
प्रयागराज शहर में घरों, होटल-रेस्टोरेंट्स और मंदिरों से 200 टन गीला कचरा हर दिन निकलता है. अब इसी कचरे से प्रयागराज नगर निगम 56 लाख रुपए सालाना कमाई करने जा रहा है. यानी जिस सब्जी, फल-फूल या जूठन को कभी यूं ही फेंक दिया करते थे, उसी से रोजाना अब 21500 किलो बायो CNG और 209 टन जैविक खाद भी बनेगी. इसके लिए बाकायदा अरैल में उत्तर प्रदेश का पहला बायो गैस प्लांट स्थापित किया गया है. खास बात यह है कि नए साल 2025 और महाकुंभ से ठीक पहले काम करना भी शुरू देगा. प्रयागराज पहुंचे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज इसका निरीक्षण किया है.
प्रयागराज में हर दिन निकलने वाले कूड़े के कारण कचरे का पहाड़ बनता जा रहा था. हर तरह का कचरा होने के कारण उसे निस्तारित करना बड़ी समस्या थी. ऐसे में प्रयागराज नगर निगम ने कचरे से ऊर्जा बनाने की सोच को धरातल पर उतारा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वेस्ट-टू-वेल्थ की अवधारणा को साकार किया है. प्रयागराज आरएनजी (नवीकरणीय प्राकृतिक गैस) परियोजना अत्याधुनिक और नवीनतम तकनीक के साथ नगर निगम के ठोस कचरे को बायोगैस में संसाधित करने के लिए सबसे उन्नत और कुशल सुविधाओं में से एक है.
नगर निगम ने दी है 12.49 एकड़ जमीन
पीपीपी मॉडल से इस बायो सीएनजी प्लांट का संचालन होगा. इसके लिए प्रयागराज नगर निगम ने 12.49 एकड़ जमीन नैनी के जहांगीराबाद में अरैल घाट के पास दी है. प्लांट का संचालन एवर एनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड करेगी. इसके लिए नगर निगम और कंपनी के बीच 25 साल के लिए अनुबंध हुआ है. इसके बाद कंपनी प्लांट का संचालन नगर निगम को सौंप देगी. फिलहाल इस प्लांट के संचालन के लिए करीब 1250 यूनिट बिजली की हर दिन खपत हो सकती है.
प्लांट की उत्पादन क्षमता 343 टन प्रति दिन
इस प्लांट की कुल क्षमता 343 टन प्रति दिन उत्पादन की है. हर दिन प्लांट से 21.5 टन बायो CNG के साथ 109 टन ठोस जैविक खाद और 100 टन तरल जैविक खाद बनेगी. प्रथम चरण में 200 टन क्षमता के नगरीय कचरे से बायो CNG बनाने का कार्य पूरा हो चुका है. शेष 143 टन धान के पुआल और गोबर से गैस बनाने का काम प्रगति पर है.शुरू में होगा सिर्फ गोबर का उपयोग प्लांट हेड हिमांशु बताते हैं कि कचरे से बायो सीएनजी बनने तक की साइकिल करीब 20 से 25 दिन की होती है. प्लांट की शुरुआत में करीब 30 टन गोबर प्रति दिन डाला जाएगा. इससे एक्टिव बैक्टीरिया बनेगा. एक बार यह प्रोसेस शुरू हो जाएगा, उसके बाद रोजाना गोबर की जरूरत नहीं पड़ेगी. बाद में फिर जरूरत के अनुसार गोबर का उपयोग किया जाएगा.
कैसे कचरे से बनती है बायो CNG और जैविक खाद
नगर निगम कचरा गाड़ियां शहर में चला रहा है. इनसे घर-घर जाकर गीला-सूखा कचरा, बॉयो मेडिकल वेस्ट एकत्र किया जाता है.
गाड़ियों में गीला कचरा लेकर बायो CNG प्लांट तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है. सभी गाड़ियों का कचरा एक जगह इकट्ठा कर दिया जाता है.
