेंसिल स्लैट्स बनाकर बदली अपनी किस्मत, पीएम मोदी ने की सराहना

पीएम मोदी ने मन की बात के 100वें एपिसोड में कश्मीर के मंज़ूर अहमद और उनके काम की सराहना की जिसे आज दुनियाभर में पहचान मिल रही है.

Manzoor Ahmad (Photo: Twitter) Manzoor Ahmad (Photo: Twitter)
हाइलाइट्स
  • पिता करते थे लकड़ी उठाने का काम 

  • बेटे ने शुरू किया अपना कारोबार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 100वें एपिसोड में कश्मीर घाटी के पुलवामा जिले के एक पेंसिल स्लेट फैक्ट्री के मालिक मंज़ूर अहमद अल्लाई की तारीफ की और उनसे फोन पर बात भी की. आपको बता दें कि मंज़ूर पेंसिल बनाने वाली लकड़ी की स्लेट्स तैयार करते हैं. 

फोन पर बात करते समय पीएम मोदी ने मंज़ूर अहमद से पूछा कि उनका काम कैसा चल रहा है. इस पर मंज़ूर ने उन्हें बताया कि उनका काम काफी बढ़ा है और वह 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं. दरअसल, पीएम मोदी पहले मन की बात के 70वें एपिसोड में मंज़ूर के बारे में बता चुके हैं और उसके बाद से मंज़ूर का काम बहुत ज्यादा बढ़ा है. 

पिता करते थे लकड़ी उठाने का काम 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अहमद का जन्म 1976 में पुलवामा जिले के ओखू गांव में हुआ था. उनके पिता, अब्दुल अज़ीज़ अली ने एक स्थानीय डिपो में लकड़ी लोडर के रूप में काम किया, जहां वह दिन के 100-150 रुपए कमाते थे. जैसे-तैसे उनका घर इससे चलता था. 

साल 1996 में उन्होंने अपनी 10वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की और परिवार की आय बढ़ाने के लिए लकड़ी लोडर के रूप में अपने पिता के साथ काम करने का फैसला किया. हालांकि, उन्होंने बाद में जो कुछ भी बचत की थी, उससे एक छोटा बैंडसॉ (आरी) लगाई और चिनार की लकड़ी से फलों के डिब्बे बनाने लगे. हालांकि, साल 2012 में उनकी जिंदगी में बदलाव आया जब उनकी मुलाकात पेंसिल बनाने वाली कंपनी के मालिक से हुई. 

बनाने लगे पेंसिल स्लैट्स
पेंसिल स्लैट लकड़ी के ब्लॉक हैं जिनका उपयोग पेंसिल निर्माता पेंसिल बनाने के लिए करते हैं. पेंसिल के निर्माण में लकड़ी के स्लैट्स बनाना शुरुआती चरणों में से एक है. मंज़ूर ने बताया की शुरू में केवल तीन परिवार के सदस्य थे लेकिन धीरे-धीरे काम बढ़ा तो वर्कफोर्स में बढ़कर सैकड़ों लोग हो गए, जो रोज़गार की तलाश में थे. 

अब वह और भी ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं. आज मंज़ूर द्वारा आपूर्ति की जाने वाली चिनार की लकड़ी से बनी पेंसिलें 77 देशों में उपलब्ध हैं जहाँ वे विभिन्न भारतीय ब्रांड्स के तहत बेची जाती हैं. मंज़ूर को आज उनके जिले में प्यार से 'मंज़ूर पेंसिल' के नाम से जाना जाता है.