पंजाब के फरीदकोट में खिलचियां एक ऐसा गांव है, जहां एक ही घर है. एक गुरुद्वारा है. साल 1947 में बंटवारे के बाद एक परिवार इस गांव में आया था. वही परिवार आज तक इस गांव में रहता है. उस परिवार के अलावा दूसरा कोई भी इस गांव में नहीं रहता है. ये गांव जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर है.
गांव में एक गुरुद्वारा साहिब-
गांव में एक परिवार के अलावा एक गुरुद्वारा साहिब भी है. बताया जाता है कि ये काफी पुराना गुरुद्वारा है. गांव के गुरुद्वारा साहिब के बाबा ने बताया कि यह सच है कि इस गांव में एक ही घर है. यहां जो गुरुद्वारा साहिब बना है, जहां 12वीं सदी के महान सूफी संत बाबा शेख फरीद जी आए थे. उनकी एक निशानी कुआं आज भी मौजूद है.
105 साल के बुजुर्ग ने क्या बताया-
इस गांव में रहने वाले 105 साल के बुजुर्ग ने बताया कि अब इस गांव में यह मैं अकेला ही हूं. आजादी के समय कुछ मुसलमान रहते थे, लेकिन वो भी धीरे धीरे चले गए .उसके बाद से इस गांव में कोई रहने नहीं आया. बुजुर्ग ने बताया कि मैं पाकिस्तान के भावलपुर से आया हूं और यहीं रह रहा हूं.
पाकिस्तान से आया था परिवार-
बुजुर्ग ने कहा कि साल 1947 से कई नेता इस गांव वोट मांगने के लिए आए. लेकिन किसी ने इस गांव की सुध नहीं ली. उन्होंने बताया कि इस गांव में कोई इसलिए नहीं बसता था, क्योंकि यहां की जमीन पर अनाज की पैदावार नहीं होती थी. उन्होंने कहा कि मेरी कोई पेंशन तक नहीं लगी. इस गांव में पंचायत भी बनाई गई है, जो पास के गांव के साथ मर्ज है. उनका कहना है कि इस गांव में एक गुरुद्वारा साहिब भी है, जो बाबा फरीद जी की जगह है.
(फरीदकोट से प्रेम पासी की रिपोर्ट)
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