बेंगलुरु में इंडिया एनर्जी वीक 2023 चल रहा है. इस मीटिंग में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कई महत्वपूर्ण चीजों पर बात की जैसे, नया हेलीकॉप्टर, हरित हाइड्रोजन में सुधार, या नया इथेनॉल. लेकिन इन सबमें में से कौन सी चीज आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है? हालांकि, यहां पर एक ऐसी चीज की बात हुई जो सीधा आम आदमी से जुड़ी है.
पीएम मोदी ने इंडियन ऑयल के नए इंडोर सोलर कुकिंग सिस्टम, 'सूर्य नूतन' के बारे में बताया. बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी ने जानकारी दी कि अगले कुछ वर्षों में, सोलर कुक-टॉप तीन करोड़ घरों तक पहुंच जाएगा.
कैसे काम करता है सोलर कुकर
अब तक लोगों ने ऐसे सोलर कुकर देखे हैं जिन्हें धूप में रखने पर इनमें खाना पकता है. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं इंडोर सोलर कुकर के बारे में. इस सोलर कुकर में दो पार्ट होते हैं: पहला, मुख्य स्टोव, जो एक केबल के माध्यम से सोलर पीवी पैनल से जुड़ा होता है और यह छत से चिपक जाता है.
शुरुआती सेट-अप के बाद, कंपनी का दावा है कि दैनिक सूर्य की रोशनी दिन और रात के दौरान चार लोगों के परिवार के लिए पूरा खाना पकाने के लिए पर्याप्त होती है. इसके अलावा, अगर किसी दिन धूप न हो तो, इसे इलेक्ट्रिक ग्रिड में भी प्लग किया जा सकता है. यह सोलर स्टोव दो वेरिएंट में आता है या तो सिंगल या डबल कुकर के साथ.
क्या हैं सूर्य नूतन की खासियत
बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, सूर्य नूतन में खाना पकाने का समय एलपीजी बर्नर के समान है. इसके अलावा, आप सूर्य नूतन पर कुछ भी पका सकते हैं जैसे आप पारंपरिक कुकर में पकाते हैं. जबकि सौर पैनल में 25 साल का जीवन है, कंपनी का दावा है कि स्टोव बिना रखरखाव के दस साल तक चल सकता है.
इसमें अच्छी बैटरी का सपोर्ट है जिसे बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. हालांकि, इसकी ज्यादा कीमत फिलहाल बहुत से भारतीय परिवारों के लिए मुश्किल हो सकती है. वर्तमान में, स्टोव की कीमत 18,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति यूनिट के बीच है, जो निश्चित रूप से स्टैंडर्ड इंडक्शन स्टोव की तुलना में बहुत अधिक है.
लॉन्ग रन में बेहतर है सूर्य नूतन
बात अगर एलपीजी से तुलना की करें तो 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर की कीमत 1,000 रुपये से अधिक है, जो आमतौर पर एक परिवार के लिए 1 महीने तक पर्याप्त होता है. हालांकि, लंबी अवधि में सूर्य नूतन के स्पष्ट दीर्घकालिक ऊर्जा और वित्तीय लाभ हैं क्योंकि सूर्य नूतन खाना पकाने की लागत को मूल रूप से शून्य तक कम कर देता है.
2020 के भारत आवासीय ऊर्जा सर्वेक्षण के अनुसार, केवल लगभग पांच प्रतिशत भारतीय घर ही ई-कुकिंग उपकरणों का उपयोग करते हैं, और यह मुख्य रूप से केवल अमीर लोगों (उपयोगकर्ता आधार का 85%) के बीच केंद्रित है. इसके अतिरिक्त, कई लोगों का मानना है कि ई-कुकिंग सही विकल्प नहीं है. हालांकि, पीएम मोदी की सराहना और भारतीय घरेलू ब्रांड के रूप में इंडियन ऑयल की के सौर कुकर को हर भारतीय रसोई तक पहुंचाने में मददगार हो सकती है.