बड़े-बड़े कवियों और महानुभावों ने प्यार का रंग लाल बताया है. तमाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू की साहित्य की किताबों में प्रेम को सुर्ख लाल कहा गया है. लेकिन क्या सचमुच में ऐसा है? इसका भला एक रंग कैसे हो सकता है? दुनिया में अरबों लोग हैं और सबकी प्रेम की परिभाषाएं अलग हैं. तो रंग भी तो अलग हुए ना? दरअसल, प्यार लाल नहीं बल्कि सतरंगी है. क्योंकि प्यार कभी भी किसी से भी कहीं भी हो सकता है. ऐसा हम नहीं प्रकाश का कहना है. तस्वीर में सतरंगी झंडे में खुद को लपेटे हुए ये शख्स LGBTQIA+ कम्युनिटी से है. ये सतरंगी झंडा ही LGBTQIA+ का प्रतीक है. ये वो प्रतीक है जो बताता है कि हर जेंडर और हर तरह की सेक्शुअल ओरिएंटेशन नॉर्मल है. और किसी को इससे हीन भावना रखने या शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है. और जून का महीना बस इसी भावना और इन्हीं प्रतीकों का जश्न मनाने का समय है.
हालांकि, प्रकाश का मानना है कि अभी भी भारत में बहुत सी ऐसी जगह हैं जहां गे होना या LGBTQIA+ होना आसान नहीं है. लेकिन हालात तब थोड़े नॉमर्ल हो जाते हैं जब लोग खुद को एक्सेप्ट को और अपनी आइडेंटिटी को खुलकर अपना लेते हैं. चाहे फिर वो कोई भी हो.
GNT डिजिटल से बात करते हुए प्रकाश कहते हैं, “ये केवल मेरी ही कम्युनिटी के साथ नहीं है बल्कि सभी लोगों के साथ है. हम अपने आसपास इतना भेदभाव देखते हैं. फिर चाहे वो रंग को लेकर हो, शरीर को लेकर हो, फाइनेंशियली हो, जेंडर को लेकर को, जाति को लेकर हो या किसी भी दूसरी चीज़ का हो. लेकिन जब आप खुद को लेकर कम्फर्टेबल हो जाते हैं तब शायद आप दूसरों से वो हक छीन लेते हैं कि वे आपको परेशान कर सकें या आपको दुखी कर सकें.”
सफर रहा रोलरकॉस्टर राइड की तरह
दरअसल, प्रकाश गे हैं. हालांकि इस बात को समझने में उन्हें काफी समय लगा लेकिन अब वे अपने हिसाब से जिंदगी जी रहे हैं. अपने पूरे सफर के बारे में उन्होंने बताया कि उनका ये सफर काफी रोलरकॉस्टर राइड की तरह रहा है. आसान नहीं था, लेकिन अततः वे यहां पहुंच चुके हैं. प्रकाश कहते हैं, “बचपच से ही मुझे सजना सवरना बहुत पसंद था. एकबार मुझे राधा का किरदार मिला था और मैं काफी खुश था. मुझे बिलकुल भी अजीब फील नहीं हुआ था बल्कि मुझे बहुत अच्छा लगा था उस दिन. बस तभी से मेरा ये सफर शुरू हो गया था. आप जब अपने मेल फ्रेंड्स के साथ बैठते हैं तो लगता है कि और उनकी बातों से खुद को कनेक्ट नहीं कर पाते हैं तो आप अलग ज़ोन में चले जाते हैं. मेरे साथ भी यही होता था. और सबसे बड़ी बात आप ये सब किसी को बता भी नहीं पाते हैं. तो उस वक्त से मुझे लगने लगा कि शायद मैं इनके जैसा नहीं हूं, मैं इनसे अलग हूं. मेरा सफर अलग है. कॉलेज में मुझे लगता था कि मैं बायसेक्शुअल हूं. हालांकि, मेरी गर्लफ्रेंड भी रही लेकिन मैं कभी उससे कनेक्ट नहीं कर पाया और फिर मैंने हमारा रिश्ता आगे नहीं बढ़ाया. और तब मुझे लगा कि नहीं मैं गे हूं.”
