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31 साल बाद परिवार से कुछ ऐसे मिला राजू, गाजियाबाद के खोड़ा थाने में हुआ अनोखा मिलन

राजू ने बताया कि ट्रक से भागने के बाद वह दिल्ली पहुंचा और कई पुलिस थानों में मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसे कोई सहायता नहीं मिली. समय के साथ, उसने अपना घर और परिवार की यादें भी खो दीं.

Missing child reunited Missing child reunited
हाइलाइट्स
  • अपहरण कर राजस्थान ले जाया गया 

  • हनुमान जी की भक्ति ने दी उम्मीद  

गाजियाबाद का खोड़ा थाना एक अनोखे मिलन का गवाह बना है. ये मिलन 31 साल बाद हुआ है. 1993 में साहिबाबाद इलाके से एक 7 साल का बच्चा लापता हो गया था, जिसका अब अपने परिवार से मिलन हुआ है. अब ये युवक 38 साल का हो गया है. उसका दावा है कि उसका 7 साल की उम्र में अपहरण कर लिया गया था.  

अपहरण कर राजस्थान ले जाया गया 
राजू उर्फ पन्नू ने बताया कि 8 सितंबर 1993 को वह और उसकी बहन स्कूल से लौट रहे थे. उसी दौरान कुछ लोगों ने उसका अपहरण कर लिया. वे राजू को राजस्थान ले गए. वहां उसके साथ मारपीट की, उसे बंधक बनाकर काम करवाया और उसे भूखा रखा. 

राजू ने बताया, “मुझसे पूरा दिन काम करवाया जाता था, शाम को एक रोटी दी जाती और फिर बांध दिया जाता.”

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राजस्थान में जिस घर में उसे बंधक बनाकर रखा गया था, वहां की छोटी बेटी ने उसे हनुमान जी की पूजा करने के लिए प्रेरित किया.  इस पूजा ने राजू को ताकत दी और एक दिन मौका देखकर वह एक ट्रक में चढ़कर भाग निकला. 

दिल्ली पहुंचा लेकिन घर की यादें खो चुकी थीं
राजू ने बताया कि ट्रक से भागने के बाद वह दिल्ली पहुंचा और कई पुलिस थानों में मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसे कोई सहायता नहीं मिली. समय के साथ, उसने अपना घर और परिवार की यादें भी खो दीं.

कुछ दिन पहले, 22 तारीख को, राजू खोड़ा थाना पहुंचा. यहां पुलिस ने उसकी देखभाल की, उसे खाने-पीने की चीजें दीं और जूते उपलब्ध कराए. पुलिस ने राजू की कहानी मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए साझा की.

इस खबर को देखकर राजू के चाचा ने उसे पहचाना. फिर, परिवार ने थाने पहुंचकर 31 साल बाद अपने बेटे को गले लगाया.   

हनुमान जी की भक्ति ने दी उम्मीद  
राजू का कहना है कि जिस समय वह संघर्ष कर रहा था, हनुमान जी की भक्ति ने उसे ताकत और उम्मीद दी. आज, 31 साल बाद, उसकी यह आस्था और खोड़ा पुलिस की मदद उसे अपने परिवार तक वापस लेकर आई.   

पुलिस के प्रयासों से यह अनोखा मिलन संभव हो सका. परिवार और पुलिस दोनों के लिए यह एक भावुक क्षण था. राजू का जीवन भले ही 31 साल तक संघर्षमय रहा हो, लेकिन अब वह अपने परिवार के साथ नई शुरुआत करने के लिए तैयार है.