माता-पिता आजकल बच्चों की तस्वीरें पोस्ट कर देते हैं. हालांकि, इसके अपने नुकसान हैं. असम पुलिस ने शनिवार इसी को लेकर लोगों को आगाह किया है. असम पुलिस ने एक ट्वीट किया, जिसमें माता-पिता से अनुरोध किया गया कि वे "अपने बच्चे को शेयरिंग के खतरों से बचाएं. इस ट्विटर पोस्ट में चार अलग-अलग बच्चों की तस्वीरें थीं, जिनमें से सभी पर एक मैसेज था, जो बच्चों की ओर से दिया गया था. इसे शेयरेंटिंग (Sharenting) नाम दिया गया है.
शेयरेंटिंग क्या है?
शेयरेंटिंग में माता-पिता अपने बच्चों के बारे में सेंसिटिव कंटेंट सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. उनका ये प्लेटफॉर्म पब्लिक होता है. इससे कई नुकसान हो सकते हैं. यह शब्द 2010 में गढ़ा गया था. मौजूदा समय में ये शब्द यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, अमेरिका और फ्रांस जैसे विश्व के कुछ प्रमुख देशों में फेमस है. कई लोगों ने शेयरेंटिंग को बच्चे की प्राइवेसी का उल्लंघन बताया है. इसका अलावा कहा गया है कि इससे माता-पिता-बच्चे के रिश्ते को नुकसान पहुंच सकता है.
माता-पिता को कम शेयरिंग करनी चाहिए
बच्चे की प्राइवेसी पर हमला करने के अलावा, शेयर करने से साइबर बुलिंग का जोखिम भी होता है. इसमें सोशल मीडिया यूजर लड़के या लड़की के बड़े होने पर बच्चे का अपमान करने, उसका मजाक उड़ाने या यहां तक कि उसे धमकाने के लिए जानकारी का उपयोग कर सकते हैं. दरअसल, सोशल मीडिया पर शेयर की गई कोई भी पोस्ट लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव डाल सकती है. इतना ही नहीं बल्कि माता-पिता का बच्चों पर बहुत कम या कोई कंट्रोल नहीं हो सकता है. जबकि माता-पिता नुकसान को कम करने के लिए पोस्ट को हटा सकते हैं, लेकिन कंटेंट पोस्ट करने के बाद कोई यूजर उसका स्क्रीनशॉट भी ले सकता है, जिससे नुकसान और भी ज्यादा हो सकता है.
शेयरिंग से डिजिटल किडनैपिंग भी हो सकता है. ये तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से किसी बच्चे की तस्वीर सेव करता है और बाद में उस एक नए नाम से कोई दूसरा अकाउंट बना लेता है.