घर में था काफी स्ट्रिक्ट माहौल
अपने घर के माहौल में प्रकाश बताते हैं, “शुरू-शुरू में मैं क्लोजेट में ही रहा क्योंकि मुझे लगता था कि अगर किसी को पता चल गया तो वो क्या कहेंगे. इसमें सबसे ज्यादा चिंता अपने घरवालों की होती है. उस वक्त पर डर लगता था. सबसे बुरा होता है कि एक तो आप इन चीजों को लेकर कंफ्यूज होते हैं और फिर दूसरे लोग इस चीज जो ट्रिगर करते हैं तो और बुरा लगता है. सबसे पहला डर आपके दिल में होता है कि घर वाले क्या कहेंगे क्योंकि उनका कैसा रिएक्शन होगा आप इस बारे में नहीं जानते हैं. और मेरे घर पर तो बहुत ज्यादा स्ट्रिक्ट माहौल था. मेरा बड़ा भाई और मेरे पापा काफी स्ट्रिक्ट हैं. तो मुझे उनका सबसे ज्यादा डर था. दरअसल, मैं खुद से बहुत प्यार करता हूं. करीना कपूर का डायलॉग है ना कि मैं खुद की फेवरेट हूं. तो मेरे साथ भी ऐसा ही है मैं खुद का फेवरेट हूं. मुझे अपने आपको देखना अच्छा लगता है. तो अक्सर पाप और भाई कह देते थे कि इतना क्या खुद को लड़कियों की तरह आईने में निहारता रहता है. लेकिन इस दौरान मेरी मम्मी और बड़ी बहन काफी सपोर्टिव थीं.”
स्कूल में हुआ काफी मानसिक शोषण
प्रकाश अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहते हैं कि इस दौरान स्कूल में उन्हें काफी मानसिक शोषण झेलना पड़ा. वे कहते हैं, “मैं स्कूल में बहुत बुली हुआ हूं. क्लास मैं बैठे-बैठे अगर मैं किसी से बात कर रहा हूं तो सब पीछे से चिल्ला देते थे कि ओए लेडीज, गुड ,मीठा. लोग बोलने से पहले एक दफा सोचते भी नहीं हैं कि जिन्हें ये सब बोला जा रहा है उनपर क्या गुजरेगी. या वो किस मानसिक यातना से गुजर सकते हैं. हो सकता है कोई आपके सामने ये दिखा न रहा हो लेकिन खाली समय में बैठे हुए ये चीज़ें बहुत परेशान कर सकती हैं. इन सबसे आप मेंटली बहुत डिस्टर्ब रहने लग जाते हो. लेकिन जब भी स्कूल में मैं कभी अपने ज़ोन में जाने की कोशिश करता था तो बच्चे वापिस से मुझे उसी में खींच ले आते थे. तो ये काफी लंबा समय रहा है. मैंने अपने आपको काफी होल्ड किया है. हर बार अपने रियल मी को दिखाने के लिए खुद को बहुत रोका है.”
वे आगे कहते हैं कि बहुत सारे लोग इस फेज से शायद अभी भी गुजर रहे हैं. क्योंकि उन्हें डर होता है कि लोग ये सब सुनकर परेशान करेंगे. इसीलिए लोग इसके बारे में बात भी नहीं कर पाते हैं. जो बहुत गलत है.
मां और बहन ने हमेशा दिया है साथ
प्रकाश बताते हैं कि इस पूरे सफर के दौरान उनकी मां और बहन ने हमेशा उनका साथ दिया है. हालांकि, भाई उनके गे होने को लेकर आज तक भी एक्सेप्ट नहीं का पाए हैं. वे बताते हैं, “2018 में जब मैं मुंबई गया था तो उन्हें एक वेब सिरीज में काम करने का मौका मिला था. जिसका नाम अगल-बगल था. ये सीरीज दो गे पड़ोसियों के बारे में थी. उसमें मेरा और रोहन का एक किसिंग सीन था. जो मेरे भाई ने मेरी मम्मी को दिखा दिया था. क्योंकि मेरे भाई को पहले से ही पता था. जब उसे पता चला तो उसने सबसे पहले ये नहीं पूछा कि तुम कैसे रहोगे उसने बस यही कहा कि अगर लोगों को पता चल गया तो हमारी कितनी बदनामी होगी. मेरे भाई ने वही सीन मम्मी को दिखा दिया. और उन्हें कहा कि मैं मुंबई में सेक्स वर्क कर रहा हूं और इसी तरह पैसे कमा रहा हूं. तो उसके बाद मेरी मां ने मुझसे पूछा कि ये सब क्या है? मैंने उन्हें सब बताया कि ये एक वेब सीरीज है और इसमें इस तरह से काम होता है. तब वे नॉर्मल हो गईं. उस दिन मैंने बहुत डायरेक्टली मां को बोला कि मुझे लड़कियां पसन्द नहीं हैं. लड़के पसन्द हैं.”
