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Poultry Farming ने बदल दी इस हाउसवाइफ की जिंदगी, अब हर महीने कमाती हैं लगभग डेढ लाख रुपए

मध्य प्रदेश के झाबुआ में एक महिला किसान ने लीक से हटकर मुर्गीपालन शुरू किया और अब इसमें सफलता हासिल करके दूसरे किसानों के लिए मिसाल बन चुकी हैं. जानिए पुष्पा दोहरे की मेहनत और सफलता की कहानी.

Poultry Farming Poultry Farming
हाइलाइट्स
  • केवीके की मदद से शुरू किया मुर्गीपालन

  • दूसरे शहरों से भी लोग करते हैं संपर्क

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के अंतरवेलिया गांव में रहने वाली पुष्पा दोहरे ने अपनी मेहनत से यह साबित किया है कि अगर कुछ अलग करने की चाह हो तो आप खेती-बाड़ी में भी अच्छा कमा सकते हैं. कुछ साल पहले तक पुष्पा के परिवार के लिए खेती से गुजारा करना मुश्किल हो गया. उनके पास छह एकड़ ज़मीन थी जिस पर वे मक्का, गेहूं और अन्य फसलें उगाते थे. लेकिन कुछ खास कमाई नहीं हो पा रही थी. ज्यादा लागत के कारण मुनाफा ना के बराबर था. 

तब पुष्पा ने कुछ अलग करने की ठानी. साल 2019 में वह झाबुआ के कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ीं और उन्हें कड़कनाथ मुर्गियों के पालन के बारे में पता चला. कड़कनाथ, जिसे काली मासी (काले मांस वाला पक्षी) भी कहा जाता है, मुर्गे की एक देसी नस्ल है. कड़कनाथ की तीन किस्में होती हैं- जेट ब्लैक, गोल्डन और पेंसिल्ड.

केवीके की मदद से शुरू किया मुर्गीपालन
पुष्पा ने एक इंटरव्यू में बताया कि केवीके झाबुआ से उन्होंने 200 चूज़े (15 दिन के) खरीदने के लिए 15000 रुपये का निवेश किया, प्रत्येक की कीमत लगभग 75 रुपये थी. उन्होंने अपने फार्म के कमरे पर मुर्गीपालन शुरू किया. पुष्पा ने उनके लिए रेडीमेड पोल्ट्री फ़ीड खरीदा. शुरुआत में उन्हें जानकारी की कमी के कारण थोड़ी परेशानी हुई लेकिन फिर केवीके झाबुआ से मुर्गीपालन पर 30 दिन की ट्रेनिंग कोर्स किया. उन्होंने चूजा उत्पादन के लिए एक व्यावसायिक हैचरी की स्थापना की, जिसका नाम देसी कड़कनाथ झाबुआ रखा गया. 

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उन्होंने फिर से केवीके से चूज़े खरीदे और इस बार, व्यवसाय चल निकला. उन्होंने ज़मीन के एक हिस्से पर और कमरे बनाए और मुर्गियों को वहां रखा. लॉकडाउन के दौरान भी लोग उनके पास अंडे और मांस खरीदने के लिए फार्म में आते थे. वह कड़कनाथ का मांस 500 रुपये प्रति किलोग्राम और अंडे 25 रुपये प्रति पीस बेचती हैं. वह हर महीने 150 से 200 पक्षी बेचती हैं. पक्षियों का वजन 900 ग्राम से 1.3 किलोग्राम के बीच होता है. दिवाली के बाद से अंडे की मांग बढ़ जाती है और मार्च के मध्य तक उच्च स्तर पर रहती है. 

दूसरे शहरों से भी लोग करते हैं संपर्क
खरीदार सीधे पुष्पा से संपर्क करते हैं और खेत से मांस और अंडे खरीदते हैं. वह गुजरात समेत दूसरे शहरों और राज्यों में भी अंडे भेजती हैं. लोग कड़कनाथ और उसके अंडे खरीदने के लिए इंदौर और भोपाल जैसे अन्य शहरों से आते हैं. बिक्री के आधार पर उनके फार्म में पक्षियों की संख्या बदलती रहती है. 

पुष्पा हर महीने लगभग 1.5 लाख रुपये कमाती हैं क्योंकि सर्दियों के दौरान बिक्री कई गुना बढ़ जाती है और गर्मियों के दौरान कम हो जाती है. अब वह अपने खेत में बागवानी और अजोला उत्पादन भी कर रही हैं. पुष्पा ने हैचरी में अपने साथ काम करने के लिए तीन लोगों को काम पर रखा है. पुष्पा मुर्गी पालन और बागवानी में आजीविका के अवसरों के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण देकर अन्य महिलाओं की भी मदद करती है.