प्लांट में जेसीबी जैसी मशीन कचरे को उठाती है. यहां से प्री ट्रीटमेंट यूनिट हॉपर में डाला जाता है. इसमें 2 मशीन होती है.
ट्रायल में स्क्रीनिंग होने के बाद सेकेंड हॉपर मशीन में इसे आगे बढ़ा दिया जाता है. इन मशीनों को विदेश से मंगाया गया है.
सेकेंड हॉपर से कचरा हेमर मिल में भेजा जाता है. अनावश्यक मटेरियल को अलग कर मशीन (हेमर मिल) में क्रश किया जाता है.
इसे हाइड्रोलिसिस फीड टैंक में डालते हैं. इसे टैंक में अलग से एक्टिव स्लरी यानी जिसमें बैक्टिरिया एक्टिव (कल्चर ) होते हैं, वह भी डाला जाता है.
क्रश किए गए कचरे को इसमें मिक्स करते हैं. करीब दो दिन तक स्लरी को इसी में रखा जाता है फिर रॉ बायोगैस को साफ कर बायो CNG बनाते हैं.
फीड टैंक में तैयार स्लरी को मेन डायजेस्टर टैंक में भिजवाते हैं. यहां हाई क्वालिटी बायो गैस तैयार होने लगती है.
बायो गैस में मिथेन गैस (यही बॉयो CNG गैस है) की मात्रा करीब 50-65% और बाकी 35-50% कॉर्बन डाइ ऑक्साइड (Co2) होती है.
यहां से गैस को एक बड़े बलून में स्टोर करके प्रोसेस शुरू कर देते हैं. यहां कॉर्बन डाइ ऑक्साइड को मिथेन से हटाना होता है. इसके लिए रॉ बायोगैस को PSC सिस्टम से क्लीन किया जाता है. इसमें से दो हिस्सा निकलता है-
1. फरमेंटेड जैविक खाद को पैक कर कृषि कार्यों के लिए बेचा जाएगा.
2. CNG गैस को अदानी टोटल गैस लिमिटेड (ATGL) को बेचा जाएगा.
दो चरणों में स्थापित होगा प्लांट
दो चरणों में 21.5 टन प्रतिदिन का बायो-सीएनजी प्लांट स्थापित करने की योजना है. पहले चरण के लिए दो डाइजेस्टर स्थापित किए गए हैं. जो केवल 200 टन प्रतिदिन गीले कचरे का उपयोग करके 8.9 टन रोजाना बायो-सीएनजी का उत्पादन करेंगे. दूसरे चरण में रोजाना शेष 13.2 टन बायो-सीएनजी का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि इसकी अनुमति बाद में प्लांट संचालकों की ओर से ली जाएगी.
पर्यावरण को भी प्लांट से फायदा
प्लांट के माध्यम से जैविक कचरे को ऊर्जा में बदलकर हर साल करीब 56700 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा. लैंडफिल से कचरे का यह डायवर्जन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में और सहायता करता है. इस प्लांट को करीब 125 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है. इस प्लांट से बायो-सीएनजी की आपूर्ति प्रयागराज सहित उत्तर प्रदेश में औद्योगिक और खुदरा ग्राहकों को भी की जाएगी. फिलहाल अदानी टोटल गैस लिमिटेड (ATGL) को बेचने का एग्रीमेंट हो चुका है.
रोजगार के अवसर भी मिलेंगे
परियोजना में लगभग 200 व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. एक बार पूरी तरह से चालू हो जाने पर, प्लांट से लगभग 25 कर्मियों को सीधे रोजगार मिलेगा, जबकि 100 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से काम मिल सकेगा. इसके अलावा स्थानीय आर्थिक विकास में भी योगदान देगा.
वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में मील का पत्थर
प्रयागराज नगर निगम आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने बताया कि इस बायो सीएनजी प्लांट की स्थापना से निगम को आय होगी. साथ ही प्रतिदिन 200 टन गीले कचरे का निपटान हो सकेगा. वहीं हवा की गुणवत्ता सुधार की दिशा में प्लांट मील का पत्थर साबित होगा.
-आनंद राज की रिपोर्ट