scorecardresearch

Mother Milk Donation: दो नहीं बल्कि हजारों बच्चों की मां है यह महिला.... अपना दूध डोनेट करके बचाई नवजात शिशुओं की जिंदगी

मां का दूध नवजात बच्चे के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे उनकी इम्यूनिटी मजबूत होती है और बच्चे का सही विकास होता है. लेकिन कई बार मांओं के स्तनों से पर्याप्त दूध न आने के कारण या कई मामलों में बच्चे के जन्म के बाद मां की मौत होने के कारण उन्हें मां का दूध नहीं मिल पाता है. ऐसे में, इन बच्चों को कुपोषण से बचाने का जिम्मा उठाया है रक्षा जैन जैसी मांओं ने, जो अपना एक्स्ट्रा दूध डोनेट कर रही हैं.

Raksha Jain (Photo: X.com/@Rakshajain876) Raksha Jain (Photo: X.com/@Rakshajain876)

राजस्थान के हलचल भरे शहर भीलवाड़ा में रक्षा जैन ने एक ऐसा कीर्तिमान बनाया है जो पूरे देश के लिए मिसाल है. रक्षा ने बहुत से  नवजात शिशुओं को स्तनपान कराया है. जी हां, वैसे तो नवजात बच्चे को उसकी मां का ही दूध दिया जाता है लेकिन बहुत से कारणों से कई बार बहुत सी मांएं अपने बच्चों को अपना दूध नहीं पिला पाती हैं ऐसे में इन बच्चों के लिए रक्षा और उनसे प्रेरित होकर, और भी कई महिलाएं अपना दूध डोनेट कर रही हैं. रक्षा के इस अविश्वसनीय कार्य ने उनकी तुलना यशोदा और पन्ना धाय जैसी ऐतिहासिक मातृ विभूतियों से की जा रही है, और उनका नाम अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सुनहरे अक्षरों में चमक रहा है. 

पेशे से इलेक्ट्रोथेरेपिस्ट और दो बच्चों की मां रक्षा, भीलवाड़ा और उसके पड़ोसी शहरों के हजारों बच्चों के लिए आशा की किरण बन गई हैं. अपनी पहली डिलीवरी के बाद, उन्होंने जून 2018 से 2019 तक आंचल मदर मिल्क बैंक को 54 लीटर दूध दान किया. अपनी दूसरी डिलीवरी के बाद, उन्होंने 15 फरवरी से 14 नवंबर, 2023 तक 106.81 लीटर दूध दान किया. उनका कुल योगदान 160.81 लीटर है. जिससे जरूरतमंद बच्चों को 5,000 बार से ज्यादा उनका दूध पिलाया गया है. 

कैसे हुई शुरुआत 
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा का यह सफर जरूरत और करुणा दोनों से शुरू हुआ. 17 जून, 2018 को रक्षा के बेटे का जन्म हुआ, जिसके बाद तीन दिनों तक उनके स्तनों से दूध नहीं आया. ऐसा कई बार मेडिकल कारणों के चलते हो जाता है. इस स्थिति में उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल में आंचल मदर मिल्क बैंक से मदद लेनी पड़ी. इस मदद से प्रेरित होकर, रक्षा ने इसी तरह की चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य बच्चों की मदद करने का फैसला किया. तीन दिन बाद, रक्षा के स्तनों में दूध आने लगा, और यह जरूरत से ज्यादा था. इस दूध को बर्बाद करने के बजाय उन्होंने दान करने का फैसला किया. 

सम्बंधित ख़बरें

रक्षा अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद रोजाना बैंक जाती थी, और अनगिनत बच्चों की मदद करने के लिए बाकी दूध दान करती थीं. उनके दूध से बहुत से बच्चों को जिंदगी मिली. अपनी पहली डिलीवरी के दौरान, उन्होंने लगातार 25 दिनों तक दूध दान किया. रक्षा कहती हैं कि आप जीवन भर रक्तदान कर सकते हैं, लेकिन मां का दूध दान करना एक दुर्लभ अवसर है. 

सिर्फ दो नहीं हजारों बच्चों की मां 
रक्षा के दूसरे बच्चे का जन्म 12 फरवरी, 2023 को हुआ था. जन्म देने के तीन दिन बाद ही उसने अपना दूध दान फिर से शुरू कर दिया, जो 14 नवंबर, 2023 तक जारी रहा. रक्षा की कहानी मातृ प्रेम की शक्ति और निस्वार्थ कार्यों के प्रभाव का एक प्रमाण है. उनके दूध दान से न केवल भीलवाड़ा बल्कि अजमेर जैसे पड़ोसी जिलों के बच्चों को भी फायदा हुआ है. वह इस बात पर जोर देती हैं कि दूध दान एक सरल प्रक्रिया है, लेकिन इसके लिए परिवार के समर्थन की जरूरत होती है. उनके पति ने इसमें उनका पूरा साथ दिया, 

आज 160.81 लीटर दूध दान करने के बाद भी, वह स्वस्थ हैं और उन हजारों बच्चों की मां बनकर बहुत खुश हैं, जिन्हें उनका दूध मिला है. रक्षा ने इस काम का विस्तार करने के लिए विभिन्न सोसायटियों के साथ मिलकर लाइफ वेलफेयर सोसाइटी पिंक स्क्वाड का गठन किया. उन्होंने 20 महिलाओं का एक संगठन स्थापित किया है, जो लोगों को नवजात शिशुओं को कुपोषण से बचाने में मदद करने के लिए प्रेरित कर रहा है. 

क्या है दूध दान की प्रक्रिया
भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में आंचल मदर मिल्क बैंक उन स्वस्थ महिलाओं से दूध दान इकट्ठा करता है जिन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है और जिनके स्तनों से बहुत ज्यादा दूध आता है. इस प्रक्रिया में एक फॉर्म भरते हैं, और दूध को 150 मिलीलीटर की बोतलों में स्टोर किया जाता है. फिर दूध को पास्चुरीकृत किया जाता है, परीक्षण किया जाता है और छह महीने तक फ्रीजर में सुरक्षित रूप से स्टोर करते हैं. जरूरतमंद बच्चों को डॉक्टर की सलाह पर यह दूध मिलता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि दान किए गए दूध की हर बूंद जरूरतमंद बच्चे को मिले.