तेलंगाना की रहने वाली पर्वतारोही पूर्णा मालवत ने 'Seven Summits Challenge' (सेवन समिट्स चैलेंज) को पूरा कर एक और उपलब्धि हासिल की है. पूर्णा ने हाल ही में, 5 जून को उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट डेनाली (6,190 मीटर) पर चढ़ाई की है. यह कारनामा करके पूर्णा ने देश का नाम रोशन कर दिया है.
13 साल की उम्र में फतह की माउंट एवरेस्ट
पूर्व निजामाबाद जिले की रहने वाली पूर्णा ने 13 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी को फतह किया. ऐसा करके, माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाली वह सबसे कम उम्र की भारतीय और दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की बन गईं थी. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पूर्णा को ऐस इंजीनियरिंग अकादमी के अध्यक्ष, प्रोफेसर वाईवी गोपाल कृष्ण मूर्ति ने स्पॉन्सर किया. वहीं, डॉ आरएस प्रवीण कुमार ने पूर्णा की प्रतिभा को पहचाना और भुक्य शोबन बाबू फाउंडेशन, हैदराबाद के अध्यक्ष भुक्य शोबन बाबू ने भी उन्हें सपोर्ट किया.
माउंट डेनाली मिशन के लिए पूर्णा ने 18 मई को भारत से उत्तरी अमेरिका के लिए निकलीं और 19 मई को अलास्का में एंकोरेज के शुरुआती बिंदु पर पहुंच गई. उनके साथ चार अन्य भारतीय- अजीत बजाज, एडवेंचर स्पोर्ट्स में पद्म श्री अवार्डी, दीया बजाज, विशाखापत्तनम के अनमीश वर्मा और पर्वतारोही वर्मा भी थे.
पूरा किया 'सेवन समिट्स चैलेंज'
अब तक, पूर्णा ने माउंट एवरेस्ट (एशिया), माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका), माउंट एल्ब्रस (यूरोप), माउंट एकॉनकागुआ (दक्षिण अमेरिका), माउंट कार्सटेन्ज़ पिरामिड (ओशिनिया), माउंट विंसन (अंटार्कटिका) और माउंट डेनाली मिशन को पूरा किया है. यह मिशन हैदराबाद की एक कंपनी ट्रांसेंड एडवेंचर्स की मदद से चलाया गया. इस कंपनी के पास दुनिया भर में मिशन करने का लाइसेंस है. इस फर्म ने 'सेवन समिट्स चैलेंज' के तहत हर एक चोटी को फतह करने में पूर्णा की मदद की है.