मां के रिएक्शन के बारे में वे आगे बताते हैं, “ये सुनकर मां थोड़ा शांत रहीं और बोलीं मतलब? तो मैंने उन्हें समझाया कि जैसे आपको पापा को देखकर जो फीलिंग या जो प्यार आता है और उन्हें आपको देखकर वैसा मैं लड़को देखकर फील करता हूं. लड़कियों को देखकर नहीं. वो ये सुनकर 5 मिनट तक चुप रहीं और बोलीं कि तू खुश है? मैंने कहा हां. तो उन्होंने कहा कि बस यही चाहती हूं मैं, तू खुश रहे. तुम्हारी जो आइडेंटिटी है तुम क्या हो मुझे इससे लेना देना नहीं है बस तुम खुश रहो.जिस चीज़ में तुम्हे खुशी मिलती है तुम वो करो. मेरे लिए मेरा बेटा ज्यादा जरूरी है बजाय इसकी कि उसकी लाइफ में क्या चल रहा है. ठीक ऐसा ही रिएक्शन मेरी बहन का भी था. जब मैंने उसे बताया तो वो रोने लगी. इसलिए नहीं कि मैं गे हूं बल्कि इसलिए कि मैं बचपन से लेकर आज तक कितनी मुश्किलों से गुजरा हूं. उनका हमेशा से रह है कि तुम बस खुश रहो.”
प्रकाश का मानना है कि लोगों की पढ़ाई मायने नहीं रखती है मांयने ये रखता है कि आप दूसरे इंसान को कैसा ट्रीट करते हैं. और आप उनके इमोशंस और उनकी आइडेंटिटी की कद्र करते हैं या नहीं.
भारत में अभी भी हैं कई मुश्किलें
प्रकाश कहते हैं, हालांकि अभी भी स्ट्रगल बहुत है. जैसे अभी भी देश में हमे एडॉप्शन का अधिकार नहीं दिया गया है. इसके अलावा अगर हम रिलेशनशिप में भी हैं तो भी हम अपना जॉइंट एकाउंट नहीं खोल सकते हैं. शादी हम एक बार कर भी लें लेकिन ऑन पेपर हमारी शादी की कोई वैल्यू नहीं है. तो बस हम उम्मीद ही कर सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस बात को संज्ञान में लेगा. इसके लिए पेटिशन भी डाली गई है लेकिन उसकी तारिख आगे बढ़ती जा रही है. लेकिन हमें उम्मीद है कि एक दिन तो वो आएगा जब हमें हमारे देश में इज्जत से रहने का और इन सब चीजों का हक मिलेगा.
प्यार बांटिए, नफरत नहीं
लोगों के लिए संदेश देते हुए प्रकाश कहते हैं कि मैं नहीं कहता आप मुझे सपोर्ट कीजिये लेकिन आप इंसानियत को सपोर्ट कीजिये.अगर कोई जैसा भी है उसे आप बोल देंगे कि इट्स ओके इट्स फाइन. तो इसी से उसका दिन बन जायेगा. इंसान दिन में बुरी चीज़ें हजार सुनता है लेकिन उन बुरी चीज़ों में बस एक अच्छी बात भी किसी का दिन बनाने के लिए काफी होती है. प्यार बांटिए, नफरत नहीं.
वहीं कम्युनिटी के लिए वे कहते हैं, “जो लोग अब क्लोजेट से बाहर आ गए हैं मैं थैंकफूल हूं कि आप बाहर आये हैं. और बचे हुए लोगों से इतना ही कि बाहर आइये. बाकी सभी लोग जब भी प्राइड हो तो आइए. क्योंकि आप तबतक किसी चीज़ के बारे में जान नही सकते हैं जबतक आप उसे पास से नहीं देख लेते. इसलिए प्लीज जॉइन कीजिए. सपोर्ट करने के लिए आपका LGBTQ होना जरूरी नहीं है. जैसे एनिमल को सपोर्ट करने के लिए आपको एनिमल होना जरूरी नहीं है ठीक उसी तरह. आप बस देखिए और कम्युनिटी को समझिए और जितना हो सके प्यार बांटिए.”