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Kuldhara Village: 200 साल पहले एक रात में खाली हो गया था गांव, आज भी 6 बजे के बाद जाना है मना... क्या है शापित कुलधरा गांव का रहस्य?

Rahasya: राजस्थान में (Rajasthan) जैसलमेर (Jaisalmer) से 17 किलोमीटर दूर कुलधरा गांव (Kuldhara Village) है. इसे साल 1291 में पालीवाल ब्राह्मणों (Paliwal Brahmin) ने बसाया था. इस गांव की आबादी करीब 5000 थी. खेती-बाड़ी से लोग जीवन-यापन करते थे. लेकिन 200 साल पहले एक एक रात में पूरा गांव खाली हो गया. किसी को पता नहीं चला कि इस गांव के लोग कहां गए? इस गांव के खाली होने को लेकर तीन कहानियां प्रचलित है. आज भी इस गांव के इलाके में शाम 6 बजे के बाद कोई नहीं जाता है.

Kuldhara Village Kuldhara Village

ये संसार रहस्यों से भरा पड़ा है. एक से एक ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, जिसपर भरोसा करना असंभव होता है. लेकिन कई घटनाएं सच होती हैं. राजस्थान में कुलधरा नाम का एक ऐसा गांव है, जो सदियों पुराना है. लेकिन आज ये गांव पूरी तरह से वीरान है. यहां के खंडहर बताते हैं कि ये गांव कभी आबाद रहा होगा. जैसे ही सूरज अस्त होता है, इस गांव में घुसने पर बैन हो जाता है. इसकी कहानी 200 साल पुरानी है, जब एक रात में ही पूरा गांव वीरान हो गया था. चलिए इस शापित माने जाने वाले गांव की पूरी कहानी बताते हैं.

सूरज ढलने के बाद गांव में कोई नहीं जाता-
राजस्थान के जैसलमेर में कुलधरा गांव नाम का एक रहस्यमयी गांव है. यह गांव जिला मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर है. ये गांव पूरी तरह से खाली है. यहां दूर-दूर तक कोई इंसान नजर नहीं आता है. चारों तरफ सन्नाटा, खंडहर और रेगिस्तान दिखाई देता है. इस गांव में शाम 6 बजे के बाद जाने पर एक तरफ से पाबंदी है. लोगों का मानना है कि ये गांव भी कभी आबाद था. यहां लोग रहते थे. इस इलाके को बसाने की भी कोशिश की गई. लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली.

प्रशासन की तरफ से इस गांव के बॉर्डर पर एक गेट बनवाया है. शाम 6 बजे के बाद इस गांव में कोई नहीं जाता है. इस गांव में पर्यटक आते हैं, लेकिन वो भी शाम के बाद इस गांव में नहीं रुकते हैं.

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कभी आबाद था पूरा गांव-
कुलधरा गांव को साल 1291 में बसाया गया था. इस गांव को पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था. पालीवाल ब्राह्मण पाली के रहने वाले थे. 11वीं शताब्दी में ये लोग राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर में जाकर बस गए. उस दौर में कुलधरा गांव काफी समृद्ध था. एक समय इस गांव की आबादी 5000 से ज्यादा थी. यहां के लोग खेती-बाड़ी करते थे और जीवन चलाते थे. साल 1825 में एक दिन अचानक लोगों ने गांव को खाली कर दिया. इसके पीछे एक कहानी है.

गांव खाली होने की 3 कहानी प्रचलित-
इस गांव के वीरान होने को लेकर एक कहानी फेमस है. मान्यता है कि जिस रियासत में ये गांव पड़ता था, उस रियासत का दीवान सालेम सिंह बड़ा अय्याश और मक्कार था. गांव के एक ब्राह्मण के बेटी पर उसकी गंदी नजर थी. दीवान ने गांववालों को संदेश भेजा कि पूर्णमासी के दिन तक उस लड़की को सौंप दें. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो लड़की उठा ले जाएगा और गांव को बर्बाद कर देगा. लेकिन गांववाले इसके लिए तैयार नहीं थे. गांववालों ने पंचायत में फैसला किया कि वो गांव को खाली कर देंगे.

इसके साथ ही एक और कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि सालेम सिंह के अत्यधिक कर वसूलने की वजह से लोग परेशान थे, इसलिए गांव छोड़कर चले गए. इस गांव को लेकर एक और कहानी फेमस है. उसके मुताबिक सूखा और पानी की कमी के चलते लोगों ने इस गांव को छोड़ दिया था.

एक रात में खाली हो गया गांव-
दीवान की धमकी के बाद लोगों ने गांव खाली करने का फैसला किया. गांववालों ने एक रात में पूरा गांव खाली कर दिया. पूरा गांव वीरान हो गया. जब लोग गांव छोड़कर जा रहे थे तो उन्होंने श्राप दिया कि अगर इस इलाके में कोई बसने की कोशिश करेगा तो वो पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा. उसके बाद से आज तक ये गांव वीरान है.

कहा जाता है कि इस गांव में रूहानी ताकतों का कब्जा है. इस गांव में उन लोगों की आवाज सुनाई देती है. समय के साथ धीरे-धीरे आसपास के कई गांव बस गए. लेकिन कुलधरा गांव कभी भी बसाया नहीं जा सका. फिलहाल ये गांव भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. दिन में पर्यटक इस गांव में घूमने जाते हैं. लेकिन शाम के बाद इस गांव में कोई नहीं रहता है. लोगों का मानना है कि इस गांव में श्राप के कारण भूतिया घटनाएं होती हैं.

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